मंडी:आज 8 मार्च को देशभर में शिवरात्रि महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. हिमाचल प्रदेश में भी सुबह से ही शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है. प्रदेशभर के मंदिर भोलेनाथ के नारों से गुंजायमान हो उठे हैं. वहीं, छोटी काशी मंडी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव 2024 के लिए पूरी तरह से सज चुकी है. अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति को संजोए मंडी शहर में शिवरात्रि महोत्सव के दौरान देव व मानस मिलन का भव्य नजारा देखने को मिलता है. छोटी काशी मंडी में भगवान शिव को समर्पित शिवरात्रि पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
मंडी में शिवरात्रि महोत्सव का इतिहास
छोटी काशी में शिवरात्रि महोत्सव को मनाए जाने के पीछे कई दंत कथाएं प्रचलित हैं. कुछ दंतकथाओं के मुताबिक 1527 में मंडी शहर कीव स्थापना के बाद से शिवरात्रि मेला मनाया जाना शुरू हुआ है. वहीं, कुछ दंतकथाओं के मुताबिक शिवरात्रि मेला 300-350 साल पहले से मनाया जाता है. छोटी काशी मंडी में इस बार अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव 9 मार्च से शुरू होगा जो 7 दिनों तक चलेगा, 15 मार्च को मेले का समापन होगा.
शिवरात्रि महोत्सव का राज परिवार से गहरा नाता
माधव राय मंदिर के पुजारी हर्ष कुमार ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके मंडी के शिवरात्रि महोत्सव का मंडी के राजपरिवार से गहरा नाता है. जब तक शहर में भगवान माधव राय की पालकी नहीं निकलती है, तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा नहीं निकाली जाती है. राज माधव राय को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है. 18 वीं शताब्दी के दौरान राजा सूरज सेन के 18 पुत्रों का निधन हो गया था. जिसके बाद राजा सूरज सेन ने अपना सारा राजपाठ भगवान श्री कृष्ण के रूप राज माधव राय को सौंप दिया और खुद उनके सेवक बन गए. यही कारण है कि आज भी भगवान माधव राय की पालकी को शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा से पहले निकाला जाता है. शिवरात्रि महोत्सव के दौरान सभी देवी-देवता राज माधव राय के मंदिर में ही सबसे पहले अपनी हाजिरी भरते हैं.
शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन
शिवरात्रि महोत्सव की एक मान्यता यह भी है कि इसमें शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन होता है. शैव को भगवान शिव, वैष्णव को भगवान कृष्ण और लोक देवता आराध्य देव, देव कमरुनाग को कहा गया है. इन तीन देवताओं के अनुमति के बाद ही शिवरात्रि का महोत्सव शुरू होता है. कमरू घाटी के आराध्य देव बड़ा देव कमरूनाग 7 फरवरी को महोत्सव में शिरकत करने के लिए पहुंच गए हैं. इनके मंडी में पहुंचने के बाद ही जनपद के अन्य देवी देवता शहर में पहुंचते हैं. देव कमरूनाग अकेले ऐसे देवता है जो न तो जलेब यानी शोभायात्रा में शिरकत करते हैं और ना ही पड्डल मैदान में शिवरात्रि महोत्सव में अन्य भाग लेते हैं. पूरे शिवरात्रि महोत्सव तक देव कमरूनाग टारना माता मंदिर में ही श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं.