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मंदसौर में पुरानी यादों की झलक, पगड़ी बांध बैलगाड़ियों पर पहुंचे भाई, गीतों ने बांधा 'मायरा' का शमा - MANDSAUR UNIQUE MYRA

मंदसौर में पुरानी परंपराओं को कायम रखने के लिए भाई बैलगाड़ियों से अपनी बहन के यहां शादी में मायरा भरने पहुंचे.

MANDSAUR UNIQUE MYRA
मंदसौर में दिखा अद्भुत नजारा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2025, 6:09 PM IST

Updated : Jan 19, 2025, 6:31 PM IST

मंदसौर:आज के हाईटेक जमाने में जहां लोग अपनी बेटों की बारात हेलीकॉप्टर से लेकर पहुंच रहे हैं. वहीं शनिवार को मंदसौर जिले से अनूठी तस्वीरें सामने आई हैं. यहां दो भाई 11 बैलगाड़ियों से मायरा भरने अपने बहन के ससुराल पहुंचे. जहां से भी ये बैलगाड़ियां निकल रहीं थी, देखने के लिए लोगों की भीड़ जुट गई. इन बैलगाड़ियों को अच्छे से सजाया गया था, जो देखने में बहुत सुंदर लग रहीं थी. इनमें बैठकर रिश्तेदार अपने बेटी के ससुराल पहुंचे.

11 बैलगाड़ियों में मायरा भरने पहुंचे मामा

ग्राम बाबरेचा निवासी घनश्याम और ओमप्रकाश नागदा ने नई पीढ़ी को पुरातन रीति-रिवाज से अवगत कराने के लिए बहन के यहां शादी समारोह में मायरा भरने की रस्म अनूठे अंदाज में अदा की. दोनों भाई अपनी बहन गिरिजा शर्मा के गांव रिंडा में बैलगाड़ियों से मायरा भरने पहुंचे. दरअसल, शनिवार के दिन उनकी भांजी पायल की शादी हुई. इसमें पायल के दोनों मामला ऐसे मायरा की रस्म पूरी करने पहुंचे की क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया. हर कोई उनकी ही बात कर रहा है.

मंदसौर में पुरानी यादों की झलक (ETV Bharat)

पुरानी परंपरा निभाते पहुंचे लोग

आपको बता दें कि मालवा इलाके में बारात के आगमन से पहले मामा द्वारा दुल्हन को शादी का जोड़ा और गहने चढ़ाने की पुरानी परंपरा है, जिसे मायरा भरना कहा जाता है. इसी रस्म को निभाने पायल के दोनों मामा अपने गांव बाबरेचा से 11 बैलगाड़ियों में परिजनों और रिश्तेदारों के अलावा ग्रामीणों को लेकर गांव रिंडा पहुंचे थे. दोनों गांव के बीच 10 किलोमीटर की इस यात्रा में बैंड बाजे, डीजे, ढोल ताशे और नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए परिवार को लेकर बेटी के ससुराल पहुंचे.

नाचते-गाते रिंडा गांव पहुंचे लोग

पुरानी परंपरा अनुसार नागदा परिवार भगवान श्रीकृष्ण और माता तुलसी भी बैलगाड़ी में सवार होकर शादी समारोह में पहुंचे. इस आध्यात्मिक और परंपरागत रिवाज वाली यात्रा का बीच में पड़ने वाले गांव लडूसा, पींडा और रिंडा में हजारों लोगों ने नाचते गाते हुए स्वागत किया. 5 घंटे चली इस यात्रा में रिंडा गांव पहुंचे और बेटी गिरजा के यहां शादी समारोह में शामिल हुए. इसके बाद सभी मेहमानों ने मायरा के पीले चावल, गहने और कपड़े चढ़ाए.

नई पीढ़ी को परंपरा से कराया अवगत

बैलगाड़ियों को भी फूल मालाओं, गुब्बारों और गन्ने से पुराने जमाने जैसा ही सजाया गया था. वहीं बैलगाड़ियों में सवार ग्रामीण महिलाएं मंगल गीत गाती हुई नजर आईं. आयोजनकर्ता घनश्याम नागदा ने बताया कि "उनकी परंपरागत आयोजन की मंशा को ग्रामीणों ने सहयोग किया. गांव के पटेल अपनी-अपनी बैलगाड़ियां लेकर शादी समारोह में पहुंचे. नई पीढ़ी को पुरानी परंपराएं बताने के लिए ही उन्होंने इस तरह का आयोजन किया."

ग्रामवासियों ने किया स्वागत

ग्राम रिंडा के ग्रामीणभेरूलाल सेन ने बताया कि "बबरेचा से आए तमाम मेहमानों का पूरे गांव वासियों ने स्वागत किया. शनिवार की रात शादी समारोह होने के बाद रविवार सुबह सभी मेहमान वापस बैलगाड़ियों से ही अपने गांव रवाना हुए.

Last Updated : Jan 19, 2025, 6:31 PM IST

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