बिलासपुर:पूरी दुनिया में पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया गया. इस दिन को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के महत्व को लोगों को बताने के लिए मनाया जाता है. इस साल विश्व प्रवासी पक्षी दिवस का थीम पानी रखा गया. पानी के संरक्षण के लिए पोखर, तालाब और झीलों के संवर्धन के प्रयास किए गए थे. इस साल का थीम कीड़ों के संवर्धन से जुड़ा था. प्रवासी पक्षियों के लिए कीड़ों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और कीड़ों की घटती आबादी से संबंधित चिंताओं को उजागर करने के लिए ये थीम रखा गया था. कीड़े कई प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए ऊर्जा के आवश्यक स्रोत हैं. लगातार खेतो में फसलों को बचाने के लिए अत्यधिक मात्रा में जहरीले केमिकल डाले जा रहे है, जिससे कीड़े मर रहे है और इन कीड़े को खाकर प्रवासी और अप्रवासी पक्षी मर रहे है.
छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जगह से आते हैं पक्षी:दरअसल, भारत में मध्य यूरोप, अमेरिका, एशिया जैसे द्वीप से प्रवासी पक्षी प्रवास करने आते हैं. भारत में प्रवासी पक्षियों को अच्छा भोजन और पानी मिलता है, जिसकी वजह से वह अपना प्रजनन काल भारत के अलग-अलग राज्यों और शहरों में पूरा करते हैं. छत्तीसगढ़ में लगभग साढ़े चार सौ प्रजाति के प्रवासी और अप्रवासीय पक्षी रहते हैं, जिनमें 50 से भी ज्यादा प्रजाति के प्रवासी पक्षी बिलासपुर जिले में प्रवास करते हैं. यह प्रवासी पक्षी मध्य यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन, मंगोल, तुर्की, यूक्रेन और रूस से आते हैं. यह पक्षी हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रवास करते हैं. ज्यादातर यह पक्षी उन इलाकों में प्रवास करते हैं, जहां पर दलदली तालाब, पोखर होते हैं, जिससे इन्हें पर्याप्त मात्रा में कीड़े-मकोड़े खाने को मिलते हैं. इससे इन्हे प्रजनन के बाद अपने बच्चे को बड़ा करने में आसानी होती है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में प्रवासी पक्षी अक्टूबर माह से लेकर अप्रैल महीने और मध्य मई महीने तक रहते हैं.