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मंडला में नर्मदा तट पर लगा चित्रकारों का कुंभ, यहां पेंटिंग्स के साथ ही मन मोहने वाली कलाकृतियां - mandla Painting workshop - MANDLA PAINTING WORKSHOP

मध्यप्रदेश के मंडला में नर्मदा तट पर उभरते चित्रकारों का कुंभ शुरू हुआ. इसमें बच्चों से लेकर युवा और बुजुर्ग चित्रकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं. मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की स्मृति में रज़ा फाउंडेशन इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है. चित्रकारी के साथ अन्य कलाओं का प्रदर्शन भी कलाकार कार्यक्रम में कर रहे हैं.

mandla Painting workshop
मंडला में नर्मदा तट पर लगा चित्रकारों का कुंभ (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 1:00 PM IST

मंडला।विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा की स्मृति में रज़ा फाउंडेशन नई दिल्ली द्वारा आयोजित रज़ा स्मृति- 2024 का आयोजन मंडला में हो रहा है. आयोजन के दूसरे दिन बड़ी संख्या में चित्रकार रज़ा कला विथिका में चित्रकारी करने पहुंचे. चित्रकारी करने वालों में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग शामिल हैं. गमले और छातों में पेंट करने को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह नजर आया. बड़ी संख्या में महिलाओं ने गमले और छातों में पेंटिंग की. इसके अलावा माटी के रंग के तहत आयोजित कार्यशाला में मिट्टी की चीजें बनाना सिखाई जा रही हैं.

वर्कशॉप में पेंटिंग्स के साथ ही मन मोहने वाली कलाकृतियां (ETV BHARAT)

नर्मदा के रपटा घाट पर चित्रकला कार्यशाला

इसके साथ ही नर्मदा के रपटा घाट में चित्रकला कार्यशाला चल रही है. इसमें मध्य प्रदेश के चुनिंदा कलाकार अपनी कल्पना को साकार रूप दे रहे हैं. चित्रकारों का कहना है कि नर्मदा तट पर चित्रकारी करना एक अनोखा अनुभव है. इसमें एक खास अनुभूति हो रही है, जो इससे पहले कहीं महसूस नहीं हुई. रज़ा स्मृति के कलाकारों ने रपटा घाट पर वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश का सम्मान किया गया. रज़ा स्मृति- 2024 के संयोजक व वरिष्ठ चित्रकार अखिलेश ने बताया "मध्य प्रदेश के मंडला के रज़ा साहब ने यहां रहकर प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की थी. नर्मदा किनारे उनका अपना शुरुआती जीवन गुजारा है. यहां से प्राथमिक शिक्षा लेने के बाद वे दमोह चले गए. फिर उसके बाद फ्रांस में लगभग 60 साल रहने के बाद वापस अपने देश लौटे."

रज़ा फाउंडेशन देता है ट्रिब्यूट

रज़ा साहब की मंशा थी कि मंडला में उनके पिता की कब्र है तो मुझे यहां नर्मदा जी के किनारे दफनाया जाए, तभी से मंडला में 4 दिन का कार्यक्रम रज़ा फाउंडेशन आयोजित करता है. जिसमें कविता, नृत्य, संगीत, चित्रकला को शामिल करते हैं. रज़ा साहब हर कला के बारे में जानते थे. उनको अन्य कलाओं का भी उतना ही ज्ञान था जितना अपनी चित्रकला में. इस तरह से यह एक तरह का ट्रिब्यूट भी है. सारी कलाओं के प्रोग्राम यहां पर होते है. रज़ा फाउंडेशन बीच में एक माह के वर्कशॉप भी करता है, जिसमें कोई गुरु आकर डांस सिखाते हैं. कोई संगीतकार संगीत सिखाता है, कोई चित्रकार चित्रकारी सिखाता है.

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क्या बोले बाहर से आए कलाकार

मेहमान कलाकार रजनी भोसले, प्रीति मान, रिव्या बकुत्रा, पूर्वी शुक्ल, अनूप श्रीवास्तव, सनी मालवतकर, दीपक कुमार श्याम, आत्माराम श्याम, हरिओम पाटीदार और प्रभात जोशी अपनी कल्पना को कैनवास पर साकार रूप देने में जुटे हुए हैं. कलाकार पूर्वी शुक्ला ने बताया "कटनी से रज़ा फाउंडेशन के कार्यक्रम में शामिल होने आई हैं. हम सभी आर्टिस्ट साथ में रह रहे हैं. एक-दूसरे का काम देखकर सीख रहे हैं. यहां नर्मदा तट पर पेंटिंग कर रहे हैं." धार से आए अनूप श्रीवास्तव ने कहा "रज़ा स्मृति में हमारी प्रदर्शनी भी लगी है और आर्ट कैंप भी चल रहा है. इसमें मैंने नर्मदा परिक्रमा से प्रभावित होकर चित्र बनाया है और इसकी प्रेरणा मुझे नर्मदा घाट से ही मिली है." रज़ा फाउंडेशन के सदस्य सचिव संजीव चौबे ने सभी कला प्रेमियों से रज़ा स्मृति के विभिन्न आयोजनों में शामिल होने की अपील की है.

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