लखनऊ : उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विकास करने वाला राज्य है. ऐसे में प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आने से वहां पर्यावरण में बदलाव, प्रदूषण और इन जैसी समस्याओं को किस तरह से रोका जाए. इसके लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) के साथ एमओयू साइन किया है.
इस अवसर पर मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रभु राम-श्रीकृष्ण की यह धरती देश के पर्यटकों की पहली पसंद है. यहां आने वाले पर्यटकों के सुविधाओं, पर्यटन स्थलों और पर्यटक सुविधाओं के निरंतर विकास का कार्य किया जा रहा है. पर्यटन या उससे जुड़े विकास कार्यों को इस तरह से करना जो लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायक हो एवं पर्यटन स्थल के पर्यावरणीय संरक्षण व सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सतत (सस्टेनेबल) पर्यटन को बढ़ाए. इसका लक्ष्य पर्यटन स्थलों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, साथ ही स्थानीय समुदायों को पर्यटन से होने वाले लाभ में भागीदार बनाना है. इसी को पूरा करने के लिए एमओयू किया गया है. इस अवसर पर प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया व आईसीआरटी की इंडिया हेड मनीषा पांडे उपस्थित रहीं.
प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि भारत में रिस्पांसिबल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आईसीआरटी इंडिया फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2017 में की गई. इसे एक गैर लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया. जिसका मुख्यालय भोपाल में है. इस संस्था से रिस्पांसिबल टूरिज्म से जुड़े टूर-ट्रेवेल व्यवसायी, होटल व्यवसायी और पर्यटन के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्स जुड़े हैं. इस एमओयू के बाद आईसीआरटी हमारे पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों के वहा आने से हर सेक्टर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही उन जगहों पर पर्यटन गतिविधियों के बढ़ने से वहाँ के पर्यावरण पर क्या असर हो रहा, कहीं उसको नुकसान तो नहीं हो रहा है. साथ ही लोकल लोगों के जीवन पर कहां प्रभाव पड़ रहा है यह भी जानने का मौका मिलेगा.