लखनऊ : राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रदेश में 36 नर्स मेंटर को नियुक्ति दी गई थी. यह नियुक्ति इन्हें आज से 10 वर्ष पहले मिली थी. इन्हें सरकारी अस्पतालों, सीएचसी और पीएचसी स्वास्थ्य केंद्रों में नियुक्त किया गया था. इनका काम था कि जिस जगह पर गर्भवतियों का प्रसव होता है उसका पूरा मैनेजमेंट संभालना, लेकिन बिना बताए तीन दिन के भीतर इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया. एनएचएम का कहना है कि सरकार के पास इसके लिए फंड नहीं है. बहरहाल बीते 10 साल मरीजों की सेवा में लगीं नर्स मेंटर अब बेरोजगार हो गईं हैं. नर्स मेंटर कोविड कर्मचारियों की तरह समायोजित करने की मांग कर रहीं हैं.
बदायूं से लखनऊ पहुंचीं विनीता पाल का कहना है कि बीते छह महीने से हम बेरोजगार बैठे हैं. 10 साल तक हमने स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दीं, लेकिन उसके बदले हमें बेरोजगार कर दिया गया है. कोई भी अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है. मंत्रियों से मिलने की कोशिश करते हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिलता है. परेशान होकर हमने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय का घेराव किया. विनीता ने बताया कि बीते बुधवार को एनएचएम कार्यालय में अधिकारी ने सभी को डांट कर भगा दिया. इसके बाद गुरुवार से शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन शुरू किया है.
सोनभद्र से पहुंचीं वसुंधरा त्रिपाठी ने कहा कि आज हम सड़क पर खड़े हैं. यह एनएचएम की ही देन है. हमने 10 वर्षों तक मरीजों की सेवा की. हमें जो जिम्मेदारी दी गई हमने उसका निर्वहन पूरी निष्ठा से किया, लेकिन आज हमारे साथ दोहरा व्यवहार किया जा रहा है. प्रदेशभर में हम जितने भी नर्स मेंटर हैं, सभी को कार्यविहीन कर दिया गया है. वह भी बिना समय दिए. तीन दिन में नोटिस दिया गया और तुरंत ही निकाल दिया गया. हमारा घर परिवार इसी आजीविका पर आश्रित था. घर की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है. इसी तनख्वाह से हमारा घर चला था, लेकिन पिछले छह महीने से घर की स्थिति काफी खराब है.