रुद्रप्रयाग:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोटे अनाज को प्रोत्साहन देने की दिशा में की गई पहल अब सार्थक नजर आने लगी है. परंपरागत फसल की खेती और संग्रहण कर किसानों की आय में इजाफा हो रहा है. यही वजह है कि बीते एक साल में रुद्रप्रयाग जिले के तीनों विकासखंडों (अगस्त्यमुनि, जखोली, उखीमठ) में आजीविका समूहों ने 68 लाख 61 हजार से ज्यादा मंडुए फसल का व्यवसाय किया है. जिससे किसानों की आय में दोगुना इजाफा हुआ है.
रुद्रप्रयाग में किसान कर रहे मोटे अनाजों की खेती:बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले में परंपरागत खेती और फसलों के लिए अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है. जहां किसान आधुनिक फसलों की खेती के साथ परंपरागत फसलों में मंडुवा, झंगोरा आदि फसलों का उत्पादन भी कर रहे हैं. जिससे किसानों की आय बढ़ रही है. सरकार ने भी पर्वतीय जिलों में मिलेट्स यानी मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए 'उत्तराखंड मिलेट मिशन' शुरू किया है.
मंडुए की तौल (फोटो सोर्स- Rural Enterprise Velocity Vriddhi Project) उत्तराखंड की जलवायु मिलेट्स फसलों की मुफीद:ग्रामीण उद्यम वेग वृद्धि परियोजना के परियोजना प्रबंधक बीके भट्ट ने बताया कि उत्तराखंड की भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियां मिलेट्स फसलों को उगाने के लिए उपयुक्त है. ये फसलें असिंचित क्षेत्रों में होती है. इन फसलों के लिए सिंचाई की कम आवश्यकता होती है. ये फसलें औषधीय एवं पोषणीय दृष्टि से भी काफी अहम मानी जाती है. जिस वजह से किसानों की आय बढ़ाने में भी सहायक है.
मंडुए की खेती से महिलाओं की बढ़ी आय (फोटो सोर्स- Rural Enterprise Velocity Vriddhi Project) मंडुए में पाए जाते हैं ये पोषक तत्व:परियोजना प्रबंधक बीके भट्ट ने बताया कि मंडुए में प्रोटीन धान से काफी ज्यादा होती है. जबकि, कैल्शियम की मात्रा धान से 35 और गेहूं से 8 गुना ज्यादा होती है. साथ ही पशुओं के लिए मंडुवा का चारा काफी उपयोगी होता है. नियमित मंडुवा (मंडुआ) के सेवन से मधुमेह (शुगर) जैसी बीमारी को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
मोटे अनाजों की खरीद (फोटो सोर्स- Rural Enterprise Velocity Vriddhi Project) रुद्रप्रयाग के तीनों विकासखंडों में इतना हुआ मंडुए का उत्पादन:बीके भट्ट ने बताया कि रुद्रप्रयाग के तीनों विकासखंडों अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ और जखोली में आजीविका संघ, सीएलएफ (क्लस्टर लेवल फेडरेशन) की संख्या 23 है. जिसमें किसान और समूह की संख्या 1,821 है. जबकि, मंडुवा संग्रहण की मात्रा 1,784 क्विंटल है. जिसमें 68 लाख 61 हजार 264 रुपए का व्यवसाय किया गया है. जिसमें 5 लाख 44 हजार 744 रुपए का फायदा हुआ है.
मोटे अनाज की तौल (फोटो सोर्स- Rural Enterprise Velocity Vriddhi Project) इस तरह से तीनों विकासखंडों में गठित/अंगीकृत सहकारिता/क्लस्टर लेवल फेडरेशन ने 1,784 क्विंटल मंडुए को संग्रहित किया. मंडुवा को प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से उत्तराखंड ऑपरेटिव फेडरेशन को 38.46 प्रति किग्रा की दर से विपणन किया गया. जिसके चलते 68,61,264 रुपए का व्यवसाय किया गया. जिसमें 5,44,744 रुपए का शुद्ध लाभ मिला.
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