लखनऊःलोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में बड़ा उलटफेर हुआ है. भारतीय जनता पार्टी और एग्जिट पोल के विपरीत परिणाम उत्तर प्रदेश में आए हैं. जिसकी वजह से एनडीए 36 सीटों पर ही सिमट गई. जिसमें भाजपा 33 और सहयोगी दल को 3 सीटें मिली हैं. इस बार कई दिग्गज नेताओं के बेटे चुनावी मैदान में थे लेकिन विरासत को आगे नहीं बढ़ा पाए. जबकि कुछ नेताओं के बेटों ने जीत कर विरासत संभालने में कामयाब हुए हैं.
भाजपा से सिर्फ करण भूषण बढ़ा पाए पिता की विरासत
चर्चित भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण, सपा के कद्दावर नेता रेवती रमण के बेटे उज्ज्वल रमण, पूर्व सांसद और वर्तमान विधायक तूफानी सरोज की बेटी प्रिया सरोज (मछलीशहर), समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव और यूपी में कई बार कैबिनेट मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र सरोज, सपा के कद्दावर नेता शिवपाल यादव के बेटा आदित्य यादव और सपा से पूर्व सांसद मुनव्वर हसन की बेटी इकरा हसन (कैराना) से जीत कर अपने पिता की विरासत को आगे बढाया है.
कैसरगंज सांसद करण भूषण. (ETV BHARAT GRAPHICS) करण भूषणःभारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष और 5 बार के सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को महिला पहलवानों द्वारा लगाए आरोपों के चलते भाजपा ने इस बार इन्हें टिकट न देकर बेटे करण भूषणपर भरोसा जताया था. करण भूषण पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव में उतरे और 5 लाख 71 हजार 263 वोट पाकर जीत दर्ज पिता की विरासत को आगे बढ़ाया है. 13 दिसंबर 1990 को जन्मे करण भूषण नेशनल लेवल के शूटर हैं. करण ने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी से बीबीए और एलएलबी किया है. इसके अलावा आस्ट्रेलिया से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की है.
इलाहाबाद सांसद उज्जवल रमण सिंह. (ETV BHARAT GRAPHICS) उज्ज्वल रमण सिंहः इलाहाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े उज्जवल रमण सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी नीरज त्रिपाठी को शिकस्त दी है. उज्जवल रमण सिंह को 4,62,145 तो नीरज त्रिपाठी को 4,03,350 वोट मिले. उज्जवल रमण सिंह ने नीरज त्रिपाठी को 58,795 वोटों से हराकर पिता रेवती रमण सिंह की विरासत आगे बढ़ाने में सफल हुए हैं. करछना तहसील के बरांव गांव में जन्मे उज्जवल रमण सिंह ने राजनीतिक करियर की शुरुआत 2004 में की थी. 2004 लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद लोकसभा सीट से पिता रेवती रमण सिंह सांसद चुने गए. इसके बाद करछना विधानसभा सीट पर हुए उप चुनाव उज्जवल रमण सिंह ने जीत दर्ज की और मुलायम सिंह यादव की सरकार में पर्यावरण मंत्री बने थे. दूसरी बार 2017 में करछना विधानसभा सीट से भी विधायक बने थे. लोकसभा चुनाव से पहले उज्जवल रमण सिंह सपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
मछलीशहर शांसद प्रिया सरोज. (ETV BHARAT GRAPHICS) प्रिया सरोजः मछलीशहर लोकसभा सीट से सबसे कम उम्र की सांसद प्रिया सरोज चुनी गई हैं. 4,51,292 वोट पाकर प्रिया सरोज ने भाजपा उम्मीदवार बीपी सरोज को 35 हजार 850 वोटों से हराकर अपने पिता तूफानी सरोज की विरासत संभाल ली है. प्रिया सरोज के पिता तूफानी सरोज . तूफानी सरोज 1999 से लेकर 2014 तक सैदपुर और मछली शहर लोकसभा से सांसद चुने गए. हालांकि 2014 की मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में वो केराकत सुरक्षित विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. 1988 में जन्मी प्रिया सरोज सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर काम कर रही थीं. प्रिया ने स्कूली शिक्षा नई दिल्ली में एयर फ़ोर्स गोल्डन जुबली इंस्टीट्यूट से पूरी की. दिल्ली विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ़ आर्ट्स (बीए) और नोएडा में एमिटी यूनिवर्सिटी से एलएलबी करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रही हैं.
कौशांबी सांसद पुष्पेंद्र सरोज. (ETV BHARAT GRAPHICS) देश के सबसे युवा संसद बनने पुष्पेंद्र सरोज ने बनाया रिकॉर्डःकौशाम्बी लोकसभा सीट से 1 मार्च 1999 को जन्मे पुष्पेंद्र सरोज (25 साल, 3 महीने और 3 दिन) उम्र में भारत के सबसे युवा सांसद चुने गए हैं. पुष्पेंद्र ने भारतीय संसदीय इतिहास में सबसे कम उम्र के सांसद का चंद्रानी मुर्मू का रिकॉर्ड तोड़ा है. पुष्पेंद्र सरोज ने बीजेपी के दिग्गज नेता और पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री और दो बार से सांसद विनोद सोनकर को एक लाख से ज्यादा वोटों से हराकर पिता इंद्रजीत सरोज की विरासत संभाली है. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राष्ट्रीय महासचिव और यूपी में कई बार कैबिनेट मंत्री रहे इंद्रजीत सरोज के बेटे पुष्पेंद्र कुछ दिनों पहले ही लंदन से अपनी पढ़ाई पूरी कर वापस लौटे हैं. पुष्पेंद्र अकाउंटिंग एंड मैनेजमेंट में बीएससी करने के लिए लंदन जाने से पहले देहरादून के वेल्हम बॉयज़ स्कूल में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी.
कैराना से नवनिर्वाचित सांसद इकरा हसन. (ETV BHARAT GRAPHICS) इकरा हसनः कैराना लोकसभा सीट से इकरा हसन चौधरी से सांसद बनकर परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया है. इकरा हसन को 528013 वोट मिले हैं. जबकि भाजपा उम्मीदर प्रदीप कुमार को 458897 वोट ही मिले. इकरा ने प्रदीप को 69116 वोटों से हराकर अपनी पीढ़ी की चौथी सासंद बनी हैं. इकरा के दादा अख्त हसन 1984 में कैराना से कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे। उन्होंने बीएसपी सुप्रीमो मायावती को हराया था। पिता मुन्नवर हसन समाजवादी पार्टी से सांसद चुने गए थे, जिनकी 2008 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. वहीं, मां तबस्सुम हसन 2009 में बसपा से सांसद थीं. जबकि भाई नाहिद हसन वर्तमान में विधायक हैं. 1995 में जन्मी इकर हसन की शुरुआती पढ़ाई कैराना से ही हुई. बाद में उन्होंने दिल्ली के क्विंस मेरी स्कूल से 12 वीं तक की शिक्षा ली. 12वीं क्लास के बाद लंदन से अपनी पढ़ाई की. उन्होंने साल 2020 में लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS) यूनिवर्सिटी से पॉलिटिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. इससे पहले इकरा जिला पंचायत का चुनाव लड़ चुकी हैं, हालांकि 500 वोटों से हार गई थी. इकरा नौ सालों से राजनीति में सक्रिय है.
बदायू सांसद आदित्य यादव. (ETV BHARAT GRAPHICS) आदित्य यादवःअखिलेश यादव के चचेरे भाई यानी शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव बंदायू से सांसद बनकर परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया है. हालांकि इस सीट से पहले अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को मैदान में उतारा था. लेकिन शिवपाल ने खुद चुनाव न लड़कर बेटे आदित्य यादव को टिकट लिया था. पहली बार आदित्य सिंह यादव को 5 लाख 1 हजार 855 वोट मिले हैं. उन्होंने बीजेपी के दुर्विजय सिंह शाक्य को शिकस्त दी है. बता दें कि 12 जून 1988 को पैदा हुए आदित्य सिंह यादव इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है. आदित्य इंडियन फार्म फॉरेस्ट्री कोऑपरेटिव लिमिटेड (आईएफएफडीसी) के निदेशक मंडल में हैं.305 से अधिक लोगों की संस्था ग्लोबल बोर्ड ऑफ इंटरनेशनल को-ऑपरेटिव एलायंस के सबसे कम उम्र के निदेशकों में से भी एक हैं.
संभल से नवनिर्वाचित सांसद जिया उर रहमान. (ETV BHARAT GRAPHICS) जिया उर रहमान बर्कः संभल लोकसभा सीट से सपा के प्रत्याशी जिया उर रहमान बर्क़ ने भाजपा प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी को लगभग सवा लाख वोटों से हराकर अपने दिवंगत दादा डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क़ की राजनीतिक विरासत को बरकरार रखा है. मामलुक उर रहमान बर्क के बेटे जियाउर्रहमान बर्क ने महज 26 साल की उम्र में राजनीति में कदम रखा था. 2017 विधानसभा चुनाव में सपा से टिकट नमिलने शफीकुर्रहमान बर्क ने एआइएमआइएम से जियाउर्रहमान बर्क को संभल विधानसभा से टिकट दिलवाया और चुनाव भी लड़वाया। पहले चुनाव में 60 हजार से ज्यादा मत पाकर दूसरा स्थान पर रहे थे. 2022 में पहली बार सपा के टिकिट पर मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से चुनाव जीत कर विधायक बने. जिया जिया उर रहमान एएमयू से राजनीतिक शास्त्र में बीए किया और रुहेलखंड विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और नोएडा एलाइड कॉलेज से लॉ की पढ़ाई से की है.
इन्होंने पिता की विरासत की लुटिया डुबोई
एटा से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री के कल्याण सिंह के बेटे पूर्व सांसद राजवीर सिंह इस बार जीत नहीं सके. वहीं, निषाद पार्टी अध्यक्ष संजय निषाद अपने बेटे प्रवीण कुमार निषाद को राजीति में एंट्री कराना चाह रहे थे लेकिन सफल नहीं हुए. संतकबीर नगर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे प्रवीण निषाद को सपा उम्मीदवार लक्ष्मीकांत निषाद से शिकस्त मिली. इसी तरह सुभासपा अध्यक्ष ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी लोकसभा सीट से चुनाव हार गए. अरविंद को सपा उम्मीदवार संजीव राय से हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और पूर्व सांसद नीरज शेखर बलिया लोकसभा सीट से चुनाव हार गए. नीरज शेखर को सपा उम्मीदवार सनातन पांडे ने हरा दिया. इसी रामजन्म भूमि निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के बेटे और भाजपा प्रत्याशी साकेत मिश्रा श्रावस्ती लोकसभा सीट से हार गए हैं. साकेत मिश्रा को सपा उम्मीदवार राम शिरोमणि ने हराया है. वहीं, सपा के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा की पोती श्रेया वर्मा गोंडा से चुनाव हार गईं. श्रेया वर्मा को तीसरी बार चुनाव लड़ रहे कीर्तिवर्धन से हराकर केंद्र में राज्यमंत्री बने हैं.
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