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राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीले पर 20 साल बाद मनेगी महाशिवरात्रि, धन के देवता ने यहां की थी पूजा

राम जन्मभूमि परिसर में स्थित प्राचीन कुबेर टीले (Kuber teela Mahashivratri) का सदियों से पौराणिक महत्व रहा है. मान्यता है कि यहां जलाभिषेक के बिना अयोध्या की यात्रा अधूरी मानी जाती है.

(Kuber teela Mahashivratri
(Kuber teela Mahashivratri

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 6, 2024, 12:09 PM IST

अयोध्या :राम जन्मभूमि परिसर में स्थित प्राचीन कुबेर टीले पर 20 साल के बाद शिवरात्रि उत्सव को भव्यता से मनाया जाएगा. इसके लिए कुबेर टीले का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है. 8 मार्च को महाशिवरात्रि के दिन कुबेरेश्वर महादेव मंदिर पर वैदिक आचार्य के द्वारा रुद्राभिषेक अनुष्ठान किया जाएगा. इस दौरान रजत प्रतिमा के रूप में भगवान रामलला भी दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे.

अधिग्रहण के बाद 2005 में लगा प्रतिबंध :राम जन्मभूमि परिसर स्थित कुबेर टीला भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण में भी दर्ज किया गया था. अब इसकी जिम्मेदारी राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को दे दी गई है. 1992 में अधिग्रहण के दौरान टीले को भी परिसर की हद में शामिल कर लिया गया था.

इस स्थान पर महाशिवरात्रि एक विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता था. यह परंपरा 20 वर्ष पूर्व 2005 तक निरंतर चलती रही. आतंकवादी हमले के बाद पूरी तरह से इस पर रोक लगा दी गई. आज एक बार फिर इस मंदिर को भव्यता दिए जाने के बाद उत्सव की तैयारी है.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा के मुताबिक महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के महाअभिषेक का आयोजन किया जाएगा. परिसर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद से ही हर दिन उत्सव मनाया जा रहा है. आगे भी वर्ष में इस तरह के जो भी पर्व त्योहार आएंगे, उसे भी ट्रस्ट धूमधाम से मनाएगा.

कुबेर टीला पर लगता था आस्था का मेला :वशिष्ट कुंड निवासी हरिहर यादव बताया कि यह परंपरा हमारे बाबा स्वर्गीय धनपत राम यादव के द्वारा शुरू की गई थी. हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन धूमधाम से आयोजन किया जाता था. एक भव्य मेला लगता था. इस दिन देर शाम को शिव बारात भी निकलती थी.

साल 2002 के बाद इस बारात की परंपरा पर रोक लगा दी गई. 2005 में आतंकी घटना के बाद उस स्थान पर दर्शन-पूजन और मेले का आयोजन पर रोक लगा दी गई. पहले बारात को निकालने के बाद पूरे अयोध्या का भ्रमण कराकर प्राचीन मंदिर छीरेश्वर नाथ पर प्रतीकात्मक रूप में विवाह भी संपन्न कराया जाता था.

उन्होंने बताया कि राम मंदिर में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गया है. अब कुबेर टीला की इस प्राचीन परंपरा को एक बार फिर शुरू किया जाए. यहां धार्मिक अनुष्ठान आयोजन कराया जाए और शिव बारात भी निकाली जाए.

यह है कुबेर टीले का ऐतिहासिक महत्व :राम जन्मभूमि परिसर में स्थित प्राचीन कुबेर टीला का ऐतिहासिक महत्व है. यह टीला काफी प्राचीन माना जाता है. टीले पर एक प्राचीन शिव मंदिर मौजूद है. शास्त्रों की माने तो यह टीला रामलला से जन्म के पहले से ही अस्तित्व में है. मान्यता है कि यहां पर धन के देवता कुबेर भी आ चुके हैं. उन्होंने टीले पर शिवलिंग की स्थापना पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी.

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