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राजघाट कर रहा है ग्राम स्वराज की तस्वीर को साकार, मेडिकल छात्र के जुनून ने बदल दी यहां की तकदीर - STORY OF RAJGHAT VILLAGE

पढ़िए कैसे मेडिकल स्टूडेंट्स ने मिलकर एक गांव की पूरी तस्वीर ही बदल दी और अब भी वो इस काम में लगे हुए हैं...

Story of Rajghat Village
राजघाट गांव की कहानी (ETV Bharat Dholpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 25, 2025, 6:29 PM IST

Updated : Feb 25, 2025, 9:51 PM IST

जयपुर :धौलपुर जिला मुख्यालय से चंद मिनट की दूरी पर चंबल किनारे बसा एक गांव कुछ सालों पहले तक एक कच्ची और पिछड़ी बस्ती की तस्वीर को बयां करता था, लेकिन अब इस गांव की तकदीर समय के साथ बदल रही है. इस गांव की तकदीर को संवारने में कुछ मेडिकल छात्र और उनके हेड डॉक्टर अश्विनी पाराशर का अहम रोल रहा. मूलतः धौलपुर के रहने वाले डॉक्टर अश्विनी काफी सालों पहले अपने कुछ दोस्तों के साथ राजघाट गांव पहुंचे. इस दौरान उनकी नजर जिला मुख्यालय से सटे इस गांव के हालात पर पड़ी. यहां से वो घर तो लौटे पर कई दफा गांव के हालात सोचने पर उनकी रातों की नींद उड़ गई. जयपुर के सवाई मान सिंह मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करते हुए उन्होंने अपने साथियों की मदद से 'सेव राजघाट' कैंपेन चलाया. इस मुहिम की गूंज सात समंदर पार अमेरिका, कनाडा और नॉर्वे में भी सुनाई पड़ी और 5 साल से भी कम वक्त में गांव की तस्वीर बदल गई. इस गांव में जिले का पहला स्मार्ट सरकारी स्कूल है. हालांकि, अब भी कई बुनियादी सुविधाओं से ये गांव महरूम है.

नौनिहालों में तालीम की ललक :राजघाट गांव के प्राथमिक स्कूल की अध्यापिका दिव्या कुमारी ने बताया कि इस विद्यालय को जिले के पहले स्मार्ट स्कूल का तमगा हासिल है. यहां के क्लासेज में स्मार्ट बोर्ड के आने से बच्चों में सीखने की ललक बढ़ रही है. वे तेजी से चीजों को पकड़ रहे हैं. हालत यह है कि इस पिछड़े गांव में अब ग्रामीण भी अपने भविष्य को टटोलने के लिए कई मर्तबा स्कूल के समय क्लासेज में पहुंच जाते हैं. उन्होंने कहा कि वे सेव राजघाट की इस मुहिम में जुटे सभी लोगों की तारीफ करना चाहती हैं. उनके मुताबिक अब गांव वाले भी शिक्षा की ओर अग्रसर हो रहे हैं. दिन-ब-दिन स्कूल में घट रही नामांकन की संख्या पर अब ब्रेक लग गया है और फिर से स्कूल आबाद होता हुआ दिखाई पड़ता है. स्कूल टीचर दिव्या का कहना है कि यह तकनीक ना सिर्फ बच्चों को लाइव वीडियो लेक्चर से जोड़ेगी, बल्कि बच्चे एनीमेशन वीडियो के कारण और अधिक सीख सकेंगे. साथ ही गांव वालों को इस माध्यम से जागरूकता से जुड़े वीडियो भी दिखाए जा सकेंगे.

राजघाट गांव की कहानी. (ETV Bharat Dholpur)

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'सेव राजघाट' सात समंदर पार :सेव राजघाट मुहिम के सदस्य और पेशे से हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लोकेन्द्र चौहान ने बताया कि उनकी कैंपेन दिवाली से शुरू हुई थी, जिसका सोशल मीडिया पर भी प्रचार हुआ. बाद में इस बारे में नॉर्वे में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को भी जानकारी मिली और वे उनके साथ जुड़ गए. उन्हें छोटे-छोटे संसाधन जुटाने के लिए अमेरिका और कनाडा से भी लोगों ने संपर्क किया और मदद की. डॉक्टर लोकेन्द्र ने बताया कि उनकी इस पहल से प्रभावित होकर अहमदाबाद के एक संगठन ने क्राउड फंडिंग के जरिए गांव के कुछ घरों तक पानी के फिल्टर पहुंचाए. स्मार्ट स्कूल का जिक्र करते हुए लोकेन्द्र सिंह को गांव में बाकी मसलों पर भी ध्यान आता है, जिसके लिए वे सेव राजघाट टीम को कटिबद्ध बताते हैं.

Save Rajghat मुहिम टीम के सदस्य (ETV Bharat Dholpur)

गांव वालों की जुबानी विकास की कहानी :राजघाट के एक ग्रामीण राजवीर कहते हैं कि वो डॉक्टर अश्विनी और उनकी सेव राजघाट टीम के लिए शुक्रगुजार हैं. उनके मुताबिक गांव में पानी और बिजली पहुंचने के पीछे इस मुहिम का बड़ा हाथ है. इस वजह से बच्चों में भी पढ़ाई का माहौल तैयार हो रहा है. अन्य ग्रामीण ने बताया कि अब स्कूल में स्मार्ट स्क्रीन आने के बाद तालीम के स्तर में भी बदलाव आया है. यह सब सेव राजघाट मुहिम के कराण ही है. राजघाट के बदलाव की बयार का जिक्र करते हुए अन्य ग्रामीणों ने अपना तजुर्बा साझा किया. उन्होंने बताया कि सरकार भले ही राजघाट पर गौर न करे, लेकिन सेव राजघाट की टीम ने उनकी बदतर होती जिंदगी में कई बदलाव ले आए हैं. टीम की जागरूकता के दम पर गांव के लोग नशा छोड़कर कामकाज में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. नशा छोड़ने वाले ग्रामीण भी अब विकास की नई राह को देखकर उत्साहित हैं. एक ग्रामीण ने बताया कि कैसे पहले दिन ढल जाने के साथ लोग गांव की ओर रुख करने से भी डरते थे. अब ऐसा नहीं है. अब यहां बिजली है.

स्मार्ट क्लासरूम बनने पर देखने पहुंचे ग्राम वासी (ETV Bharat Dholpur)

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चंबल किनारे दिखी चहल पहल :डॉक्टर अश्विनी पाराशर ने ईटीवी भारत को बताया कि जब वे राजघाट आए थे, तब उनकी आंखों के आगे की तस्वीर बेहद भयावह थी. गांव के लोग घाट पर मटका लेकर पानी लेने जाते थे और नदी में बहते हुए मवेशियों के शव हटाकर अपने पीने के पानी का इंतजाम करते थे. घड़ियाल और मगरमच्छों की बारगाह के बीच गांव वाले हरदम अपनी जान को दांव पर रखते थे. 2019 से इस मसले को ईटीवी भारत ने भी करीब से समझा और हर परेशानी को सड़क से उठाकर सिस्टम तक पहुंचाया.

स्कूल में मिड डे मिल लेते हुए बच्चों (ETV Bharat Dholpur)

डॉक्टर अश्विनी के मुताबिक अब राजघाट गांव में घर-घर में फिल्टर की मदद से गांव वालों को साफ पानी नसीब हो रहा है. इसी तरह से तकरीबन सभी घरों तक बिजली के कनेक्शन पहुंच चुके हैं और कुछ में प्रक्रिया जारी है. कभी कुंवारों का गांव के नाम से कुख्यात राजघाट के माथे से अब यह कलंक भी हट गया है और हाल ही में कुछ युवाओं की शादी भी हुई है, जबकि स्मार्ट स्कूल उनकी इस पहल का एक मजबूत मुकाम साबित हो रहा है. इससे प्रेरित होकर गांव वाले नशा मुक्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं. वह इस बात से काफी उत्साहित नजर आए कि राजघाट अब जिले का पहला आधिकारिक स्मार्ट सरकारी स्कूल बनकर उभरा है.

जिले का पहला स्मार्ट सरकारी स्कूल (ETV Bharat Dholpur)

पानी, स्वास्थ्य और सड़क को लेकर संघर्ष जारी :सेव राजघाट मुहिम का अगला पड़ाव गांव में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना और कच्ची सड़क से ग्रेवल रोड तक आए स्ट्रक्चर को पक्की सड़क में तब्दील करना है. इसके साथ ही जल जीवन मिशन की मुहिम से राजघाट को जोड़ना भी है, ताकी सप्लाई लाइन डालने के बाद अब गांव में घर-घर पानी पहुंच सके. सेव राजघाट की टीम का कहना है कि वे अपने इस मकसद की पूर्णाहुति के लिए कानूनी विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं. लिहाजा सरकार की नजर और विकास की किरण गांव तक पहुंचाना उनका मकसद है. सेव राजघाट की टीम ईटीवी भारत के साथ जुड़े रहने के लिए आभार जताती है, जो इस मुहिम के अच्छे और बुरे दिनों का साक्षी बनकर रहा है.

डॉक्टर अश्विनी गांव वालों के साथ (ETV Bharat Dholpur)
Last Updated : Feb 25, 2025, 9:51 PM IST

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