मेरठ : चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला अब अगले तीन साल तक और कुलपति बनी रहेंगी. राजभवन से इस बारे में पत्र जारी किया गया है. प्रदेश की गवर्नर और कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल कई बार उनके कार्य की प्रशंसा कर चुकी हैं. 23 दिसंबर को प्रोफेसर संगीता शुक्ला का कार्यकाल समाप्त हो गया था. संगीता शुक्ला ने तीन साल पहले चार्ज संभाला था. प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वह इस जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय की समृद्धि और प्रगति के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला के कार्यकाल में विश्वविद्यालय की देश में रैंकिंग सुधरी है. प्रदेश में भी विश्वविद्यालय की रैंकिंग लगातार सुधरी है.
विश्वविद्यालय को नेक ग्रेडिंग में A++ भी प्राप्त हुआ है. इंटरनेशनल लेवल पर भी यूनिवर्सिटी की साख सुधरी है. कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला का कार्यकाल बढ़ने की जानकारी मिलने पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कर्मचारियों ने बधाई दी.
बता दें, विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद से यह दूसरा अवसर है, जब के 59 वर्षों के इतिहास में किसी वीसी को दूसरा कार्यकाल मिला है. प्रो. संगीता शुक्ला से पहले प्रोफेसर एनके तनेजा भी विश्वविद्यालय में लगातार दो बार स्थाई कुलपति बनने में सफल रहे थे. क्लेरीवेट द्वारा रिसर्च एक्सीलेंस अवार्ड, यूपी में राज्य विवि में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय टॉप पर है. इससे पहले विश्वविद्यालय महिला श्रेणी में एक्सीलेंस साइटेशन अवार्ड 2023 पा चुका है. यूपी में खेलो इंडिया में पहली रैंक प्राप्त कर चुका है. वहीं पेटेंट ग्रांट श्रेणी में सीसीएसयू को देश में चौथी रैंक प्राप्त है. सरकार के द्वारा पीएम ऊषा में विवि सौ करोड़ की ग्रांट पाने में सफल रहा था.
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का इतिहास:चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय का पूर्व में नाम मेरठ विश्वविद्यालय था. इसकी स्थापना सन 1965 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उद्देश्य से की गई थी. यूपी के मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने इस विश्वविद्यालय का नाम बदलकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के नाम पर कर दिया था. यहां लगातार किए जा रहे प्रयासों के बाद अब देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में इस विश्वविद्यालय ने अपनी पहचान बना ली है. एम.फिल. और पी.एच.डी. के कार्यक्रम यहां 1969 में शुरू किए गए थे. जिससे एम.फिल. कार्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बनने का श्रेय भी इस विश्वविद्यालय को जाता है.
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