लखनऊ : किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (क्वीनमेरी) के डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे भ्रूण को खून चढ़ाकर जान बचाने में कामयाबी हासिल की है. क्वीनमेरी में पहली बार फिटल ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया है. ऑपरेशन के बाद शिशु पूरी तरह से सेहतमंद है. विभागाध्यक्ष डॉ. अंजु अग्रवाल ने बताया कि क्वीनमेरी में भ्रूण चिकित्सा सुविधा शुरू की गई है. अब हमने आरएच-इसोइम्युनाइजेशन गर्भावस्था के इलाज में सफलता प्राप्त की है.
बताया गया कि उन्नाव के आर्दश नगर निवासी गर्भवती प्रतिमा वर्मा का इलाज कानपुर में चल रहा था. सात माह के गर्भावस्था के दौरान भ्रूण की सेहत की जांच हुई. जिसमें भ्रूण में खून की कमी पाई गई. डॉक्टरों ने गर्भवती को क्वीनमेरी लखनऊ रेफर कर दिया. परिवारीजन गर्भवती को लेकर क्वीनमेरी पहुंचे तो डॉ. सीमा मेहरोत्रा ने जांच की. केस हिस्ट्री में पता चला गर्भवती लाल रक्त कोशिका एलोइम्युनाइजेशन की शिकार हुई. इससे भ्रूण का हीमोग्लोबिन घटकर सात बचा है. जिससे हार्ट फेल की आशंका बढ़ जाती है. इसके बाद गर्भ में ही भ्रूण को खून चढ़ाने का फैसला किया गया. पहली बार डाॅक्टरों ने दो अगस्त को भ्रूण को रक्त चढ़ाया गया. फिर दो अगस्त और फिर 19 अगस्त को भर्ती किया गया. 20 को ऑपरेशन से स्वस्थ शिशु का जन्म हुआ. डॉ. सीमा मेहरोत्रा ने बताया कि क्वीन मैरी में पहली बार गर्भास्थ शिशु को खून चढ़ाया गया है. चिकित्सा विज्ञान में इसे इंट्रायूट्राइन ट्रांसफ्यूजन कहते हैं. इसमें अल्ट्रासाउंड की मदद से सुई के जरिए गर्भाश्य में ही भ्रूण को रक्त चढ़ाया जाता है.
भूण में हो जाती है खून की कमी