जयपुर :दीपावली भले ही पांच दिवसीय उत्सवों की शृंखला हो, लेकिन दीपदान का दौर एकादशी से ही शुरू हो जाता है. एकादशी पर भगवान कृष्ण के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर दीपोत्सव का दौर शुरू किया जाता है, जो दीपावली के 2 दिन बाद भाई दूज तक चलता है. कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक चलने वाले इस दीपोत्सव के दौरान कितने दीपक कहां-कहां जलाएं, ये जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अमित व्यास से.
दीपावली पर दीपदान करने का शास्त्र सम्मत विधान है. दीपदान का अर्थ है, दीपक को जलाकर उचित स्थान पर या उचित पात्र के समक्ष रखना. ज्योतिषाचार्य डॉ. अमित व्यास ने बताया कि दीपावली का पांच दिवसीय त्योहार को लेकर दीपदान का समय एकादशी से ही शुरू हो जाता है. एकादशी के दिन भगवान माधव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाने से इसकी शुरुआत होती है. अगले दिन द्वादशी को भी पांच दीपक घर में जला सकते हैं. उनमें एक घी का और चार सरसों के तेल के दीपक होने आवश्यक है.
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धनतेरस से भाई दूज तक जलाएं दीपक : धनतेरस के दिन 13 दीपक जलाना शास्त्र सम्मत है. ऐसा करने से 13 तरह की दीक्षा, आवश्यकता और समस्या का समाधान करने में सफलता मिलती है. साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है. इसके बाद नरक चतुर्दशी जिसे छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन 14 दीपक जलाना आवश्यक है. इनमें एक दीपक यम का होता है. इससे अकाल मृत्यु से सुरक्षा मिलती है.