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महाकुंभ में मंडी के कलाकारों की 'लुड्डी' प्रस्तुति, प्रयागराज में दिखी पहाड़ी संस्कृति की झलक - LUDDI FOLK DANCE IN MAHAKUMBH 2025

हिमाचल के मंडी जिले के कलाकारों ने प्रयागराज में जारी महाकुंभ महोत्सव में लोकनृत्य की प्रस्तुति दी.

Mandi Artists Performed folk dance in Mahakumbh
मांडव्य कला मंच के कलाकार (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 21, 2025, 2:04 PM IST

मंडी:उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुंभ में भारी संख्या में लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं, इस धार्मिक महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति की समृद्ध झलक भी देखने को मिल रही है. केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा देश भर की सांस्कृतिक समृद्धता को दर्शाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. इसी कड़ी में मंडी के कलाकारों को महाकुंभ में मंडी जनपद के लोकनृत्य लुड्डी की प्रस्तुति देने का मौका मिला. माण्डव्य कला मंच के जरिए मंडी जिले के 15 कलाकारों ने प्रयागराज में 9 और 10 फरवरी को कलाग्राम संगम तट पर लोकनृत्य लुड्डी की प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही लूटी.

मांडव्य कला मंच के संस्थापक कुलदीप गुलेरिया ने बताया, "संस्कृति मंत्रालय के सांस्कृतिक केंद्र पटियाला के सौजन्य से हमें प्रस्तुति देने का यह मौका मिला. प्रयागराज महाकुंभ में मंडी जिले का ये इकलौता दल है, जो वहां प्रस्तुति देकर आया है. आज तक मांडव्य कला मंच देश भर में लुड्डी की 3 हजार से अधिक प्रस्तुतियां दे चुका है."

माण्डव्य कला मंच के 15 कलाकार

  • काजल
  • कनिका
  • श्रेया
  • गगनदीप
  • इशिका
  • हरिचरण
  • राजेश
  • मयंक
  • पंकज
  • भीष्म देव
  • आयुष
  • आर्यन
  • खुशहाल
  • तरुण
  • कुलदीप गुलेरिया

मांडव्य कला मंच के इन कलाकारों ने विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक समागम महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी भी लगाई. इसके लिए माण्डव्य कला मंच ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक एम फुरकान खान, सहायक निदेशक रवींद्र कुमार शर्मा और कार्यक्रम अधिकारी राजेश बस्सी का आभार भी जताया है.

कलाग्राम संगम तट पर मंडी के कलाकारों का लोकनृत्य (ETV Bharat)

मंडी जिले का लोकनृत्य है लुड्डी

लुड्डी मंडी जिले का लोकनृत्य है. पहले इस नृत्य को मंडी जिले में हर शादी-समारोह या फिर अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में किया जाता था. मंडी जनपद का कोई भी कार्यक्रम इस नृत्य के बिना अधूरा रहता था और जब लुड्डी नाची जाती थी तो उसके बाद ही उस समारोह को पूर्ण माना जाता था. हालांकि आज बदलते परिवेश के साथ अब इसे नाचने की परंपरा भी काफी कम हो गई है, लेकिन आज भी कुछ संस्थाएं ऐसी हैं, जिन्होंने इसे धरोहर की तरह संजो कर रखा है.

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