MAKAR SANKRANTI 2025:हर साल की तरह इस साल भी मकर संक्राति 14 जनवरी को होगी या 15 जनवरी को, इसको लेकर लोगों में चर्चाएं चल रही है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इस बार मकर संक्रांति का पुण्यकाल दो दिन होगा. 14 जनवरी को मकर संक्रांति प्रवेश काल शाम करीब साढे़ तीन बजे होगा. इसके साथ ही मकर संक्रांति के स्नान प्रारंभ हो जाएंगे. वहीं 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में उदय होने पर स्नान होंगे. इस तरह कुल मिलाकर 16 घंटे मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा.
इस वर्ष मकर संक्रांति पर स्वराशि के चंद्रमा का अमृत-मकर योग 144 वर्ष बाद कुंभ की उपस्थिति में बनेगा. यह योग 12 पूर्णकुंभ के दुर्लभ स्नान के बराबर पुण्य फल की प्राप्ति कराएगा.
बाघ की सवारी करते हुए आएगी मकर संक्राति
ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम बताते हैं कि "ऐसा 4 साल बाद होने जा रहा है. जब मकर संक्रांति पीले वस्त्र धारण कर हाथ में गदा लिए बाघ पर सवार होकर खीर खाती हुई भील वर्ण में बाल्य अवस्था में पश्चिम दिशा की तरफ गमन कर रही है. कर्क राशि में स्वराशि का बली चंद्रमा व उत्तराषाढ़ा नक्षत्र मकर राशि में सूर्य का प्रवेश 14 जनवरी को शाम 3:36 पर होगा. इसी के साथ संक्रांति स्नान 14 जनवरी शाम से प्रारंभ हो जाएगी. जो 15 जनवरी को 10 बजे सुबह तक जारी रहेगी. 14 जनवरी को संक्रांति स्नान व 15 जनवरी को उदय कालिक मकर सूर्य संक्रांति का स्नान दान का करीब 16 घंटे का पुण्य काल रहेगा."
14 या 15 किस दिन होगी मकर संक्रांति (ETV Bharat) 2032 के बाद 15 जनवरी को होगी मकर संक्राति
ज्योतिष मठ संस्थान के पंडित विनोद गौतम बताते हैं कि "4 साल बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को प्रवेश कर रही है. इसके बाद 2028 और फिर 2032 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को होगी. दरअसल, निराराशियों के सूर्य से आगे चले जाने के कारण हर 90 साल के बाद संक्रांति काल 24 घंटे बढ़ जाता है. काल गणना के अनुसार 5 हजार वर्ष पहले महाभारत काल में नवंबर माह में संक्रांति हुई थी और नवंबर माह में माघ मास था. यही कारण है कि इस शताब्दी में 14 जनवरी की मकर संक्रांति में बदलाव होने जा रहा है.
सूर्य पर्व है संक्रांति
मकर संक्रांति भगवान सूर्य का पर्व है. इस अवसर पर भगवान सूर्य अपने पुत्र मकर के घर पहुंचकर एक माह तक विश्राम में रहते हैं. जिसे पुण्यप्रद माह कहा गया है. मकर राशि में उदय सूर्य के समय पवित्र नदियों में स्नान के बाद सूर्य भगवान की पूजा अर्चना कर और जल चढ़ाकर ऊनी वस्त्र,कंबल,तिल,गुड़ खिचड़ी का दान करने का महत्व है.