लखनऊ :राहुल गांधी के बसपा पर दिए गए बयान के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पार्टी के नेता भिड़े हुए हैं. कांग्रेस नेता उदित राज और मायावती के भतीजे और बीएसपी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद में जुबानी जंग छिड़ी हुई है.
रविवार को आकाश आनंद ने एक पोस्ट कर उदित राज को जमकर फटकारा. कहा, पहले बीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती का गला घोंटने की धमकी उदितराज ने दी. उसके बाद अब डॉ. आंबेडकर पर अशोभनीय टिप्पणी कर रहे हैं.
कांग्रेस से उदित राज को बाहर करने की मांग :इससे जाहिर होता है कि बाबा साहब के प्रति कांग्रेस पार्टी और उसके नेतृत्व के कैसे विचार हैं. उन्होंने कांग्रेस पार्टी से उदित राज को अवसरवादी नेता मानते हुए तत्काल पार्टी से बाहर करने की मांग कर डाली.
आकाश आनंद ने लिखा, कांग्रेस के नेता बहुजन मूवमेंट का लगातार अपमान कर रहे हैं. करोड़ों दलित, शोषित, वंचित, अल्पसंख्यक समाज का स्वाभिमान जगाने वाले संविधान शिल्पी डॉ. भीमराव आंबेडकर क्या कांग्रेस की मेहरबानी की वजह से पूजनीय हैं?
राहुल दलितों के हितैषी नहीं : संसद में शोर करने और दलित छात्रों के साथ फोटो खिंचवाने से राहुल गांधी दलितों के हितैषी नहीं बन सकते हैं. उन्हें डॉ. आंबेडकर का अपमान करने वाले अवसरवादी नेता को तत्काल पार्टी से बाहर करना चाहिए. उन्होंने लिखा कि मैं साफ कर दूं कि डॉ. आंबेडकर करोड़ों बहुजनों के भगवान हैं. हम अपने भगवान का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे.
कांग्रेस नेता उदित राज का पलटवार : वहीं, अब आकाश आनंद के इस पोस्ट से कांग्रेस और बीएसपी के बीच तनाव और बढ़ गया है. कांग्रेस नेता डॉ. उदित राज ने भी पलटवार किया. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा कि हे बुद्धिमान जी, क्यों पूरे बहुजन को अयोग्य और मंद बुद्धि घोषित करने में तुले हो.
नौकरी, राजनीति और शिक्षा में आरक्षण का कबाड़ा कर रहे हो. हजारों वर्ष से बहुजन के लोग अपवाद छोड़कर न राजा बन पाये, न ही जमींदार, न ही व्यापारी, न ही सेनापति, न विद्वान या हुकुमरान, क्या इनमें बुद्धि और समझ की कमी थी, नहीं! मनुवादी व्यवस्था में नीच और अछूत थे और अवसर नहीं मिला.
आरक्षण एक अवसर :सवर्ण सैंकड़ों पीढ़ियों से शिक्षित, बुद्धिमान और शासक बने, क्योंकि उन्हें ही अवसर मिला. आप क्या कहना चाहते हैं कि बहुजन मंद बुद्धि हैं, इसलिए आरक्षण मिल रहा है, ऐसा नहीं, आरक्षण एक अवसर है. बाबा साहेब के पहले या बाद में क्या कोई बुद्धिमान दलित समाज में नही हुआ?
साइमन कमीशन आया, बाबा साहेब ने स्वागत किया और इस तरह से अंग्रेजों के नजर में आ गए. उसी कारण लंदन के गोलमेज की सभा में आमंत्रित किया गया. अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें मंत्री का दर्जा दिया. विदेश में न पढ़े होते तो क्या इतने बड़े विद्वान हो पाते ?