मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: आजादी के सात दशक से भी ज्यादा समय बीत गए. कुल 77 साल बीत गए उसके बाद भी छत्तीसगढ़ के दूरस्थ इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का आभाव है. बुधवार को एमसीबी के सरभोका गांव से विकास को मुंह चिढ़ाने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां के पंडो बस्ती में सड़क नहीं हो पाने की वजह से एंबुलेंस पहुंच नहीं पाती है. जिसकी वजह से लोगों को बीमारी में खाट ही एक सहारा होता है. बुधवार को एक गंभीर मरीज को परिजनों ने चारपाई पर लादकर 4 किलोमीटर पैदल चलकर सडक़ तक पहुंचाया. यह घटना स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के विधानसभा क्षेत्र का है.
मरीज को खाट पर ढोया: सरभोका के पंडो बस्ती में रहने वाले बुधराम पंडो पैर और पीठ की सूजन की बीमारी से पीड़ित हैं. बुधवार को उनकी तबीयत बिगड़ी. जिसके बाद परिजनों ने एंबुलेंस बुलाया. इस इलाके में सड़क नहीं होने की वजह से एंबुलेंस चार किलोमीटर दूर खड़ा रहा. उसके बाद लोगों और परिजनों ने बुधराम पंडो को खाट पर बिठाकर चार किलोमीटर का सफर तय किया. चार किलोमीटर दूर में नवाडीह स्कूल के पास एंबुलेंस खड़ी थी. उसके बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया.
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के गांव का हाल बेहाल: आजादी के सात दशक बाद भी राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पंडो जनजाति का बुरा हाल है. सरभोका गांव में पंडो जनजाति के लोग रहते हैं. यहां लगातार बुनियादी सुविधाओं का टोटा दिखता रहा है. पंडो जनजाति के 500 से अधिक लोग यहां निवास करते हैं. वन ग्राम होने के कारण आज तक यहां पक्की सडक़ नहीं बन सकी है.