झारखंड में लोकसभा चुनाव में करोड़पति प्रत्याशी पर कांग्रेस और भाजपा नेता के बयान (ETV Bharat) रांचीः झारखंड में 13 मई से चार चरणों में लोकसभा चुनाव होने हैं. इनमें से दो फेज के चुनाव के लिए नामांकन पूर्ण हो चुका है. राज्य के 14 में से 7 सीटों पर चुनावी योद्धा मैदान में उतर चुके हैं. चुनावी रण में उतरे इन योद्धाओं में इस बार भी धनकुबेरों की कमी नहीं है. कोई करोड़पति है तो कोई लाखपति जो जनता के बीच हाथ जोड़े खड़ा है.
झारखंड के पहले चरण के चुनाव में खूंटी, सिंहभूम, पलामू और लोहरदगा में चुनाव होने हैं. जिसमें 45 योद्धा मैदान में हैं. इसमें करीब एक दर्जन करोड़पति हैं. अगर लोकसभा क्षेत्र पर नजर दौड़एं तो पलामू में 09, लोहरदगा में 15, खूंटी में 7 और सिंहभूम में 14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं.
झारखंड में लोकसभा चुनाव के प्रथम और द्वितीय चरण के धनकुबेर प्रत्याशी (ETV Bharat) झारखंड के पहले और दूसरे चरण के चर्चित धनकुबेर प्रत्याशी
- चमरा लिंडा-निर्दलीय-लोहरदगा
- समीर उरांव-भाजपा-लोहरदगा
- सुखदेव भगत-कांग्रेस-लोहरदगा
- अर्जुन मुंडा-भाजपा-खूंटी
- वीडी राम-भाजपा-पलामू
- जेपी पटेल-कांग्रेस-हजारीबाग
- मनीष जायसवाल-भाजपा-हजारीबाग
- केएन त्रिपाठी-कांग्रेस-चतरा
- काली चरण सिंह-भाजपा-चतरा
- अन्नपूर्णा देवी-भाजपा-कोडरमा
किसी ने पत्नी तो किसी ने पति के नाम पर अर्जित की चल-अचल संपत्ति
इन रणबांकुरों ने चल-अचल संपत्ति अर्जित किए हैं. नामांकन में दाखिल एफिडेविट में किसी ने पति के नाम पर संपत्ति दिखाई तो किसी ने पत्नी के नाम पर. ज्वेलरी से लेकर जमीन, जायदाद और बैंक खाता में जमा राशि भी इसी तरह से दर्शाया है. इन धनकुबेरों में सबसे ज्यादा बड़े राजनीतिक दल से ही हैं. ईटीवी भारत ने कांग्रेस और बीजेपी नेताओं से ऐसे प्रत्याशियों के उतारने के पीछे का मकसद पूछा तो उनका कहना था कि जिताऊ कंडिडेट्स सबसे पहली प्राथमिकता होती है. ऐसे में भले ही ये लखपति और करोड़पति हैं मगर पार्टी की विचारधारा से ये इतर नहीं हैं.
झारखंड में लोकसभा चुनाव के प्रथम और द्वितीय चरण के धनकुबेर प्रत्याशी (ETV Bharat) बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता अनिमेष सिंह का कहना है कि इन प्रत्याशियों की ये निजी संपत्ति हो सकती है मगर ये पार्टी से बंधे हुए हैं और इसमें कोई बड़ा या छोटा नहीं होता है बल्कि सब एकसमान होते हैं. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता जगदीश साहु कहते हैं कि यह बात जरूर है कि पैसे और संपत्ति के बल पर खड़े होने वाले कहीं ना कहीं सामान्य कार्यकर्ता के चुनाव लड़ने में बाधक होते हैं. मगर पार्टी की प्राथमिकता सर्वप्रथम जिताऊ उम्मीदवार को लेकर रहता है. धनवान व्यक्ति प्रभावशाली होते हैं इसलिए उन्हें मौका दिया गया है.
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