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एक गांव ऐसा भी, जहां होता करोड़ों का टर्नओवर, कभी बंजर थी जमीन, फूलों ने बदली तकदीर - BEED SUJRA VILLAGE FLOWER FARMING

कुरुक्षेत्र के बंजर इलाके में बसे बीड़ सूजरा गांव की कहानी काफी रोचक है. आज फूलों की खेती के लिए ये गांव मशहूर है.

beed sujra village
फूलों का अनोखा गांव (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jan 8, 2025, 12:32 PM IST

Updated : Jan 8, 2025, 3:54 PM IST

कुरुक्षेत्र: हरियाणा का एक ऐसा गांव जो पूरे देश में फूलों की खेती के लिए मशहूर है. इस गांव की कहानी भी काफी रोचक है. सालों पहले दिल्ली से इस गांव को कुरुक्षेत्र के बीहड़ इलाके में बसा दिया गया. कुरुक्षेत्र में गांववालों के पास अगर कुछ था, तो वो थी थोड़ी बहुत बंजर जमीनें. कुरुक्षेत्र में बसने को बाद इन गांव वालों ने अपनी मेहनत से न सिर्फ खुद को आर्थिक रूप से मजबूत किया, बल्कि पूरे देश में गांव का नाम मशहूर कर दिया है.

फूलों ने बदली गांव की किस्मत:जी हां, हम बात कर रहे हैं बीड़ सूजरा गांव की. इस गांव की किस्मत किसी और ने नहीं बल्कि फूलों ने बदल डाली. आलम यह है कि ये गांव वाले आज की तारीख में करोड़ों कमा रहे हैं. खास बात तो यह है कि इस गांव में कोई बेरोजगार है ही नहीं. गांव में फूलों की मंडी है. ये मंडी हरियाणा की एक मात्र फूलों की मंडी है, जहां दूसरे राज्य से लोग फूल खरीदने आते हैं. हर दिन इस मंडी में फूलों का बड़ा कारोबार होता है. यही कारण है कि गांव के लोग बाहर का रूख नहीं करते. वे यहां ही फूलों को तोड़कर या बेचकर पैसा कमाते हैं.

एक गांव ऐसा भी (ETV Bharat)

दिल्ली से कुरुक्षेत्र हुआ शिफ्ट: दरअसल साल 1914 में दिल्ली से कुरुक्षेत्र के बीहड़ में आकर इस गांव को बसाया गया था. यहां पर उनको रहने के लिए सिर्फ जमीन मिली थी, लेकिन वह भी ऊपर से ऊबड़-खाबड़ और बंजर थी, लेकिन गांव के बुजुर्गों ने हिम्मत नहीं हारी. ये सभी मिलकर जमीन को खेती करने लायक बनाए. यही कारण है कि अब ये गांव खेती के योग्य बन गया है. सबसे ज्यादा यहां फूलों की खेती की जाती है. फूलों की खेती से ही ये गांव समृद्ध बन गया है.

एयरपोर्ट बनाने के कारण गांव को किया शिफ्ट:ईटीवी भारत ने इस गांव के बारे में विस्तार से जानकारी के लिए बीड़ सूरजा गांव के ग्रामीणों से बातचीत की. बातचीत के दौरान ग्रामीण राजेंद्र कुमार सैनी ने बताया, "जब ये गांव दिल्ली में हुआ करता था. तब वहां एयरपोर्ट बनाने के कारण गांव को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शिफ्ट किया गया. सबसे पहले गांव के बड़े-बुजुर्ग यहां आए. उन्होंने अपना घर बनाया. इसके बाद गांव के बुजुर्गों ने जमीन को खेती के लायक बनाया. अब इस गांव में बड़े स्तर पर फूलों की खेती की जा रही है. गांव में ऐसा एक भी घर नहीं, जो फूलों की खेती न करता हो. फूलों की खेती ने ही गांव की किस्मत को बदल दी है."

जानिए बीड़ सूजरा गांव को (ETV Bharat)

"गांव में करीब ढाई सौ से 300 घर है. बीड़ सूजरा गांव की आबादी तकरीबन 1577 है. गांव सफाई में भी अव्वल है. ये गांव काफी साफ-सुथरा है. इस कारण यहां फूलों की खेती अच्छी होती है. गांव के किसान लाखों रुपए सालाना कमाते हैं. गांव में हर साल करोड़ों रुपए का टर्नओवर होता है. पिछले करीब 30 सालों से यह फूलों की खेती करते आ रहे हैंं. उससे पहले अन्य खेती की जाती थी, लेकिन उसमें इतनी बचत नहीं होती थी, जब से गांव ने फूलों की खेती शुरू की है, तब से गांव का हर घर समृद्ध और खुशहाल बना हुआ है." -राजेंद्र कुमार सैनी, ग्रामीण

इन किस्मों की होती है खेती:गांव के किसान चंद्रमल का कहना है "वह पिछले काफी दशकों से खेती करते आ रहे हैं. वह हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों में भी घूम चुके हैं. हालांकि फूलों की इतने बड़े स्तर पर खेती हरियाणा के किसी भी गांव में नहीं की जाती. एकमात्र उनका गांव ही है, जहां पर हर घर फूलों की खेती कर रहा है. इसको अपने रोजगार के तौर पर स्थापित किया है. गांव में गेंदा, जाफरी, लड्डू, गुलाब सहित कई किस्म के फूल लगते हैं. हालांकि यहां सबसे अधिक खेती गेंदा फूल की की जाती है."

पहले दूसरे राज्यों में जाकर बेचना पड़ता था फूल: फूलों का व्यापार करने वाले ग्रामीण पवन सैनी कहते हैं, "गांव में बड़े स्तर पर फूलों की खेती की जाती है. शुरुआती समय में हमारे गांव के लोगों को फूल बेचने के लिए दिल्ली या फिर दूसरे राज्य में जाना पड़ता था. हालांकि समय के साथ-साथ हालात में भी सुधार हुआ. गांव के ही लोगों ने अपनी सुझ-बूझ से गांव में अपनी सहुलियत के लिए फूलों की मंडी बना ली. इसके बाद गांव वालों को दूसरे राज्य फूल बेचने के लिए नहीं जाना पड़ता था. बल्कि दूसरे राज्य वाले यहां आकर फूल खरीदकर ले जाते थे. ये हरियाणा का एकमात्र ऐसी फूल मंडी है, जो हमारे गांव में बनी है."

पानी की होती है बचत:गांव के किसान राजेंद्र कुमार सैनी का कहना है, "फूलों की खेती हर किसी को करनी चाहिए, क्योंकि गेहूं और धान की फसल में अब इतनी बचत नहीं होती. जबकि फूलों की खेती में काफी अच्छी बचत होती है. फूलों की खेती से पानी की लागत कम है. जैसे भूमिगत जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है. ऐसे में फूलों की खेती किसानों के लिए काफी अच्छी खेती है. इसमें पानी की बहुत ही कम लागत होती है.सरकार की ओर से धान की फसल छोड़ने की योजना पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है."

फूलों की खेती से मिल रहा रोजगार:गांव में फूल तोड़ने का काम करने वाले मजदूर नीलम बताती हैं कि "हमारे गांव में फूलों की खेती ज्यादा होती है, इसलिए गांव में किसानों के खेतों में काम करने का मौका मिलता है." वहीं, मजदूर सोनिया का कहना है कि "पैसे कमाने के लिए कहीं बाहर न जाकर उनके गांव में ही फूल तोड़कर अच्छी मजदूरी मिल जाती है.इससे हमारा घर आसानी से चल जाता है. गांव में फूलों की मंडी में जितने भी लोग काम करते हैं, सभी गांव इसी गांव के लोग हैं. इनको फूलों की खेती के कारण रोजगार मिला है."

साल में तीन बार की जाती है फूलों की खेती:गांव के किसानों ने बताया कि यहां 1 साल में फूलों की तीन बार खेती की जाती है. जब फूलों की एक फसल खत्म होने वाली होती है, तभी यहां के किसान दूसरी फसल की तैयारी शुरू कर देते हैं. इस गांव में लगाया हुआ फूल देश के अलग-अलग राज्यों में जाता है. ये फूल पूजा, शादी-ब्याह सहित अन्य मांगलिक कामों में इस्तेमाल किया जाता है. यहां फूलों का भाव भी हमेशा सही रहता है. बात अगर मौजूदा रेट की करें तो 30 से 40 रुपए प्रति किलो के हिसाब से यहां फूल बिक रहा है, जिससे एक बार में करीब डेढ़ लाख रुपए का फूल निकल जाता है. तकरीबन 4 से 5 माह का एक फसल में ही किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं.

फूलों से मुनाफे का गणित (ETV Bharat)

एक एकड़ में दो लाख की खेती: फूलों की एक बार की खेती करने में शुरुआती लागत तकरीबन 10000 तक आती है. उसके बाद जब फूल तैयार हो जाता है, तो मजदूर का खर्च 30 से 40 हजार रुपए हो जाता है. एक बार की खेती में लगभग 50000 खर्च पड़ता है. लगभग 1 एकड़ से एक बार में डेढ़ से दो लाख रुपए की आमदनी होती है. 1 साल में फूलों की तीन खेती किसान करते हैं. एक बार में प्रति एकड़ 50 क्विंटल फूलों का उत्पादन होता है. पूरे गांव में 200 से 225 एकड़ में फूल की खेती होती है.

ग्रामीणों ने गांव को किया देश भर में मशहूर:ये गांव हरियाणा ही नहीं दूसरे राज्यों में भी फूलों की खेती के लिए मशहूर है. साथ ही ये गांव सफाई में भी अव्वल है. यहां की स्वच्छता देखने लोग दूर दूर से आते हैं. खास बात यह है कि यहां के किसानों ने अपनी मेहनत से न सिर्फ अपनी आय बढ़ाई है बल्कि अपने गांव को पूरे देश में मशहूर कर दिया है.

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Last Updated : Jan 8, 2025, 3:54 PM IST

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