शिमला: लंबी कशमकश और चिंतन-मंथन के बाद आखिरकार कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में कांगड़ा और हमीरपुर के टिकट फाइनल कर दिए. कांग्रेस की लिस्ट आते ही आनंद शर्मा का नाम देखकर सियासी पैंतरों की चीरफाड़ यानी पोस्टमार्टम करने वालों में आश्चर्य है. आनंद शर्मा इससे पहले कभी लोकसभा चुनाव नहीं लड़े हैं और तो और आनंद शर्मा ने एकमात्र विधानसभा चुनाव लड़ा है, जिसमें उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा वाया राज्यसभा ही दिल्ली पहुंचते रहे हैं. लोकसभा चुनाव का ये उनका पहला अनुभव होगा. हाल ही के समय में आनंद शर्मा कांग्रेस के जी-23 समूह में सक्रियता के कारण चर्चित रहे हैं. सियासी गलियारों में कहा जाता है कि पार्टी में एक तरह से वे हाशिए पर धकेल दिए गए हैं.
कांग्रेस प्रत्याशी आनंद शर्मा ने कोई चुनाव नहीं जीता: आनंद शर्मा ने कोई चुनाव नहीं जीता है. वे 1982 में शिमला सीट पर विधानसभा चुनाव में दौलतराम चौहान से हार चुके हैं. कुछ-कुछ ऐसा ही हाल सतपाल सिंह रायजादा का है. रायजादा ने अब तक दो विधानसभा चुनाव लड़े हैं. एक जीत और एक हार के साथ अब लोकसभा चुनाव का ये उनका पहला अनुभव होगा. वहीं, उनके मुकाबले अनुराग सिंह ठाकुर चार बार के विजेता हैं और पांचवां चुनाव जीतने के लिए धुआंधार प्रचार में जुटे हैं. अनुराग ठाकुर केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में एक ताकतवर मंत्री हैं. वहीं, आनंद शर्मा यूपीए सरकार में प्रभावशाली मंत्री रहे हैं. आनंद शर्मा ने विदेश के अलावा वाणिज्य मंत्रालय भी संभाला है. उनके मुकाबले में भाजपा के डॉ. राजीव भारद्वाज चुनाव लड़ रहे हैं. डॉ. राजीव का ये पहला चुनावी अनुभव है.
आनंद शर्मा के नाम पर कैसे लगी मुहर:कांगड़ा सीट से कांग्रेस में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही थी. पहले आशा कुमारी और आरएस बाली के नाम की चर्चा चली. इनके साथ ही डॉ. राजेश शर्मा का नाम भी आया. आरएस बाली नगरोटा सीट से पहली बार विधायक बनकर सदन में पहुंचे हैं. वे लोकसभा चुनाव में लड़ने से कतरा रहे थे. आरएस बाली ने हाईकमान को एक पत्र भी लिखा था कि चुनावी मैदान में उतारने से पहले उनका पक्ष सुना जाए. बाली नगरोटा से विधायक के रूप में ही पारी खेलने की लालसा रखते हैं. फिर आशा कुमारी के नाम पर भी सहमति नहीं बनी. प्रदेश से लेकर केंद्र तक में आशा कुमारी के नाम पर आम राय नहीं बन रही थी. बाद में ये तय हुआ कि कांगड़ा से किसी ब्राह्मण चेहरे को उतारा जाए. हाईकमान की नजर आनंद शर्मा पर टिकी. उन्हें टिकट देने के लिए सभी में सहमति बन गई.