कुल्लू: हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में अभी एक मंत्री पद भरा जाना है. कुर्सी जाने के बाद 6 पूर्व सीपीएस भी इस रेस में प्रमुखता से शामिल हो गए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि क्षेत्रीय संतुलन साधने की सियासी कसरत और अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए मंत्री का पद किसे मिलेगा ये तो वक्त बतागा लेकिन सीपीएस से हटते ही विधायक अब मंत्री बनने की दौड़ में लग गए हैं.
कुल्लू जिले को मिल सकता है मंत्री पद
17 विधानसभा वाले मंडी संसदीय क्षेत्र को सुक्खू सरकार में केवल एक ही मंत्री पद मिल पाया है. जिला किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी यहां से अकेले कैबिनेट मंत्री हैं और वह भी ट्राइबल कोटा से मंत्री बने हैं. मंडी संसदीय क्षेत्र को सत्ता और सियासी ताकत देने के लिए यहां कम से कम एक मंत्री और बनाए जाने की जरूरत समझी जा रही है. खासकर ऐसे समय में जब मंडी संसदीय सीट पर भाजपा काबिज हो चुकी है. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्रीय संतुलन साधने के लिए यहीं से मंत्री बनाया जा सकता है. कुल्लू सदर से दूसरी बार विधायक बने सुंदर सिंह ठाकुर कांग्रेस पार्टी के पुराने और अनुभवी चेहरा हैं. वह मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के भी बेहद करीबी माने जाते हैं. सुक्खू सरकार के पिछले कैबिनेट विस्तार में सुंदर सिंह ठाकुर जगह पाते-पाते रह गए थे.
कांगड़ा जिला भी रेस में
हिमाचल प्रदेश का विधानसभा सीटों की संख्या में सबसे बड़ा जिला कांगड़ा भी मंत्री पद की रेस में शामिल है. यहां से सुक्खू सरकार ने दो सीपीएस बनाए थे जिनमें पालमपुर से विधायक आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल थे. हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब ये दोनों भी मंत्री पद की रेस में शामिल हो गए हैं. मौजूदा समय में कांगड़ा जिला से सुक्खू सरकार में दो मंत्री हैं जिनमें चौधरी चंद्र कुमार प्रदेश के कृषि मंत्री हैं. वहीं सरकार के एक साल के कार्यकाल के बाद जयसिंहपुर विस क्षेत्र से यादविंदर गोमा के तौर पर दूसरा कैबिनेट रैंक हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिले को मिला था. यादविंदर गोमा आयुष मंत्री है. ऐसे में 16 विधानसभा सीटों वाले सबसे बड़े जिले को एक और मंत्री पद मिल सकता है.