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मदर डेयरी का फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग प्लांट सवालों के घेरे में, कई कामगारों को वापस लौटाया, प्रबंधन ने साधी चुप्पी - WORKERS SENT BACK IN RANCHI MANDI

रांची में मदर डेयरी के फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रोसेसिंग प्लांट से कई कामगारों को लौटा दिया गया. जिससे वो काफी परेशान हैं.

WORKERS SENT BACK IN RANCHI MANDI
मदर डेयरी फ्रूट और वेजिटेबल यूनिट, रांची (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 26, 2025, 5:11 PM IST

रांची: मदर डेयरी फ्रूट एंड वेजिटेबल प्रा.लि. के खाद्य एवं सब्जी प्रसंस्कण प्लांट में गहमा गहमी वाली स्थिति बनी हुई है. आज काम करने पहुंचे करीब 30 कामगारों को रांची के नगड़ी स्थित प्लांट में नहीं घुसने दिया गया. प्लांट के बाहर घंटों इंतजार के बाद कहा गया कि अभी काम नहीं है. जब काम होगा तब बुलाया जाएगा. प्लांट प्रबंधन की ओर से क्लियारिटी नहीं होने की वजह से कामगार परेशान हैं. इस मसले पर ईटीवी भारत की टीम ने दोनों पक्षों से संपर्क किया तो कई तरह की बातें सामने आई हैं.

कामगारों ने ईटीवी भारत को बताया कि प्लांट को मैन पावर मुहैया कराने का काम 'क्राउन सेंटीनल' नामक कंपनी का है. इंटरव्यू के वक्त बताया गया था कि सभी कामगारों को माह में 26 दिन काम मिलेगा. यहां गैर कुशल यानी अनस्किल्ड कामगारों को प्रतिदिन 571 रुपए मिलता है. लेकिन अचानक उनको काम करने से रोक दिया गया है. मजदूरों को भी पेमेंट नहीं दिया जा रहा था.

कच्चा माल का आवक भी बंद हो गया है. इसकी वजह से 17 फरवरी से काम ठप है. कामगारों का यह भी कहना है कि ज्यादातर मजदूरों का पेमेंट कर दिया गया है. लेकिन प्रोडक्शन, लैब और डिस्पैच में बतौर सुपरवाइजर काम करने वाले ज्यादातर लोगों को प्लांट में आने से मना कर दिया गया है. शिफ्ट इंचार्ज पंकज सिंह ने कामगारों को व्हाट्सएप मैसेज में लिखा है कि 'सभी लोग घर जाओ, इवनिंग तक अपडेट करेंगे'.

इस बाबत प्लांट का एचआर देख रहे अमित कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि किसी का पेमेंट बकाया नहीं है. कुछ मसले हैं जिसके लिए क्राउन सेंटीनल कंपनी के प्रतिनिधि को बुलाया गया है. उनसे पूछा गया कि ठेका कंपनी द्वारा मानदेय का भुगतान नहीं करने पर प्रोडक्शन का काम ठप था या नहीं. इसपर उन्होंने कहा कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि प्लांट के हेड से बात करने के बाद ही कुछ बता पाएंगे. लेकिन बाद में उन्होंने फोन रिसीव करना ही छोड़ दिया.

लिहाजा, प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए प्लांट के एचआर हेड सुरेंद्र लाल शर्मा से फोन पर बात की गई तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि वह इस मसले पर कुछ नहीं कह सकते हैं. उन्होंने यह बताने से भी इनकार कर दिया कि प्लांट की ओर से ऑफिशियल पक्ष कौन रखेगा. उनसे प्लांट हेड दीपक वर्मा का नंबर मांगा गया तो उन्होंने कहा कि वे भी इसपर कुछ नहीं बोलेंगे.

बता दें कि यह देश के पूर्वी हिस्से का पहला फल एवं सब्जी प्रसंस्करण संयंत्र है. फरवरी 2016 में तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने रांची के नगड़ी में इस प्लांट की आधारशिला रखी थी. करीब 75 करोड़ की लागत से यह प्लांट बना है. यहां SAFAL के नाम से फ्रूट और वेजिटेबल का फ्रोजेन प्रोडक्ट तैयार होता है. यहां हर दिन करीब ढाई सौ मजदूर अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं. यहां SAFAL नाम से निर्मित फ्रोजेन मटर, स्वीट कॉर्न, मिक्स वेज की जापान, दुबई और दिल्ली में भी डिमांड है.

यहां टोमेटो, मैंगो, बनाना, जामुन, चिली और हल्दी समेत कई तरह के पेस्ट तैयार किए जाते हैं. यहां हर दिन वेंडर किसानों से सब्जियां कलेक्ट कर आते हैं. लेकिन काम ठप होने की वजह से कच्चे माल का आवक भी रुका हुआ है. सबसे खास बात है कि प्रबंधन की ओर से खुलकर अपना पक्ष नहीं रखने की वजह से असमंजस वाली स्थिति बनी हुई है. कामगारों ने दो टूक कहा है कि अगर उन्हें काम से निकाला गया तो वे थाने में एफआईआर दर्ज कराएंगे.

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