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फर्रुखाबाद में मुद्दे दरकिनार, जातीय गणित तारनहार; पार्टी से ज्यादा चेहरे को मिल रही तवज्जो - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Farrukhabad Lok Sabha Seat Voting Date: एक आईपीएल 2024 दूसरा लोकसभा चुनाव, फर्रुखाबाद के लोग दोनों पर काफी ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में भाग्य आजमा रहे योद्धाओं ने मतदान नजदीक आने के साथ मुद्दों को किनारे कर दिया है. हार-जीत के लिए जातीय आंकड़ा फिट किया जा रहा है. वहीं, मतदाताओं की चुप्पी न टूटने से इस बार का चुनाव और रोमांचक होता जा रहा है. देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले समय में वोटर किस पार्टी पर विश्वास जताता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 30, 2024, 11:53 AM IST

फर्रुखाबाद:Farrukhabad Lok Sabha Seat Result Date: फर्रुखाबाद लोकसभा सीट में एटा के अलीगंज सहित पांच विधानसभा क्षेत्र जुड़े हैं. जातीय आंकड़ों पर नजर डालें तो राजनीतिक जानकारों के अनुसार विधानसभा क्षेत्र सदर, भोजपुर, अमृतपुर, कायमगंज व जनपद एटा के अलीगंज सहित लोधी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक हैं. दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता आते हैं.

इसके बाद मुस्लिम, यादव, क्षत्रिय और ब्राह्मण मतदाताओं का वर्चस्व है. हालांकि पाल, कुर्मी, बाथम, राठौर, अनुसूचित जाति के मतदाताओं की भी शाख हैं. बड़े राजनीतिक दलों में भाजपा ने लगातार तीसरी बार लोधी समाज पर भरोसा जताकर निवर्तमान सांसद को फिर प्रत्याशी बनाया है.

वहीं, सपा ने भी इस बार सटीक दांव खेलते हुए लोकसभा क्षेत्र में दूसरे नंबर पर संख्या बल के शाक्य प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. वहीं, बसपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी पर भरोसा जताकर चुनावी रण में ताल ठोंकी है. कांग्रेस का सपा के साथ गठबंधन है इसलिए यहां से उसका कोई प्रत्याशी नहीं है.

जिले में 13 मई को मतदान है. जीत पक्की करने के लिए प्रत्याशी जातीय आंकड़ा फिट कर रहे हैं. अब विकास के मुद्दों पर बात कम होती दिख रही, जबकि प्रत्याशी के चेहरे और बिरादरी से मतदाताओं में पैठ बनाई जा रही है.

प्रदेश में कभी जातिगत जनगणना नहीं हुई, इससे जातिगत आंकड़ों पर भी दावा नहीं किया जा सकता. हालांकि राजनीतिक जानकार जातीय गणित खूब लगा रहे हैं. लोकसभा क्षेत्र में कुल 17 लाख 13 हजार 583 मतदाता हैं.

जानकारों के अनुसार पांच विधानसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक लोधी मतदाता करीब दो लाख 40 हजार, जबकि शाक्य मतदाता दो लाख 30 हजार हैं. तीसरे नंबर पर मुस्लिम मतदाता करीब दो लाख 25 हजार, यादव करीब एक लाख 90 हजार, क्षत्रिय एक लाख 80 हजार व ब्राह्मण मतदाता अनुमानित एक लाख 50 हजार बताए जा रहे हैं. यह मतदाता लोकसभा चुनाव में निर्णायक साबित होते हैं.

दलीय प्रत्याशी लोधी, शाक्य व ब्राह्मण समाज से हैं. अब देखना यह है कि कौन प्रत्याशी दूसरी जाति के मतदाताओं में सेंध लगाकर अपना जातीय गणित फिट कर पाएंगे. किसके सिर जीत का सेहरा सजेगा और किसको हार का सामना करना पड़ेगा.

हालांकि मतदाता भी सभी को जीत का भरोसा देकर खुलकर सामने आने के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं. चुप्पी साधने से सभी पार्टियों के गणित फेल होते नजर आ रहे हैं. अब आने वाला समय ही बताया कि सत्ता की कुर्सी पर लोग किसको पहुंचाते हैं. वैसे इसका खुलासा 4 जून को मतगणना के दिन हो जाएगा.

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