अलवर. लोकसभा चुनाव 2024 के मंगलवार को घोषित परिणाम में जिले के विधायकों की साख भी दांव पर लगी थी. इसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और वन मंत्री संजय शर्मा अपने— अपने प्रत्याशियों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों से बड़ी लीड दिलाकर साख बचाने में कामयाब रहे, लेकिन कांग्रेस विधायक दीपचंद खैरिया और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी खुद ललित यादव अपने विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को बढ़त नहीं दिला पाए. हालांकि राजगढ— लक्ष्मणगढ से विधायक मांगेलाल मीणा, रामगढ विधायक जुबेर खान, तिजारा से विधायक महंत बालकनाथ और बहरोड़ विधायक डॉ जसवंत यादव अपने क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को लीड दिलाने में कामयाब रहे.
लोकसभा चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव के चुनाव में उतरने के बाद यह अलवर सीट को हाई प्रोफाइल हो गई थी. अलवर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह और राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली का भी गृह जिला है. कांग्रेस ने अपने युवा विधायक ललित यादव को चुनाव मैदान में उतारा था. इस कारण इस हॉट सीट पर सब की निगाहें रही. दोनों के बीच मुकाबला भी दिलचस्प रहा. भाजपा प्रत्याशी भूपेंद्र यादव ने 48 हजार 282 वोट से जीत दर्ज की थी.
छह महीने में ही बदला अलवर का राजनीतिक परिदृश्य:अलवर लोकसभा क्षेत्र में आने वाली 8 विधानसभाओं का 6 महीने में ही राजनीतिक परिदृश्य बदल गया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुंडावर, किशनगढबास, अलवर ग्रामीण, रामगढ व राजगढ—लक्ष्मणगढ में जीत दर्ज की. वहीं, भाजपा बहरोड, तिजारा व अलवर शहर में ही सीट निकालने में कामयाब हो पाई. विधानसभा चुनाव के छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा 5 और कांग्रेस 3 विधानसभा क्षेत्रों में लीड लेने में सफल हो गई. विधानसभा चुनाव में 5 सीटों पर कब्जा जमाने वाली कांग्रेस लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर ही बढ़त दिलाने में सफल हो सकी. जबकि विधानसभा चुनावों में तीन सीटों पर सिमटी भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर लीड ली.
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