मैहर: आज जहां देश चांद पर जाकर तरक्की के नए आयाम लिख रहा है. वहीं मध्य प्रदेश के मैहर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. सड़क किनारे रपटे में भरे गंदे पानी को पीकर आदिवासी अंचल के ग्रामीण अपनी प्यास बुझा रहे हैं.
पानी के लिए 20 साल से जूझ रहे लोग
अमरपाटन के ग्राम डोमा के पहाड़ी अंचल में आदिवासी समुदाय के करीब 100 से ज्यादा घर होंगे. यहां रहने वाले लोग रपटे में भरे गंदे नाले के पानी को पीकर अपना जीवन व्यापन कर रहे हैं. ग्रामीण इस समस्या से बीते 20 साल से जूझ रहे हैं. आज तक इसका कोई समाधान नहीं हो पाया है. जहां देश एक तरह आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. वहीं कुछ लोग आज मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.
मैहर में बूंद बूद को तरस रहे आदिवासी (ETV Bharat) गंदा पानी पीने को मजबूर
रपटे से पानी भर रही महिला रामदास ने बताया कि "दो बस्ती के लोग इसी रपटे के सहारे हैं. कई बार गंदा पानी पीने से लोग बीमार भी हो जाते हैं, लेकिन पानी की कोई सुविधा नहीं है. जिस कारण लोग न चाहते हुए भी मजबूरी में गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं."
कपड़े से छान कर पीना पड़ता है पानी
वहीं, दूसरी महिला ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कहा कि "हम सब इसी पानी के सहारे जिंदा हैं. कचरा ज्यादा होने पर कपड़े से छान कर इस पानी को पीते हैं. गर्मी के दिनों में जब पानी सुख जाता है, तो दूसरों के खेत में लगे बोर से पानी मांगना पड़ता है. कभी कभी लोग मना भी कर देते हैं, ऐसे में एक यहीं रपटा ही इस बस्ती का एकमात्र सहारा है."
एक वर्ष पहले मिला था आश्वासन
ग्रामीणों की माने तो पहले भी इस मुद्दे को प्रशासन के संज्ञान में लाया गया था. जिसके बाद तत्कालीन एसडीएम ने तहसीलदार और जनपद सीईओ के साथ पहुंचकर मौका मुआयना किया था. हैंडपंप लगाने का आश्वासन दिया था और एक वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी आज तक कोई हैंडपंप नहीं लग सका है. जब इस मामले पर अमरपाटन एसडीएम आरती यादवसे बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि "मामला संज्ञान में आया है, पीएचई विभाग से भी इसकी जानकारी ली जाएगी और मौका मुआयना के लिए स्थानीय तहसीलदार को भेज दिया गया है."