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मिट्टी के जादूगरों का मेला: हाथों का हुनर देख हैरान रह जाएंगे आप, 30 तक आप भी घूम आइए..

Matikala Mela 2024: लखनऊ में शिल्पकारों की प्रदर्शनी में एक से बढ़कर एक उत्पाद ग्राहकों का मन मोह रहे हैं.

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माटीकला मेला 2024 (Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

लखनऊ: राजधानी लखनऊ में हस्तकला का अधिक ही स्थान है. यही कारण है कि शहर में समय-समय पर हस्तशिल्प मेला का आयोजन होता है. माटी कला बोर्ड की ओर से दीपावली के मौके पर सोमवार से 10 दिवसीय माटीकला मेला (21-30 अक्टूबर) माटीकला मेला खादी भवन में लगा है. जिसमें, प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए शिल्पकार एवं कारीगर स्टॉल लगाकर मिट्टी से निर्मित अपनी उत्कृष्ट कलाकृतियों का प्रदर्शन कर रहे है.

इस मौके पर मंत्री कार्यक्रम के मुख्य अतिथि खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री राकेश सचान ने कहा, कि मुख्यमंत्री माटीकला रोजगार योजना के माध्यम से अब तक 48,000 माटी कला कारीगर परिवारों को चिन्हित करते हुए 13607 विद्युत चालित चाक का वितरण किया जा चुका है. वर्ष 2024-25 में 2,325 विद्युत चालित चाक एवं 375 पगमिल वितरित करने का लक्ष्य है. इसके अतिरिक्त लक्ष्मी गणेश की मूर्ति निर्माण के लिए 603 जोड़ी डाई, 31 पेटिंग मशीन, 81 दिया मेंकिंग मशीन के साथ ही प्रदेश में मिट्टी खोदने के लिए कुल 33,530 माटी कला कारीगरों और परिवारों को पट्टों का वितरण किया जा चुका है. उन्हें पंजीकृत ऋण का 25 प्रतिशत मार्जिन मनी धनराशि प्रदान की गयी है.

माटीकला मेला में कलाकृतियों का प्रदर्शन, कारीगरों ने दी जानकारी (photo credit: ETV BHARAT)
मंत्री राकेश सचान ने कहा, कि मुख्यमंत्री माटीकला रोजागार योजना के तहत विगत 4 वर्षों में 880 लाभार्थियों को बैंको के माध्यम से ऋण स्वीकृत कर इकाईयां स्थापित करायी जा चुकी है. वर्तमान वर्ष में 300 इकाईयों की स्थापना का लक्ष्य है. माटीकला कारीगरों के लिए यूपी में 5 सालों से मण्डल स्तर पर 270 एवं राज्य स्तर पर 15 कारीगरों को पुरस्कृत किया जा चुका है. इस वर्ष भी उत्कृष्ट कारीगरों को उनकी कलाकृतियों के लिए पुरस्कृत किया जाएगा.
खिलौने देख दंग रह जाएंगे आप. (photo credit: ETV BHARAT)
माटीकला मेले में उत्कृष्ट कलाकृतियों का प्रदर्शन. (photo credit: ETV BHARAT)
एक से बढ़कर एक उत्पाद. (photo credit: ETV BHARAT)

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प्रदेश में अब तक पीलीभीत, रामपुर, कन्नौज, अमरोहा, फिरोजाबाद एवं बाराबंकी सहित कुल 6 कॉमन फैसेलिटी सेन्टर की स्थापना की जा चुकी है, जिसके अन्तर्गत माटीकला के छोटे-छोटे सामूहिक केन्द्र स्थापित कर उन्हें सुविधा सम्पन्न कराये जाने की दिशा में सरकार निरन्तर प्रयासरत है. उन्होंने कहा, कि आम जनता से भी अपील की गई है, कि दीपावली के शुभ मौके पर इस प्रदर्शनी में अधिक से अधिक लोग आए और शिल्पकारों द्वारा मिट्टी से निर्मित कलात्मक एवं आकर्षक कलाकृतियों की खरीदारी करे और इसका लाभ उठाए.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान दुकानदारों ने कहा, कि इस तरह के मंच से हमें आत्मविश्वास मिलता है. मेले में जो भी सामान उपलब्ध है, सभी हस्तशिल्प वाले हैं. फिर चाहे वह गणेश लक्ष्मी की मूर्ति हो या फिर कोई डेकोरेशन का समान. वहीं, एक महिला दुकानदार ने बताया, कि वह अपनी दुकान में एक ऐसी सुगंधित मोमबत्ती लेकर आई है, जिसे बनाने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है. महिला संगठन के साथ काम करती है. खुद का स्टार्टअप शुरू किया है. मेले में इसका अच्छा फीडबैक मिल रहा है.

मौके पर महाप्रबन्धक, माटीकला बोर्ड डॉ. उज्ज्वल कुमार ने बताया, कि मेले में विभिन्न जनपदों से आए पराम्परागत कारीगरों द्वारा निर्मित विभिन्न उत्पादों का भव्य प्रदर्शन और बिक्री की जा रही है. प्रदर्शनी में लगभग 50 स्टाल लगाए गए है, जिन्हे कारीगरों को निशुल्क आवंटित किया गया है. इस प्रदर्शनी में माटी कला से सम्बन्धित सभी प्रकार के उत्पाद उपलब्ध है. प्रदर्शनी का मुख्य आकषर्ण बोर्ड द्वारा वितरित डाई से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, लखनऊ के सिरेमिक्स कलात्मक उत्पाद, आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी, गोरखपुर का टेराकोटा, कानपुर के मिट्टी से निर्मित बर्तन, खुर्जा के चीनी मिट्टी से बने उत्पाद और अन्य सजावटी सामान एवं विभिन्न प्रकार के डिजाइनर दिये तथा अलग-अलग जनपदों से विभिन्न विधाओं से निर्मित उत्पाद बिक्री के लिए उपलब्ध है.

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