मिर्जापुर: मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र धार्मिक पर्यटन के साथ ही भारत की चुनावी राजनीति में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. 1952 से लेकर अब तक यहां पर 7 बार कांग्रेस, 4 बार समाजवादी पार्टी, 2 बार बहुजन पार्टी, 2 बार बीजेपी, 2 बार अपना दल, एक बार भारतीय जनसंघ, एक बार जनता पार्टी, एक बार जनता दल ने जीत दर्ज की है. कोई भी लगातार 3 बार इस सीट से सांसद नहीं बना है. यानि कि यहां से किसी नेता की हैट्रिक नहीं लगी है.
मिर्जापुर में क्या-क्या है खास: धार्मिक और प्रकृतिक दृष्टि से मिर्जापुर जनपद अपने में परिपूर्ण है. आज भी यहां विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में मां विंध्यवासनी मंदिर और चुनार का किला और विंढम फाल जैसे स्थान है, जिन्हें पर्यटन की दृष्टि से पूर्वाचल ही नहीं प्रदेश भर में जाना जाता है. धार्मिक स्थल का विकास होना शुरू हो गया है. मां विंध्यवासनी मंदिर का कायाकल्प हो गया है. विंध्य कॉरीडोर का निर्माण हो जाने से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ गई है तो वहीं विंढम फाल जैसे दर्जनों झरने आज भी वैसे ही हैं जैसे आजादी के समय थे.
किसी भी सांसद ने नहीं कराया समुचित विकास:किसी भी राजनीतिक दल और नेता ने समुचित विकास की ओर ध्यान ही नहीं दिया. छोटे-मोटे उद्योग जो पहले संचालित होते थे वह आज बंद होने के कगार पर हैं. चाहे वह कालीन हो या पीतल बर्तन या चुनार का पॉटरी उद्योग. हालांकि तीनों उद्योग को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कई बार कोशिश की. मगर अभी लाभ नहीं मिल रहा है. हाईवे की सड़को को छोड़ दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों का हालत खस्ता है.
मिर्जापुर लोकसभा सीट पर कौन से मुद्दे हावी:शिक्षा के क्षेत्र में भी विकास हुआ है. मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज और केंद्रीय विद्यालय चल रहे हैं, विश्वविद्यालय का भी शिलान्यास कर दिया गया है. मिर्जापुर लोकसभा सीट पर इस चुनाव में बाहरी, बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा देखा जा रहा है.
फूलन देवी दो बार मिर्जापुर से जीतकर पहुंची थीं संसद:उत्तर प्रदेश में कुल 80 संसदीय सीटें हैं. मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र 5 विधानसभा क्षेत्र मिलकर बना है. इस सीट से दस्यु सुंदरी फूलन देवी और दस्यु ददुवा के भाई बालकुमार पटेल भी जीत दर्ज कर चुके हैं. 1952 से लेकर अब तक यहां पर सात बार कांग्रेस, चार बार समाजवादी पार्टी, दो बार बहुजन पार्टी, दो बार बीजेपी, दो बार अपना दल, एक बार भारतीय जनसंघ, एक बार, जनता पार्टी, एक बार जनता दल ने जीत दर्ज की है.
अब तक मिर्जापुर में नहीं लगी जीत की हैट्रिक:जॉन एन विल्सन 1952 और 57 में कांग्रेस से, श्याम धर मिश्रा 1962 में कांग्रेस से, वंश नारायण सिंह 1967 में भारतीय जन संघ से, अजीज इमाम 1971 में कांग्रेस से, फकीर अली अंसारी 1977 में जनता पार्टी से, अजीज इमाम 1980 में कांग्रेस से, उमाकांत मिश्र 1981 कांग्रेस से, उमाकांत मिश्र 1984 कांग्रेस से, यूसुफ बेग 1989 में जनता दल से, बिरेन्द्र सिंह 1991 में भाजपा से, फूलन देवी 1996 में सपा से, बिरेन्द्र सिंह 1998 में भाजपा से, फूलन देवी 1999 में सपा से, रामरती बिन्द 2002 सपा से, नरेंद्र कुशवाहा 2004 में बसपा से, रमेश दुबे 2007 में बसपा से, बालकुमार पटेल 2009 में सपा से, अनुप्रिया पटेल 2014 में अपना दल से और अनुप्रिया पटेल 2019 में अपना दल सोनेलाल से जीत दर्ज की है.
मिर्जापुर का क्या है जातीय समीकरण:मिर्जापुर लोकसभा सीट मिर्जापुर भदोही सीट से 2009 में कट कर मिर्जापुर लोकसभा के नाम हो जाने से कुर्मी बाहुल्य इलाका हो गया. पहले मिर्जापुर भदोही लोकसभा सीट के नाम से था, दोनों जनपद शामिल थे. 2009 से मिर्जापुर भदोही अलग-अलग लोकसभा बन गई.
सभी पार्टियां जातीय समीकरण को देखते हुए यहां पर टिकट देती हैं. जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां पर एक लाख 50 हजार ब्राह्मण, एक लाख 50 हजार वैश्य, 90 हजार क्षत्रिय, एक लाख 25 हजार कोल, 3 लाख 50 हजार पटेल, अन्य ओबीसी तीन लाख, तीन लाख दलित, एक लाख 50 हजार मुस्लिम, एक लाख 50 हजार मौर्य कुशवाहा, एक लाख यादव, एक लाख 50 हजार बिंद केवट हैं.