लखनऊ : अपने बयानों को लेकर लगातार चर्चा में रहने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में एक नई पार्टी भी बना ली थी, लेकिन इस पार्टी का उन्हें फिलहाल कोई फायदा मिलता नजर नहीं आ रहा है. सूत्रों के मुताबिक, स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी में अपनी वापसी को लेकर कोशिशों में जुट गए हैं.
सूत्रों के मुताबिक, जल्द स्वामी प्रसाद की घर वापसी हो सकती है और बसपा सुप्रीमो पार्टी उनका वेलकम कर सकती हैं. आठ साल पहले टिकट के लिए पैसे सिंडिकेट का आरोप लगाकर बीएसपी के लिए मुसीबत खड़ी करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य की वापसी होती है तो पार्टी के पुराने नेताओं के लिए भी पार्टी में रास्ते खुल सकते हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री व राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य से जुड़े बेहद करीबी सूत्रों ने "ईटीवी भारत" को जानकारी दी है कि बसपा में उनकी वापसी की तैयारी अंतिम दौर में है. हालांकि, अभी स्वामी प्रसाद की बीएसपी सुप्रीमो से मुलाकात नहीं हो पाई है, लेकिन उच्च पदस्थ पदाधिकारियों से बात फाइनल हो गई है. एक से दो दिन में बीएसपी सुप्रीमो से मुलाकात कर स्वामी प्रसाद मौर्य वापस बीएसपी में शामिल हो सकते हैं.
स्वामी प्रसाद मौर्य की गिनती उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती रही है. वे पांच बार विधायक रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी की तरफ से नेता सदन भी रहे, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी में रहते हुए ही 22 जून 2016 को टिकट के लिए पैसे सिंडिकेट का आरोप लगाकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. इस दावे के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने उस दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका खंडन किया और स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधा था.
इसके बाद जुलाई 2016 में स्वामी प्रसाद मौर्य ने लोकतांत्रिक बहुजन मंच नामक अपनी संगठनात्मक इकाई के गठन की घोषणा की, जिसे लखनऊ के रमाबाई अंबेडकर रैली मैदान में लॉन्च किया गया था. इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने राजनीतिक करियर को देखते हुए मार्च 2017 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद अपने लिए सेफ सीट सुरक्षित कर ली. योगी आदित्यनाथ सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया.
11 जनवरी 2022 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा चुनाव से ठीक एक माह पहले योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के कैबिनेट मंत्री पद के साथ-साथ बीजेपी से भी इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सभी वर्गों के साथ अन्याय कर रही है. बीजेपी से इस्तीफे के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन समाजवादी पार्टी ने उनके गढ़ पडरौना से उन्हें टिकट नहीं दिया. इसकी जगह फाजिलनगर से चुनाव लड़ने के लिए कहा, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी से स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए. हालांकि चुनाव हारने के बावजूद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उन्हें विधान परिषद सदस्य बनाया, लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य का मन ज्यादा दिन समाजवादी पार्टी में नहीं लगा.