लखनऊ : उत्तर प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है. यहां बड़ी संख्या में लोग खेती-किसानी और इससे जुड़े कारोबार में लगे हुए हैं. यूपी के साथ केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को संपन्न और समृद्ध बनाने का प्रयास किया जा रहा है. हालांकि योजनाओं के तमाम दावों से इतर धरातल पर कई अड़चनें और बाधाएं हैं. इन अवरोधों के चलते सरकार की मंशा के अनुरूप किसानों को लाभ नहीं हो रहा है.
यूपी में कृषि योजनाओं की पहल और क्रियान्वयन को खंगालती ईटीवी भारत की खास खबर. (Video Credit : ETV Bharat) राष्ट्रीय कृषि विकास योजना :राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) भारत में कृषि के सर्वांगीण विकास के लिए एक प्रमुख पहल है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में विविधता लाते हुए बागवानी उत्पादन को बढ़ावा देना, पोषण सुरक्षा को मजबूत करना और किसानों की आय में वृद्धि करना है.
राष्ट्रीय कृषि योजना के लाभ. (Photo Credit : ETV Bharat) कार्यक्रम और योजनाएं : आरकेवीवाई के तहत विभिन्न योजनाओं को शामिल किया गया है. जिनमें बीज उत्पादन, नवीन उद्यान रोपण, पुष्प क्षेत्र विस्तार, मसाला विकास, मौनपालन और तुड़ाई उपरांत प्रबंधन कार्यक्रम प्रमुख हैं. इन योजनाओं के तहत किसानों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है.
आवेदन प्रक्रिया : इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसानों को upagriculture.com पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है. पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेजों में भूमि की पहचान, किसान की पहचान और बैंक खाते की जानकारी शामिल है.
उत्तर प्रदेश किसान उदय योजना 2024:उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के किसानों के हित में एक क्रांतिकारी योजना की शुरुआत की है. 'किसान उदय योजना' के तहत राज्य के किसानों को नि:शुल्क सोलर पंप प्रदान किए जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस पहल से लगभग 10 लाख सोलर पंप वितरित करने की योजना है. जिससे किसानों को बिजली के बिल में राहत मिलेगी और उनकी आय में वृद्धि होगी.
मुफ्त सोलर पंप योजना. (Photo Credit : ETV Bharat) योजना का उद्देश्य : योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भरता से मुक्त कराना है. सोलर पंप की मदद से किसान अब बिना बारिश और बिजली की चिंता के अपनी फसलों की सिंचाई कर सकेंगे. यह कदम किसानों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है. किसान उदय योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. योजना से जुड़ी सभी जानकारी और आवेदन प्रक्रिया के लिए अधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं.
किसानों को होगा बड़ा फायदा : किसान उदय योजना के लागू होने के बाद किसानों को सिंचाई में किसी भी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा. बिजली के बिल की चिंता से मुक्त होकर वे अपनी फसल की सिंचाई सुचारु रूप से कर सकेंगे. यह योजना न केवल उनकी आय में वृद्धि करेगी, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सुधार लाएगी. कुल मिलाकर, 'किसान उदय योजना' उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है. किसानों को चाहिए कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं और अपनी खेती को उन्नत बनाएं.
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना:प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan) के तहत सरकार छोटे और सीमांत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है. हालांकि इनकम टैक्स देने वाले व्यक्ति इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं. आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन है. किसान योजना की आधिकारिक वेबसाइट www.pmkisan.gov.in पर जाकर आसानी से आवेदन किया जा सकता है. कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) से किसान ऑनलाइन आवेदन करा सकते हैं. इसके लिए आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, भूमि का खसरा-खतौनी जैसे जरूरी दस्तावेज जरूरी हैं. आवेदन के बाद किसान ऑनलाइन पोर्टल पर अपनी आवेदन स्थिति और किस्तों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
योजना से जुड़े फायदे : योजना के तहत किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से ₹6,000 वार्षिक आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. हर चार महीने में योजना की एक किस्त किसानों के खाते में भेजी जाती है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से पैसा सीधे किसानों के बैंक खाते में जमा होता है, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो जाती है. इससे छोटे और सीमांत किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं. किसान किसी भी समस्या के समाधान के लिए किसान कॉल सेंटर: 1800-180-1551 और पीएम किसान हेल्पलाइन नंबर 155261 / 011-24300606 पर सीधे संपर्क कर सकते हैं.
मुख्यमंत्री किसान दुर्घटना कल्याण बीमा योजन. (Photo Credit : ETV Bharat) मुख्यमंत्री किसान दुर्घटना कल्याण योजना:उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए एक अहम कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री किसान दुर्घटना कल्याण योजना की शुरुआत की है. योजना के तहत किसान के साथ-साथ उनके परिवार के उन सदस्यों को भी लाभ मिलेगा, जिनका मुख्य जीविका का साधन कृषि से होने वाली आय है. इसके अलावा ऐसे भूमिहीन किसान जो पट्टे या बटाई पर कृषि कार्य करते हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ दिया जाएगा.
इन दुर्घटनाओं में भी मिलेगा लाभ : पेड़ गिरने से नुकसान या मृत्यु, भूस्खलन, यात्रा में दुर्घटना, बिजली गिरने से, बाढ़ में बह जाने से, पशु के काटने से, बिजली के करंट से, आग से जलने पर, मकान गिरने से, आतंकवादी हमले में, झगड़े में दुर्घटना, गड्ढे में गिरने से, डकैती में हत्या के मामले में किसान या उनके परिवार को योजना का लाभ मिलेगा.
योजना का लाभ उठाने की प्रक्रिया :योजना के तहत लाभ के लिए किसानों को आधिकारिक पोर्टल e-District पर आवेदन करना होगा. इसके लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी होगी.
- पोर्टल पर जाकर "Registered User Login" सेक्शन में लॉगिन करें.
- यदि पहले से पंजीकृत नहीं हैं, तो "New User Registration" पर क्लिक कर पंजीकरण करें.
- लॉगिन करने के बाद "आवेदन पत्र" पर क्लिक करें और योजना से संबंधित आवेदन पत्र खोलें.
- मांगी गई सभी जानकारी जैसे दुर्घटना पीड़ित का विवरण, पता, व्यवसाय, दुर्घटना का विवरण आदि भरें.
- आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें और आवेदन पत्र सबमिट करें.
योजना की पात्रता : आवेदक किसान की आयु 18 से 70 वर्ष के बीच होनी चाहिए. 14 सितंबर 2019 के बाद हुई दुर्घटनाओं में पीड़ित किसान के परिवार को भी योजना का लाभ मिलेगा. योजना का लाभ उन किसानों को भी मिलेगा जो 60 प्रतिशत या उससे अधिक विकलांगता का शिकार हुए हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना:किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फसल बीमा योजना के तहत प्रीमियम दरों में भारी कमी की है. खरीफ फसलों के लिए अब केवल 2% और रबी फसलों के लिए 1.5% का ही प्रीमियम किसानों को देना होगा. इसके अलावा वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए प्रीमियम दर मात्र 5% तय की गई है. सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान से बचाने के लिए यह कदम उठाया है. प्रीमियम का अधिकांश हिस्सा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. पूर्व में लागू प्रीमियम दर पर कैपिंग की नीति को समाप्त कर दिया गया है. जिससे अब किसानों को बिना किसी कटौती के पूरी बीमित राशि मिल सकेगी.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रीमियम की शेष राशि पर कोई ऊपरी सीमा नहीं होगी, चाहे वह 90% ही क्यों न हो, यह सरकार द्वारा वहन की जाएगी. दावा भुगतान प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए तकनीकी उपायों को भी प्रोत्साहित किया जाएगा. फसल कटाई के डेटा को स्मार्टफोन, रिमोट सेंसिंग ड्रोन और जीपीएस तकनीक के माध्यम से एकत्रित और अपलोड किया जाएगा. जिससे दावा भुगतान में देरी को कम किया जा सके. वित्तीय वर्ष 2016-2017 के बजट में इस योजना के लिए 5,550 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इस बीमा योजना को भारतीय कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) द्वारा संचालित किया जाएगा. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस) और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एमएनएआईएस) के स्थान पर लागू किया गया है. इस योजना को सेवा कर से भी छूट दी गई है.
हर ब्लाॅक में कृषि संसाधन केंद्र की जरूरत:प्रगतिशील किसान मेवालाल ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार की किसानों के हित में कई अहम योजनाएं चल रही हैं. हालांकि छोटे किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान अपनी जमीन बेचकर शहरी क्षेत्र में बस रहे हैं. योजनाओं के सफल क्रियांवयन के लिए हर ब्लॉक में कृषि संसाधन केंद्र होना चाहिए. जहां पर एक ही छत के नीचे सभी योजनाओं का लाभ, प्रशिक्षण, खेती किसानी की जानकारी किसानों को मिल सके.
किसान मेवालाल के अनुसार सरकार कृषि क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है. जिससे न सिर्फ कृषि क्षेत्र में राज्य मुख्य भूमिका में रहेगा, बल्कि किसानों की आय भी दोगनी होगी. किसान लगातार रासायनिक फर्टिलाइजर का प्रयोग कर रहा है. हर साल सरकार उर्वरक पर 70 से 80 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है. फर्टिलाइजर के प्रयोग से किसान की लागत भी दोगुनी हो रही है. पहले एक एकड़ आलू के फसल में 5 किलो DAP उर्वरक डालता था, लेकिन अब एक एकड़ में 50 किलो डीएपी उर्वरक डाल रहा है. उस फसल के इस्तेमाल से कई बीमारियों को जन्म दे रहे हैं. अगर किसान अपनी खेती के बचे हुए वेस्ट को देसी खाद के तौर पर उपयोग करे तो उसे फर्टिलाइजर का कम प्रयोग होगा और उपजाऊ जमीन बनेगी और आय भी दोगुनी होगी. सरकार इसके लिए योजना बना करके किसानों को प्रेरित कर सकती है.
किसान मेवालाल का कहना है कि भारत में असम एक ऐसा राज्य है जहां पर कृषि के लिए अलग से बजट पेश किया जाता है. वहां के किसान निरंतर आगे बढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है यहां पर कृषि बजट बहुत कम है. सरकार को उसका बजट बढ़ाना चाहिए और अलग से कृषि बजट पेश करना चाहिए. मनरेगा के अंतर्गत काम कर रहे मजदूरों को कृषि से जोड़ना चाहिए. सरकार लगातार ऑर्गेनिक खेती पर जोर दे रही है. भारत सरकार ने ऑर्गेनिक खेती पर विशेष बजट भी दिया है, लेकिन इस दिशा में जमीनी हकीकत एकदम अलग है. ऑर्गेनिक खेती से किसानों की आय में लगातार गिरावट आ रही है. प्रभावी योजना लागू किया बिना किसान ऑर्गेनिक खेती की तरफ नहीं जाएगा.
पशु बीमा योजना में सुधार की जरूरत:डेयरी उद्योग से जुड़े संदीप सक्सेना ने बताया कि किसान डेयरी क्षेत्र और पशुपालन क्षेत्र में निरंतर प्रयास कर आय दोगुना करने के प्रयास में जुटा है, लेकिन पशुओं के लिए बाजार में उपलब्ध दवाओं की कीमत काफी ज्यादा है. जिसकी वजह से पशुओं का इलाज काफी महंगा है. पशु की मृत्यु की दशा में किसान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है. सरकार पशु बीमा योजना का लाभ लेने की कहती है, लेकिन बीमा योजना पशुपालकों के लिए लाभदायक नहीं है. बाजार में एक लाख से डेढ़ लाख तक भैंस की कीमत है. जबकि सरकार की योजना के तहत भैंसों की सिर्फ 60 हजार कीमत के हिसाब से ही बीमा होता है. इस बीमित राशि का ₹8000 प्रति साल प्रीमियम अदा करना होता है. ऐसे में किसान अपने जानवरों का बीमा नहीं करवाता है. सरकार इस योजना में सुधार लाना होगा.
संदीप सक्सेना के अनुसार किसान लगातार नई फसलों की खेती पर भी जोर दे रहा है, लेकिन उसको बाजाप नहीं मिल पा रहा है. जिसकी वजह से उसके लिए नई फसल की खेती घाटे का सौदा साबित हो रहा है. लिहाजा किसान पारंपरिक खेती छोड़ नहीं पा रहा है. उदाहरण के तौर पर अगर देवी पाटन क्षेत्र का किसान ड्रैगन फ्रूट का खेती करेगा तो उसको मार्केट नहीं मिल पाएगा. अलबत्ता लखनऊ का किसान अगर ड्रैगन फ्रूट की खेती करेगा तो उसको बाजार उपलब्ध हो सकता है. ऐसे में सामूहिक खेती का प्रावधान बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.
जलवायु परिवर्तन बड़ा चैलेंज : भूजल विशेषज्ञ
जलवायु परिवर्तन के विशेषज्ञ डॉ. आरके सिन्हा का कहना है कि खेती किसानी के लिए जल की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है. बगैर सिंचाई के किसी भी खेती को अंजाम तक नहीं पहुंचा जा सकता है. उत्तर प्रदेश में करीब 75 हजार किलोमीटर नहरें हैं. हालांकि सिंचाई के समय पर नहरों में पानी नहीं होता है. ऐसे में किसान भूजल दोहन करता है. जिससे कृषि उपज की लागत बढ़ जाती है. कई क्षेत्रों में सूखा भी पड़ता है. सूखा क्षेत्र के किसानों को मुआवजा अस्थाई समाधान है.
भूजल दोहन का स्थाई समाधान नहीं :डॉ. आरके सिन्हा के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान धान, गन्ने और केले की खेती पर जोर दे रहा है जैसे बहराइच बाराबंकी लखीमपुर खीरी में धान,केले और गन्ने की खेती ज्यादा हो रही है और सरकार भी किसानों को प्रोत्साहन राशि दे रही है ऐसे में यह चिंता का विषय है कि इन फसलों में कई बार सिंचाई करना पड़ता है और किसान भूमि से जल दोहन करते हैं. अगर यही हाल रहा तो जलस्तर निरंतर नीचे जा सकता है और जल संकट का भी सामना करना पड़ सकता है. कई बार ऐसा होता है कि शहरों में पानी की खपत ज्यादा होती है, लेकिन सूखा और जलस्तर ग्रामीण क्षेत्रों में नीचे चला जाता है और कई बार ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की खपत बढ़ने पर शहरी क्षेत्र में जलस्तर नीचे चला जाता है. ऐसे में अगर जल दोहन निरंतर होता रहा तो न सिर्फ शहरी क्षेत्र में जल संकट होगा, बल्कि आने वाले 20 साल में ग्रामीण क्षेत्र में भी जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.
बोरवेल के लिए कोई नीति नहीं :डॉ. आरके सिन्हा का कहना है कि सरकार ने बोरवेल के लिए कोई नीति नहीं बनाई है. जिन किसानों के पास एक बीघा जमीन है वह भी बोरवेल कर सकते हैं. जिसके पास 50 एकड़ जमीन है वह भी बोरवेल करवा सकता है. ऐसे में सरकार के पास बोरवेल का कोई आंकड़ा नहीं है. सरकार को चाहिए कि इस पर एक कानून बना करके इसको नियंत्रित करने का प्रयास करें.
किसानों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास : औलख
कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख का दावा है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास कर रही है. सरकार ने कई योजनाएं ला करके किसानों को आर्थिक तौर पर समृद्ध किया है. कृषि यंत्र पर सरकार ने छूट दे रही है. बीज उत्पादकों को भी अनुदान की व्यवस्थ है. बिजली बिल में छूट, मुफ्त सोलर पंप और उर्वरक की वजह से किसान लगातार आगे बढ़ रहा है. किसान नई-नई खेती पर ध्यान दे रहे हैं.
कृषि राज्य मंत्री ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती पर सरकार किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. ड्रैगन फ्रूट्स, लहसुन, प्याज, स्ट्रॉबेरी की खेती फायदेमंद साबित हो रही है. सरकार प्रोत्साहन राशि के साथ बीज भी उपलब्ध करा रही है. कृषि यंत्रों पर छूट के संबंध में पोर्टल न चलने की शिकायत पर विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया गया है. सरकार किसानों को मोटे अनाज के पैदावार के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में मोटे अनाज की डिमांड लगातार बढ़ रही है. क्रय केंद्रों पर सरकार के प्रयास से बिचौलिए खत्म हुए हैं और उनको अपनी फसल की सही कीमत मिल रही है. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सरकार विचार कर रही है.
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