नई दिल्ली: दिल्ली सरकार में योजना मंत्री आतिशी ने सर्विसेज़ विभाग और एलजी द्वारा दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन(डीडीसीडी) के 3 नॉन ऑफिशियल सदस्यों को बर्खास्त करने के आदेश को अमान्य करार दिया है. उन्होंने मंगलवार को एक आदेश जारी करते हुए कहा कि डीडीसीडी पर निर्णय लेना सर्विसेज़ विभाग या एलजी के क्षेत्राधिकार में नहीं आता है. ऐसे में यह आदेश अमान्य है और डीडीसीडी के नॉन ऑफिशियल सदस्य अपनी भूमिका में बने रहेंगे.
साथ ही उन्होंने कड़े शब्दों में सर्विसेज़ विभाग के सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि डीडीसीडी के तीनों नॉन ऑफिशियल सदस्य अपनी भूमिका में बने रहेंगे. योजना मंत्री की मंज़ूरी के बिना सर्विसेज़ विभाग या एलजी के आदेश के अनुसार कोई भी कारवाई अवैध मानी जाएगी व दोषी अधिकारियों के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. पिछले दिनों एलजी वीके सक्सेना ने डीडीसीडी के सभी नॉन ऑफिसियल सदस्यों की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया था और उन्हें तत्काल प्रभाव से डीडीसीडी से हटा दिया गया था.
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योजना मंत्री द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि, डीडीसीडी में नॉन-ऑफिशियल सदस्यों की नियुक्ति और उनके कार्यों को लेकर निर्देश देने का एकमात्र अधिकार दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास है. डीडीसीडी के नॉन ऑफिशियल सदस्यों को सीधे माननीय मुख्यमंत्री द्वारा नियुक्त किया जाता है, और इन सदस्यों का कार्यकाल दिल्ली सरकार के कार्यकाल (को-टर्मिनस) के साथ-साथ है. उन्हें केवल डीडीसीडी के अध्यक्ष (दिल्ली के मुख्यमंत्री) की मंजूरी से ही हटाया जा सकता है. ऐसे में एलजी और सर्विसेज़ विभाग के पास इन नॉन ऑफिशियल सदस्यों की नियुक्ति को रद्द करने का आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है.
आदेश में कहा गया कि, इन नॉन ऑफिशियल सदस्यों को अपने-अपने क्षेत्रों में विशेषज्ञता के कारण सरकार को नीतिगत सुधारों की सिफारिश करने के लिए सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है. डीडीसीडी के इन नॉन-ऑफिशियल सदस्यों ने पिछले 4 सालों के अपने कार्यकाल में शानदार काम किया और और बहुत से नीतिगत फ़ैसलों में सरकार की मदद की है.
मुख्यमंत्री के किसी भी निर्देश के बिना, सर्विसेज़ विभाग द्वारा दिनांक 27.06.2024 को इन सदस्यों के निलंबन का आदेश पूरी तरह अमान्य है. आदेश में कहा गया कि सर्विसेज़ विभाग द्वारा दिनांक 27.06.2024 को डीडीसीडी के नॉन ऑफिशियल सदस्यों के निलंबन के आदेश को एलजी एलजी द्वारा भी मंजूरी दी गई है जो कानून की दृष्टि से ग़लत है और एक दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई है. ऐसे में यह साफ़ है कि सर्विसेज़ विभाग और एलजी का अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर शक्तियों का दुरुपयोग किया गया है.
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