कोरबा: पहली ही बारिश ने कोरबा नगर निगम की मानसून की तैयारी की पोल खोल दी है. हर साल की तरह वार्ड न. 12 चिमनीभट्ठा में लोगों के घरों में बारिश का पानी घुस गया है. नालियों में भरा कचरा और सीवर की गंदगी लोगों के घरों तक पहुंच गई. घरों में बारिश का पानी घुसने से लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ी.
कोरबा में बारिश से घरों में भरा पानी, निचली बस्तियां जलमग्न - Rain In Korba - RAIN IN KORBA
RAIN IN KORBA कोरबा में मानसून की पहली बारिश में नगर निगम की पोल खुल गई है. निचली बस्तियों में लोगों के घरों में पानी भर गया. जिससे लोगों को रातभर जाग कर पानी में खड़े होकर रहना पड़ा.KORBA LOWER SETTLEMENTS SUBMERGED
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jul 2, 2024, 7:57 AM IST
|Updated : Jul 2, 2024, 8:47 AM IST
घर में घुसा पानी करना पड़ा रतजगा :शनिवार रविवार देर रात हुई भारी बारिश के बाद लगातार बारिश से नदी नाले उफान पर हैं. जिससे वार्ड नंबर 12 चिमनीभट्ठा में जलभराव हो गया. यही हाल नेशनल हाईवे बनने बाद कटघोरा के समीप बेलतरा के निवासियों का हुआ है. सड़क की ऊंचाई बढ़ने के साथ जल निकासी कोई प्रबंध होने से बरसात का पानी लोगों के घर तक पहुंच गया है. भारी बारिश से मुड़ापार रिंग रोड में मारुति शो रूम की वर्कशाप के यार्ड में भी पानी भर गया. यार्ड में रखे सभी सोल्ड गाड़ियों को कर्मचारियों ने बाहर निकला और नगर निगम को सूचना दी. निगमकर्मी पानी निकासी की व्यवस्था में लगे रहे.
मुड़ापार निवासी मंगली शर्मा के घर में पानी घुस गया था. मंगल ने बताया कि परिवार और छोटे बच्चों को लेकर रतजगा करना पड़ा. जबकि एल. मंगली ने बताया कि हर साल की यही समस्या है. क्षेत्र की महिलाओं का कहना है कि वार्ड पार्षद से लेकर निगम के अफसरों को समस्या के बारे में कई बार बताया गया लेकिन हर साल में बारिश में उनकी परेशानी कम नहीं हुई.
दर्री तहसील में सबसे ज्यादा बारिश:एक जून से अब तक जिले में 1776.10 मिली मीटर बारिश हो चुकी है. बीते वर्ष की तुलना में यह 239.12 मिलीमीटर ज्यादा है. तहसील में हुई बारिश का आंकलन किया जाए तो अब तक सर्वाधिक 222.4 मिली मीटर दर्री तहसील में हुई है. वहीं सबसे कम 60 मिली मीटर वर्षा अजगरबहार तहसील में दर्ज किया गया है. अब तक हुई बारिश को कृषि कार्य के अनुकूल माना जा रहा है. कृषि विभाग ने किसानों को जल संरक्षण के लिए सतर्क किया है. मानसून की सक्रियता के साथ सहकारी दुकानों में खाद व बीज की मांग बढ़ गई है.