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लोकसभा चुनाव 2024 में क्या है भूपेश बघेल का सियासी हाल, नाकामियों से लेंगे सबक, 24 में करेंगे कमाल - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

2018 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने अपने दम पर कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में जीत दिलाई थी. तब भूपेश बघेल ने नारा दिया था भपेश है तो भरोसा है. नारा काम कर गया और जनता ने कांग्रेस को प्रचंड बहुमत से विजयी बनाया. 2023 के चुनाव में वहीं नारा कांग्रेस ने रिपीट किया लेकिन इस बार वो फेल हो गया. अब सवाल ये उठने लगा है कि क्या भूपेश बघेल 24 में लोकसभा चुनाव में खुद जीतेंगे और कांग्रेस को भी जितवा पाएंगे.

lok sabha election 2024
नाकामियों से लेंगे सबक, 24 में करेंगे कमाल

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 12, 2024, 9:12 PM IST

नाकामियों से लेंगे सबक, 24 में करेंगे कमाल

रायपुर: छत्तीसगढ़ के राजनीति की धुरी में कभी भूपेश बघेल का नाम होता था. भूपेश बघेल ने 2018 के विधानसभा चुनाव में अपनी मेहनत की बदौलत जीत दिलाई. कांग्रेस की प्रचंड जीत के हीरो खुद भूपेश बघेल रहे. चुनाव के दौरान वो खुद कहते थे भूपेश है तो भरोसा है. जनता को उनका ये भरोसा भाया और वो जीतने में कामयाब रहे. 2023 के विधानसभा चुनाव में वो इसी जीत के भरोसे पर सवार होकर मैदान में उतरे लेकिन इस बार उनको हार का सामना करना पड़ा. लोकसभा चुनाव में अब ये सवाल उठने लगा है कि क्या भूपेश बघेल पर अब भी पार्टी भरोसा जता रही है. क्या भूपेश बघेल एक बार फिर कांग्रेस की नैया को पार लगा ले जाएंगे.

भूपेश पर भरोसा है क्या: जनता के बीच भूपेश बघेल अब भी लोकप्रिय हैं इस बात में कोई शक नहीं है. पार्टी ने उनको राजनांदगांव से टिकट दिया है लिहाजा वो अपनी सीट पर प्रचार में जुटे हैं. उनकी सीट पर चुनाव खत्म होते ही वो बाकी सीटों पर जाकर प्रचार में जुट जाएंगे. भूपेश बघेल के प्रचार का कितना फायदा पार्टी को होगा ये तो वक्त बताएगा. पर इतना तय है कि भूपेश बघेल को राजनांदगांव सीट से लड़ाकर पार्टी ने उनको सीमित कर दिया है. छत्तीसगढ़ पार्टी नेतृत्व भी क्या ये मान चुका है कि उनकी राजनीति अब सीमित हो चुकी है.

बड़े नेताओं ने भी बनाई छत्तीसगढ़ से दूरियां!:राहुल गांधी जरूर शनिवार को बस्तर दौरे पर आ रहे हैं लेकिन किसी और बड़े नेता के यहां आने का कार्यक्रम फिलहाल नहीं है. क्या कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व ये मान चुका है कि कांग्रेस के लिए छत्तीसगढ़ में अब कुछ करने को नहीं रहा है. बीजेपी की बात करें तो बीजेपी के दिग्गजों की फौज मैदान में है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव नेतृत्व को लीड कर रहे हैं. शुरुआत पीएम ने बस्तर की सभा से की है. बीजेपी जहां चुनाव में फ्रंट फुट पर खेल रही है वहीं कांग्रेस अभी भी डिफेंसिव मुद्रा में खड़ी है.

बस्तर में है सबसे पहले मतदान: 19 अप्रैल को पहले चरण का मतदान होना है. बीजेपी प्रत्याशियों के ऐलान से लेकर चुनाव प्रचार के मैदान तक में कांग्रेस को दो कदम आगे चल रही है. बीजेपी का मनोबल भी हाई है. वहीं विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अभी भी हार की हताशा से बाहर नहीं निकल पाई है. सियासत के जानकार भी ये मानते हैं कि पांच साल तक राज करने और सत्ता की धुरी रहने वाले भूपेश बघेल लोकसभा चुनाव में उस रुप में नजर नहीं आते हैं, जिस रुप में उनको नजर आना चाहिए था.


भूपेश बघेल सर्वमान्य नेता हैं और पार्टी ने उन्हें भी जिम्मेदारी दी है, उसपर वह काम कर रहे हैं. पार्टी ने लोकसभा उम्मीदवार बनाया है. बघेल हमारे स्टार प्रचारक हैं. ऐसा नहीं है कि वे सिर्फ राजनांदगांव तक ही सीमित हैं. जहां जरूरत है वहां पर प्रचार के लिए जा रहे हैं क्योंकि वह खुद भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं . बघेल राजनांदगांव में ज्यादा समय दे रहे हैं इसके बाद में पूरे प्रदेश में चुनावी दौरा करेंगे. भूपेश बघेल के कद का भाजपा में कौन सा नेता है. भाजपा के साधन संपन्न मुख्यमंत्री की सभा में इतनी भीड़ नहीं होती जितनी भी भूपेश बघेल के नुक्कड़ सभाओं में होती है. जितने लोग भूपेश बघेल के साथ सेल्फी लेते हैं, भाजपा के बड़े-बड़े नेता उतने लोगों को इकट्ठा कर सभा करके खुश हो रहे हैं. - सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग, कांग्रेस

भूपेश बघेल और उनकी सरकार ने प्रदेश की जनता और अपने कार्यकर्ताओं को बेवकूफ बनाने का काम किया. उस समय भूपेश बघेल के काम को जनता नहीं समझ सकी थी. बाद में जनता को समझ आया और उन्होंने कांग्रेस सरकार को ठुकरा दिया. उनके कार्यकर्ताओं ने कहा कि भूपेश हैं तो भ्रष्टाचार है. कांग्रेस के ही कई नेताओं ने इस बात का आरोप लगाया है कि भूपेश बघेल ने सरकार के साथ-साथ संगठन में भी भ्रष्टाचार करने का काम किया. अब इनके नेता एक दूसरे को नोटिस दे रहे हैं. लोग भूपेश बघेल से नाखुश हैं. ऐसे में भूपेश हैं तो भरोसा है का नारा गलत था. भूपेश हैं तो भ्रष्टाचार है यह नारा ठीक है. कांग्रेस को पता है कि जहां-जहां पर जाएंगे वहां वहां हार होगी, इसलिए उन्हें एक लोकसभा तक सीमित कर दिया गया. - अमित चिमनानी, मीडिया प्रभारी, भाजपा, छत्तीसगढ़

मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस बघेल के कद को कम करको आंक रही है. बघेल कांग्रेस के सर्वमान्य और सबसे बड़े नेता हैं. अभी भी लोगों को आप कहते सुनेंगे की भूपेश है तो भरोसा है, काका भी जिंदा है. यह नारा गांव में भी सुनने को मिल रहा है. पिछले 5 सालों में किए उनके काम भी चर्चा में हैं. ये बात अगल है कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार के दाग भी लगे. ईडी सीबीआई के मामले भी चल रहे हैं. इसे भूला नहीं जा सकता है. इन सबके बावजूद वो कांग्रेस के स्टार प्रचारक हैं और जहां जाते हैं भीड़ जुट जाती है. - उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार,रायपुर

अपनी सीट पर भूपेश लगा रहे दम: भूपेश बघेल को पार्टी ने जरूर दुर्ग की जगह राजनांदगांव से टिकट दे दिया हो लेकिन भूपेश बघेल वहां से भी दमदारी से चुनाव लड़ेंगे. छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर कांग्रेस अगर सबसे मजबूत स्थिति में प्रचार के क्षेत्र में है तो वो सीट राजनांदगांव की है. टिकट मिलने के अगले ही दिन से भूपेश प्रचार में जुट गए हैं.

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