गोरखपुर: 12 जून से 17 जून तक गोरखपुर दौरे पर रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत, सोमवार को कार्यकर्ता विकास कार्यक्रम के खत्म होने बाद गोरखपुर से वापस दिल्ली चले गए. लेकिन, इसके पूर्व संघ के कार्यक्रमों की परंपरा के क्रम में वह स्वयंसेवकों के साथ शामिल हुए. उन्होंने ध्वज को प्रणाम कर प्रार्थना की. अंतिम दिन उन्होंने कार्यकर्ता विकास वर्ग में एक-एक स्वयंसेवकों से व्यक्तिगत बातचीत करने का प्रयास किया. हालांकि उनका यह दौरा योगी के साथ होने वाली मुलाकात को लेकर काफी चर्चा में रहा.
भोजन पर होनी थी मुलाकात: स्थानीय से लेकर देश- दुनिया की मीडिया और भारतीय जनता पार्टी से लेकर अन्य राजनीतिक दलों में भी सीएम योगी और मोहन भागवत की मुलाकात पर सबकी नजर थी. लेकिन, यह मुलाकात नहीं हो पाई. शनिवार को योगी वाराणसी से जब गोरखपुर पहुंचे तो दोपहर 1:30 बजे के करीब संघ प्रमुख के साथ उनकी भोजन पर मुलाकात संभावित थी. जिसको देखते हुए स्थानीय से लेकर लखनऊ तक की मीडिया विद्यालय गेट पर अपने कैमरे और संवाददाताओं के साथ मौजूद रही. लेकिन, शनिवार की रात 10:00 बजे तक इन दोनों के बीच मुलाकात नहीं हुई.
संभावना थी कि रविवार की सुबह में योगी संघ प्रमुख से मिलने कार्यक्रम स्थल पर पहुंच सकते हैं. लेकिन, योगी वहां भी नहीं गए. वह एनेक्सी भवन में गोरखपुर मंडल के अपने सांसद- विधायकों के साथ बैठक करने लगे. लोकसभा चुनाव में मिली हार और कम मत प्रतिशत समेत वह अन्य बिंदुओं की समीक्षा करने में जुटे रहे. उन्होंने जनप्रतिनिधियों को आगामी 2027 के विधान सभा चुनाव को लेकर आगाह किया और सलाह भी दी. इसके बाद योगी अपनी मां की तबीयत का हाल लेने हेलीकॉप्टर से ऋषिकेश रवाना हो गए. उनकी मां एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं.
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वही एक संघ से जुड़े हुए सूत्र की माने, तो मोहन भागवत और योगी के बीच मुलाकात भले ही नहीं हुई है, लेकिन बातचीत का क्रम इन दोनों के बीच हुआ है. संघ के एक पदाधिकारी के फोन पर योगी का फोन जाता है. उस फोन से मोहन भागवत की बातचीत योगी से कुछ देर के लिए होती है. माना जा रहा था, कि मोहन भागवत और योगी की जब मुलाकात होगी, तो लोकसभा चुनाव के परिणाम समेत कई अहम बिंदुओं पर बातचीत होगी. ताकि परिणाम पार्टी के लिए डैमेज कंट्रोल साबित हो सके.
पहली बार सीएम योगी से बिना मिले चले गए RSS चीफ: मोहन भागवत सरसंघचालक का पद संभालने के बाद गोरखपुर छठवीं बार आए थे. ऐसा पहली बार हुआ है कि जब उनकी मुलाकात योगी आदित्यनाथ से नहीं हुई है. योगी उनसे मिलने जाते रहे. इन दोनों की मुलाकात नहीं होने को लेकर इंटरनेट मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. वहीं, यह भी माना जा रहा है, कि जिस तरह से इन दोनों की मुलाकात को लेकर मीडिया में कई तरह के सवाल पैदा किया जा रहे थे, उसकी वजह से भी यह मुलाकात स्थगित हो सकती है. संघ की तरफ से इस मामले में किसी भी तरह की कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है. यह भी नहीं कहा जा सकता, कि अगर दोनों के बीच टेलीफोन पर बातचीत हुई है तो उसमें चर्चा का क्या विषय था. फिलहाल, मुलाकात का ना होना अपने आप में एक बड़ा सवाल पैदा करता है. वहीं अगर मुलाकात इन दोनों के बीच हो जाती तो सवालों के ढेर लग जाते, कि आखिर में इस मुलाकात के बीच किन-किन मुद्दों पर बात हुई.
कहा तो यह भी जा रहा है, कि मोहन भागवत ने कार्यकर्ताओं की बीच यह भी कहा कि नड्डा ने संघ को लेकर जो बयान दिया वह उनके व्यक्तिगत विचार थे. जिससे संघ का कुछ भी लेना-देना नहीं है. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा है, कि किसी भी सूचना को बिना जांचे परखे उस पर विश्वास ना करें. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, कि हम सभी की जिम्मेदारी है, कि संगठन के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हमें कार्य करते रहना है. मतान्तरण पर संवेदनशील रहने और लव जिहाद पर भी नजर रखने की जरूरत है.
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