प्रयागराजःमहाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025) के लिए जूना अखाड़े (Juna Akhada) के संत और नागा साधु (Naga Sant) रविवार को प्रयागराज में नगर प्रवेश कर रहे हैं. उनके साथ ही किन्नर अखाड़ा भी नगर प्रवेश करेगा. चलिए जानते हैं कि आखिर जूना अखाड़ा कितना बड़ा है और इस अखाड़े को देश का सबसे बड़ा अखाड़ा क्यों कहा जाता है.
हिंदू धर्म में कितने अखाड़े हैं:अखाड़ों की परंपरा आदि गुरु शंकराचार्य ने शुरू की थी. पहले अखाड़ों की संख्या कम थी. अब इनकी संख्या 13 हो गई हैं. इनमें शैव सन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े, उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं.
पिछले कुंभ में शाही स्नान का एक दृश्य. (फाइल फोटो) (photo credit: etv bharat archive)
सबसे बड़ा अखाड़ा कौन सा है: कहते हैं कि इन अखाड़ों में सबसे बड़ा अखाड़ा जूना अखाड़ा है. इस अखाड़े की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी. कहते हैं इस अखाड़े में 5 लाख नागा सन्यासी और महामंडलेश्वर हैं. यह अखाड़ा शैव संप्रदाय का सबसे बड़ा अखाड़ा है. इस अखाड़े का प्रमुख लक्ष्य सनातन धर्म की रक्षा करना है.
प्रयागराज में संतों ने बैठक की. (photo credit: etv bharat)
अखाड़े से जुड़े संतों का जीवन कैसा है:इस अखाड़े से जुड़े संत शिव के उपासक हैं. उनके ईष्ट देव भगवान महादेव और गुरु दत्तात्रेय हैं. इस अखाड़े का केंद्र वाराणसी का हनुमान घाट माना जाता है. पंच दशनाम जूना अखाड़ा का मुख्यालय वाराणसी में स्थित हैं. इसके अलावा हरिद्वार, उज्जैन समेत देश में कई जगह भी इस अखाड़े के आश्रम हैं. यह अखाड़ा देश के कई मंदिरों को भी संभालता है.
एक नजर. (photo credit: etv bharat gfx)
अखाड़े में महामंडलेश्वर कौन होते हैं: यह अखाड़े का सबसे बड़ा पद होता है. पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी जी महाराज है. कहा जाता है कि वह अब तक एक लाख संन्यासियों को दीक्षा दे चुके हैं. उनसे देश और विदेश के कई शिष्य जुड़े हुए हैं.
महाकुंभ 2025 का लोगो. (photo credit: up government)
कुंभ में होता सभापति का चुनाव: अखाड़े का सभापति का चुनाव कुंभ में होता है. कहा जाता है कि 52 साधुओं की कमेटी सभापति को चुनती है. सभापति जीवनभर के लिए चुना जाता है. सभापति अखाड़े का संचालन करता है.
कुंभ में कैसे आएंगे इस अखाड़े के साधुःइस अखाड़े से जुड़े साधुओं का आगमन रविवार को नगर प्रवेश के साथ ही शुरू हो जाएगा. बैंड-बाजा पालकी के साथ अखाड़े के संत नगर में प्रवेश करेंगे. इस दौरान शोभायात्रा भी निकलेगी. गंगापार में झूंसी इलाके से बैंड बाजे के साथ संतो का नगर प्रवेश शुरू होगा जो यमुना के किनारे मौजगिरी आश्रम तक आएगा. यहां पर नगर प्रवेश करके साधु संत डेरा डालेंगे और इसी जगह से आने वाले दिनों में जूना अखाड़े की पेशवाई अथवा छावनी प्रवेश यात्रा निकलेगी. इस यात्रा के बाद अखाड़ों की तरफ से पेशवाई निकाली जाएगी हालांकि अभी पेशवाई की तिथि घोषित नहीं की गई है
जूना के साथ किन्नर अखाड़ा भी होगा शामिलः रविवार को होने वाले इस नगर प्रवेश में जूना अखाड़े के साथ ही किन्नर अखाड़ा भी शामिल होगा.नगर प्रवेश यात्रा में बैंड बाजे की धुन के बीच रथ बग्घी और अन्य सवारियों पर सवार होकर जूना अखाड़े के साधु संत नगर प्रवेश करेंगे जिसमे जूना अखाड़े के साथ ही किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर और महंत भी शामिल रहेंगे. नगर प्रवेश के इस कार्यक्रम में अखाड़े के संतों महंतों का स्वागत सम्मान प्रयागराज मेला प्राधिकरण के अधिकारी कर्मचारी भी करेंगे.
कुंभ में पहला शाही स्नान इस दिन करेंगेः 13 जनवरी को कुंभ के पहले शाही स्नान में यह अखाड़ा पूरी शान-ओ-शौकत के साथ पहुंचेगा. स्वर्ण-चांदी के रथ, अस्त्र शस्त्रों के साथ रेत पर दौड़ लगाते नागा साधु जब गंगा स्नान करेंगे तो वह दृश्य हर किसी को अभिभूत कर देता है.
बेहद अनुशासित है जूना अखाड़ाः जूना अखाड़े से जुड़े साधु बेहद अनुशासित होते हैं. वह निर्धारित रास्ते पर ही चलकर संगम स्नान को पहुंचेंगे. इसके बाद उसी रास्ते से वह अखाड़ा के कैंप में लौट जाएंगे. महाशिवरात्रि तक कुंभ का स्नान जारी रहने तक इस अखाड़े के साधु संगम तट पर कल्पवास करेंगे.
शास्त्रों के साथ अस्त्र-शस्त्र में निपुण हैं नागा साधु: इस कुंभ में भाग लेने वाले जूना अखाड़े के नागा साधु केवल शास्त्रों में ही निपुण नहीं होते हैं बल्कि वह अस्त्र-शस्त्र चलाना भी अच्छी तरह से जानते हैं. उनके अस्त्र-शस्त्र तलवाल, भाला, बरक्षी, ढाल समेत कई तरह के अन्य हथियार होते हैं.
हाथी भी शामिल होता है जूना अखाड़े की पेशवाई: जूना अखाड़े की पेशवाई महाराजाओं की शान-ओ-शौकत जैसी होती है. इसमें स्वर्ण रथ समेत कई तरह के वैभव नजर आते हैं. इस अखाड़े की पेशवाई में हाथी भी शामिल होता है. इस अखाड़े के साधुओं को देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी भी आते हैं.