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जूते बनाता था पिता, बेटा अंबाला लोकसभा सीट से तीन बार बना सांसद, जानें रतनलाल कटारिया का राजनीतिक सफर - Lok Sabha Election 2024

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने इस सीट से बंतो कटारिया को उम्मीदवार बनाया है. बंतो कटारिया पूर्व केंद्रीय मंत्री और इस सीट से सांसद रहे स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की पत्नी हैं. रतन लाल कटारिया के पिता ज्योति राम हाथ से जूते बनाने का काम करते थे.

Lok Sabha Election 2024
Lok Sabha Election 2024

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 3, 2024, 1:48 PM IST

चंडीगढ़: अंबाला लोकसभा सीट का इतिहास जितना पुराना है. उतना ही दिलचस्प भी है. इस सीट से दिग्गज नेता केंद्रीय मंत्री ही नहीं बल्कि कई राज्यों के राज्यपाल तक बने हैं. स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने अंबाला से ही राजनीतिक पारी का आगाज किया था. जो बाद में विदेश मंत्री बनीं. इसके अलावा बीजेपी नेता सूरजभान उत्तर प्रदेश और हिमाचल के राज्यपाल रहे. दो महीने बिहार का अतिरिक्त कार्यभार भी उनके पास रहा. खास बात ये भी है कि ये हरियाणा की इकलौती सीट है, जो शुरू से अब तक अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित है.

जूते बनाने का काम करते थे रतन लाल कटारिया के पिता: वर्तमान की बात करें, तो लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने इस सीट से बंतो कटारिया को उम्मीदवार बनाया है. बंतो कटारिया पूर्व केंद्रीय मंत्री और इस सीट से सांसद रहे स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की पत्नी हैं. अंबाला लोकसभा सीट से स्वर्गीय रतन लाल कटारिया दो बार से सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे. कटारिया के पिता ज्योति राम हाथ से जूते बनाने का काम करते थे. ये व्यवसाय उन्होंने साल 1941 में शुरू किया. इसी से वो आठ लोगों के परिवार के भरण-पोषण करते थे.

बेटे को विधायक, सांसद और केंद्रीय मंत्री बनते देखा: कुरुक्षेत्र लाडवा के ज्योति राम अपने घर से थोड़ी दूरी पर एक अस्थाई झोपड़ी में जूते बनाने का काम करते थे. इसी जगह से उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण शुरू किया और फिर बेटे रतन लाल कटारिया को लाल बत्ती तक पहुंचते देखा. उन्होंने अनुसूचित (आरक्षित) जाति से बेटे रतन लाल कटारिया को विधायक से लेकर चीफ पार्लियामेंट सेक्रेटरी, भाजपा अध्यक्ष, सांसद और फिर केंद्रीय मंत्री बनते भी देखा. इसके बाद भी उन्होंने जूते बनाने का काम नहीं छोड़ा.

बेटे के सांसद बनने के बाद जूते के काम को नहीं छोड़ा: पूर्व दिवंगत सांसद रतन लाल कटारिया परिवार के साथ पंचकूला स्थित मनसा देवी कॉम्प्लेक्स के सेक्टर-4 में आकर बसे. उनसे उनके पिता के जूते बनाने के कामकाज बारे पूछा गया था. उस दौरान रतन लाल कटारिया ने कहा था "मैंने अपने पिता से बार-बार ये काम बंद करने को कहा, लेकिन वो (ज्योति राम) कहते हैं कि वो अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहते.

अंबाला लोकसभा सीट से वर्तमान में बीजेपी प्रत्याशी बंतो कटारिया के ससुर ज्योति राम कह चुके हैं कि "मैं उस काम को छोड़ना नहीं चाहता, जिसने मुझे अपने बच्चों को पालने और परिवार की देखभाल करने में मदद की. ये मुझे उस संघर्ष की याद दिलाता है. जिससे हम कभी गुजरे थे. उस झोपड़ी में ही रतन लाल कटारिया देश हित की योजना बनाते थे." ज्योति राम ने अपने जूते बनाने के काम को अपना सम्मान और सौभाग्य बताया और अपनी तंदुरुस्ती (फिटनेस) का कारण भी अपने काम को मानते रहे हैं.

स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की राजनीतिक यात्रा: अंबाला लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रहे रतन लाल कटारिया की राजनीतिक यात्रा लाडवा के एक स्कूल से शुरू हुई. वो कक्षा तीन में आरएसएस से जुड़े. इस दौरान उन्होंने वकील की डिग्री ली. युवा वकील के रूप में रतन लाल कटारिया ने वर्ष 1987 में चुनाव लड़ा और 32 साल की उम्र में रादौर विधायक चुने गए. फिर वर्ष 1999 में अंबाला से सांसद बनने के बाद परिवार के साथ पंचकूला आकर बसे थे. इसके बाद वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में लगातार दो बार सांसद बने.

'पति का सपना पूरा करने का प्रयास': वर्तमान में अंबाला लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार बंतो कटारिया के पति रतनलाल कटारिया ने बतौर सांसद कहा था कि वो पंचकूला में एक विश्वविद्यालय या आईआईएम लाना चाहते हैं, क्योंकि शहर को शिक्षा के लिए चंडीगढ़ पर निर्भर बताया था. वो रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करने की भी चाहत रखते थे. अब अवसर मिला तो दिवंगत रतन लाल की पत्नी बंतो कटारिया पति के सपने को पूरा करने का प्रयास कर सकती हैं. बंतो कटारिया ने शादी के बाद एलएलबी की डिग्री ली. वो वर्ष 1980 में भाजपा की सदस्य बनी और फिर मंडल अध्यक्ष, प्रदेश उपाध्यक्ष रही.

अंबाला में मतदादातों की संख्या 19 लाख 78 हजार 278 है. अंबाला लोकसभा क्षेत्र में 100 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 1735 मतदाता हैं. जबकि 80 से अधिक उम्र के 62288 मतदाता हैं. सबसे अधिक बुजुर्ग मतदाता अंबाला सिटी और कालका में हैं. अंबाला जिला के विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो 80 से अधिक उम्र के 5501 और 100 से अधिक उम्र के 204 मतदाता हैं. अंबाला सिटी में 8814 और 330 मतदाता हैं. वहीं मुलाना में 5201 और 170 बुजुर्ग मतदाता हैं. इसी प्रकार जिला पंचकूला के कालका विधानसभा हलके की बात करें तो यहां 80 से अधिक उम्र के 12787 और 100 से अधिक उम्र के 293 मतदाता हैं. वहीं पंचकूला में 5022 और 152 मतदाता हैं. वहीं यमुनानगर के साढ़ौरा में 6090 और 144, जगाधरी में 6219 और 149, यमुनानगर में 7163 और 176 मतदाता हैं.

26680 युवा मतदाता पहली बार करेंगे वोट: अंबाला लोकसभा क्षेत्र में इस बार 18 व 19 वर्ष के 26680 मतदाता पहली बार अपने मताधिकारों का प्रयोग करेंगे. इनमें सबसे अधिक युवा मतदाता पंचकूला में हैं. पंचकूला के कालका में 3384, पंचकूला में 3451, अंबाला के नारायणगढ़ में 2456, अंबाला छावनी में 2253, अंबाला सिटी में 2748, मुलाना में 3387, यमुनानगर के साढ़ौरा में 3189, जगाधरी में 3204, यमुनानगर में 2608 युवा मतदाता हैं. इनके अलावा 13539 दिव्यांग मतदाता हैं. इनमें कालका में 1141, पंचकूला में 1192, नारायणगढ़ में 1146, अंबाला छावनी में 1288, अंबाला सिटी में 1784, मुलाना में 1940, यमुनानगर के साढ़ौरा में 2371, जगाधरी में 1452, यमुनानगर में 1185 दिव्यांग मतदाता हैं.

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