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केजीएमयू दीक्षांत समारोह; राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बोलीं- भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए संयम और धैर्य से काम लें - KGMU CONVOCATION 2024

किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह (KGMU CONVOCATION 2024) शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मौजूदगी में मनाया गया. इस दौरान राज्यपाल ने मेधावी छात्र-छात्राओं को डिग्री और मेडल प्रदान किए.

केजीएमयू दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल.
केजीएमयू दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल. (Photo Credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 9:42 PM IST

केजीएमयू दीक्षांत समारोह : देखें लखनऊ संवाददाता की रिपोर्ट. (Video Credit : ETV Bharat)

लखनऊ : यह दीक्षांत समारोह हमारे लिए काफी गौरवशाली है. इसमें जितने भी मेडल हैं, वह केवल दो लड़कियों ने ही हासिल किये हैं. यह नारी सशक्तिकरण का बेहतर उदाहरण है. हमारे देश में सभी के स्वास्थ्य सेवा की कामना की जाती है. महात्मा गांधी कहते थे कि सोना-चांदी की नहीं, स्वास्थ्य की बात होनी चाहिए, पर आज हम सोने-चांदी के पीछे पड़े हैं. किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की ख्याति प्रदेश में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी अपने विशेष पहचान रखता है. इस प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान ने अनगिनत कुशल डॉक्टर, शिक्षाविद्, वैज्ञानिक एवं रिसर्च स्कॉलर देश और दुनिया को दिए हैं. यह बातें राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के 20वें दीक्षांत समारोह में कहीं.

Photo Credit: ETV Bharat (Photo Credit: ETV Bharat)

डाॅक्टर संयम बनाए रखें

राज्यपाल ने कहा कि आपने चिकित्सा के एक नोबेल भविष्य को चुना है. चिकित्सा क्षेत्र में एक जीवन रक्षक की भूमिका में आप हैं. आपके पास आने वाले हर मरीज के आप एक बड़ा सहारा है. आप पूरी संवेदना और करुणा से आने वाले सभी मरीजों की सेवा करेंगे. आपके लिए बहुत गौरव की बात है कि आप विश्व के प्रतिष्ठित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के छात्र हैं. राज्यपाल ने कहा कि कभी-कभी इलाज के दौरान तीमारदार और मरीजों के साथ कुछ घटनाएं हो जाती हैं. ऐसे में डॉक्टरों को भी अप्रिय घटना से गुजरना पड़ता है. ऐसे में उन्हें धैर्य और संयम बनाए रखने की जरूरत है.

केजीएमयू के दीक्षांत समारोह में मौजूद छात्र-छात्राएं. (Photo Credit: ETV Bharat)

देश में 23 एम्स की स्थापना

राज्यपाल ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 10 वर्षों के लगातार प्रयास से मौजूदा समय देश में 7 एम्स से बढ़कर 23 एम्स हो गए हैं. मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 706 पहुंच गई है. 51 हजार एमबीबीएस की सीटों से बढ़कर एक लाख नौ हजार 115 तक हो गई है. आयुष्मान कार्ड 30 जून तक पूरे देश में 34 करोड़ से अधिक बन गए हैं.

1152 छात्र-छात्राओं को मिलीं डिग्रियां

समारोह में 15 मेधावियों को गोल्ड, सिलवर व ब्राउंज मेडल से नवाजा गया. केजीएमयू कि कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि मेडल पाने वालों में सात छात्राएं व आठ छात्र हैं. 1152 छात्र-छात्राओं को डिग्रियां भी प्रदान की गईं. इसमें पीएचडी, डीएम, एमसीएच, एमडी, एमएस, डिप्लोमा, एमबीबीएस, डेंटल, मास्टर ऑफ हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, बीएससी रेडियोथेरेपी टेक्नोलॉजी, बीएससी ऑप्ट्रोमेट्रिस्ट, एमएससी नर्सिंग, बीएससी नर्सिंग कोर्स के छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गईं. इनमें छात्र-छात्राएं केजीएमयू समेत 15 दूसरे मेडिकल संस्थानों के शामिल हैं. साथ ही देश के दो प्रमुख डॉक्टरों को डीएचसी की उपाधि से नवाजा गया.

सबसे ज्यादा 15 मेडल देवांशी को मिले

केजीएमयू का सबसे प्रतिष्ठित हीवेट गोल्ड मेडल एमबीबीएस छात्रा देवांशी कटियार को मिला है. साथ ही देवांशी ने अन्य 15 गोल्ड मेडल हासिल किए हैं. इसके अलावा छात्रा अकांक्षा को छह गोल्ड व एक ब्राउंज, बीडीएस छात्रा मोनिका चौधरी को तीन गोल्ड, एक कैश प्राइज, दो सिलवर, एक ब्राउंज व प्रमाण पत्र, बीडीएस छात्र सौभाग्य अग्निहोत्री को छह गोल्ड व तीन सिलवर मेडल प्रदान किए गए. प्लास्टिक सर्जरी विभाग से एमसीएच छात्र डॉ. भीमावारेपु जी. रेड्डी को गोल्ड, सर्जिकल आंकोलॉजी में एमसीएच छात्र डॉ. अभिषेक कुमार वर्मा को गोल्ड, न्यूरोलॉजी में डीएम छात्र क्रीर्तिराज डीबी को गोल्ड मेडल मिला. यूरोलॉजी में एमसीएच छात्र डॉ. नितेश देवशे देव को गोल्ड, न्यूरोलॉजी में डीएम छात्रा डॉ. पूजा त्रिपाठी को गोल्ड, गठिया रोग विभाग से डीएम की उपाधि लेने वाले डॉ. श्यान मुखर्जी, कॉर्डियोलॉजी में डीएम की डिग्री लेने वाले डॉ. सौम्या गुप्ता को गोल्ड मेडल प्रदान किया गया. पल्मोनरी मेडिसिन में डीएम छात्र हेमंत कुमार को गोल्ड, एमएससी नर्सिंग छात्रा डॉ. अंजू शुक्ला को गोल्ड मेडल दिया गया. पीजी थीसिस के लिए सरिता कुमारी को 30 हजार रुपये की स्कॉलरशिप प्रदान की गई. केजीएमयू के पूर्व शिक्षक डॉ. माम चन्द्रा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड व डॉ. केबी भाटिया गोल्ड मेडल से नवाजा गया.

मेडिकल को कॅरियर नहीं इसे जीने का माध्यम बनाएं

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. राजीव बहल महानिदेशक आईसीएमआर ने कहा कि इस अमृत काल में हमें एक ग्लोबल लीडर के तौर पर सोच कि जरूरत है. यह देखना होगा कि अगले 20 से 25 साल में देश को हेल्थ केअर सेक्टर को कैसे विकसित देशों के बराबर बनाया जा सकता है. इसके लिए आज से ही अपने देश और समाज को आगे लेकर जाने के लिए आपको बहुत कुछ करना होगा. इसके लिए नए दवा के बनाने के साथ ही इलाज के लिए नए-नए अविष्कार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से कोविड जैसे महामारी के समय मे हमने अपनी खुद की दवा बने के साथ ही विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण को सफल बनाया है.

उन्होंने डिग्रीधारक नए डॉक्टरों को कहा कि वह अपने पैशन को फॉलो करें, अपना खुद का रास्ता बनाएं. आज से 35 साल पहले मैंने जब अपनी पढ़ाई पूरी की तब मैंने कई जगह काम किया और तीनों जगह से हर बार त्याग पत्र दिया. फिर आगे पीएचडी किया फिर एम्स दिल्ली में 10 साल सीनियर रिसर्चर के तौर पर काम किया फिर वहां से भी इस्तीफा देकर आगे बढ़ा. उन फील्ड में गया जहां पर कुछ नया करने का मौका था. जिसमें आईसीएमआर जैसी संस्थाओं में काम करना भी शामिल है. मैं आज यहां से डिग्री लेकर जा रहे सभी डॉक्टरों को कहूंगा कि वह मेडिकल को कॅरियर नहीं, बल्कि इसे जीने का एक माध्यम बनाए यही आपके डिग्री का सार्थक मतलब होगा.

विशिष्ट अतिथि उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि केजीएमयू उच्च चिकित्सा का संस्थान रहा है, यहां पढ़ाई के साथ इलाज की बेहतर सुविधा है. यहां के ओपीडी के 9 हजार से अधिक मरीज आते हैं. यहां तक कि यहां के ट्रॉमा सेंटर में हर समय इतनी भीड़ होती है जैसे लगता है यहां ओर गंगा मेला लगा हुआ है इस तरह की भीड़ रहता है. ये आप लोगों की सेवा का ही असर है यहां आने वाला हर मरीज बेहतर स्वास्थ्य लाभ लेकर जाता है. आप लोग यहां आने वाले मरीजों को भगवान की तरह मानें और उनकी सेवा करें. यही आपके माता पिता यहां भेजने का जो काम किया है वो सफल होगा. ब्रजेश पाठक ने कहा कि में राज्यपाल और केजीएमयू की कुलपति को यह भरोसा दिलाता हूं कि इस संस्थान के विकास के लिए हमारी सरकार की तरफ से जो भी जरूरी होगा वो सब पूरा किया जाएगा. हमने अपने सरकार के बजट में इसके लिए पहले से ही काफी व्यवस्था कर रखा है.

समारोह में काली पट्टी बांधकर पहुंचे डॉक्टर

दीक्षांत समारोह के मंच पर पश्चिम बंगाल में साथी डॉक्टर के साथ हुए रेप व हत्या के विरोध डिग्री ले रहे डॉक्टरों में देखने को मिला. मंच पर डिग्री लेने पहुंचे डॉक्टरों ने विरोध स्वरूप अपने हाथों पर काली पट्टी बांध रखी थी. इसमें महिला और पुरुष दोनों डॉक्टर शामिल थे.

मेडल पाने वालों से बातचीत

मैं कानुपर के तमरापुर की रहने वाली हूं. देहरादून में रहकर 12वीं तक पढ़ाई पूरी की है. मेरे पिता शिवशंकर कटियार डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्री सेंटर से रिटायर हैं. मां सरिता कटिहार श्रीनगर में पॉलिटेक्निक में प्रिंसिपल हैं. भाई शांतनु कटियार यूएस में मास्टर्स की पढ़ाई कर रहा है. मैं अपने परिवार की 7वें नंबर की डॉक्टर हूं. मेरे चाचा के बेटे और बेटी ने नीट की प्रवेश परीक्षा पास की है. डॉक्टर बनने की प्रेरणा मुझे परिवार से ही मिली. पढ़ाई कोई भी बशर्ते उसे मन लगाकर की जाए. मेरा सपना सिविल सर्विस में जाने का है, ताकि मेडिकल क्षेत्र के लिए बेहतर माहौल बना सकूं.

- डॉ. देवांशी कटियार, हीवेट, चांसलर व यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल

मैं लखनऊ में कृष्णानगर की रहने वाली हूं. मेरे पिता संतोष कुमार यूपी ग्रामीण सहकारिता बैंक में मैनेजर हैं मां निर्मला देवी गृहिणी हैं. बहन ऋचा आईआईटी रुड़की से बीटेक और छोटा भाई शिवम 12वीं के बाद तैयारी कर रहा है. डॉक्टरी पेशे में आने के लिए मुझे हाईस्कूल से ही शिक्षक से प्रेरणा मिली थी. माता-पिता ने आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. मैं परिवार की पहली डॉक्टर बनूंगी. आगे मेडिसिन की पढ़ाई करना चाहती हूं. डॉक्टरी पेशे में बड़े बदलाव की जरूरत है. कार्य स्थल खास कर महिलाओं की विशेष सुरक्षा के इंतजाम होने चाहिए. इसके लिए सरकार को ध्यान देंना चाहिए.

- आकांक्षा, लखनऊ

मैं बीडीएस छात्रा हूं. मूलता रायबरेली की रहने वाली हूं. मेरे पिता जय प्रकाश चौधरी रायबरेली आईटीआई में इंजीनियर हैं. मां रेखा चौधरी गृहिणी हैं. बड़ी बहन अनामिका बंगलूर में विप्रो कंपनी में इंजीनियर हैं. मैं एमबीबीएस करना चाहती थी. कुछ नम्बर से रुक गया. बीडीएस में दाखिला लिया. इसमें भी मैं अच्छा करुंगी. कभी भी घरवालों ने कोई प्रेशर नहीं दिया. मेरा डॉक्टर बनने का सपना साकार होने वाला है. आग में पीजी की तैयारी करना चाह रही हूं.

- मोनिका चौधरी, रायबरेली

कानपुर के किदवई नगर का रहने वाला हूं. मेरे पिता सर्वेश अग्निहोत्री ब्रेकरी कारोबारी हैं मां निशा गृहिणी हैं. बड़ी बहन तपस्या फैशन डिजाइनर हैं. मैं परिवार के पहले डॉक्टर बनूंगी. मेरी नानी को ओरल कैंसर हो गया था उस समय मैं छोटा था. बचपन मे मैंने नानी की तकलीफ देखी थी. जिसके बाद डॉक्टर बनने की ठान ली. परिवारीजनों का पूरा सहयोग मिला, हमारा लक्ष्य सर्जन बनने का है. सरकारी अस्पताल में नौकरी करके जरूरतमंद मरीजों की मदद करूंगा.

- सौभाग्य अग्निहोत्री, कानपुर

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