मेरठ: पूरे उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के उद्देश्य से पूर्ति विभाग की ओर से नो हेलमेट नो फ्यूल अभियान की शुरुआत की गई है. जिसको सभी जिलों में लागू किया जा रहा है. मेरठ में इस कैंपेन को व्यापक स्तर पर शहर में शुरू किया गया है. जिसमें पंप कर्मचारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि बिना हेलमेट के किसी दोपहिया वाहन चालक को पेट्रोल न दिया जाए. लेकिन ईटीवी भारत की Reality check में इस नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ती दिखी. अब इसे मेरठ के अफसरों की लापरवाही कहें या फिर पेट्रोल पंप संचालकों की ज्यादा तेल बेचने की मजबूरी, यहां ये नियम कारगर होते नहीं दिखे.
बता दें कि बीते दिनों सड़क सुरक्षा को लेकर मेरठ में जिलापूर्ति विभाग की ओर से निर्णय लिया गया था कि बिना हेलमेट किसी भी पेट्रोल पंप पर कोई भी दोपहिया वाहन चालक पेट्रोल नहीं डलवा सकेगा. इस नियम का पेट्रोल पंपों पर कड़ाई से पालन करने के लिए लखनऊ में बैठे शीर्ष अफसरों की तरफ से कड़े निर्देश दिए गये थे. लेकिन कई दिन बाद भी मेरठ में कोई बदलाव होता दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकी अधिकारी नियम का पालन करने के निर्देश दूसरे विभाग को जरूर दे रहे हैं.
ईटीवी भारत ने मेरठ शहर के कई पेट्रोल पंपों पर जाकर वहां “नो हेलमेट नो पेट्रोल ” अभियान की जमीनी हकीकत को परखने की कोशिश की. लेकिन मौके पर बहुत ज्यादा बदलाव होता कहीं नजर नहीं आया. जबकी जिला मुख्यालय से महज 50 मीटर की दूरी पर ही एक पेट्रोल पंप स्थित है. तो वहीं तीन पेट्रोल पंप एक किलोमीटर के ही दायरे में हैं. लेकिन डीएम के निर्देश के बाद जिलापूर्ति विभाग की ओर से दिए गये निर्देश का कहीं भी सख्ती से पालन नहीं हो रहा. हालांकी पेट्रोल पंपों में 'नो हेलमेट नो पेट्रोल' के होर्डिंग जरुर रस्म अदायगी के लिए लगे दिखे.
“नो हेलमेट नो पेट्रोल ” कैंपेन को लेकर कई दोपहिया वाहन चालकों से बातचीत की गई जिसमें वो बताते नजर आए कि उन्हें ऐसे किसी नियम की जानकारी नहीं थी, अब आगे से वो हेलमेट लगाकर निकलेंगे. वहीं इस अभियान को लेकर मेरठ में वरिष्ठ एआरटीओ प्रवर्तन आरवी कर्दम ने बताया कि, इस बारे में 8 जनवरी को निर्देश जिला पूर्ति विभाग को दिए गये थे. उन्होंने बताया कि अब इस विषय में पालन कराने की जिम्मेदारी जिलापूर्ति विभाग को सौंपा गई हैं. ताकि एक्सीडेंट में कमी आ सके.