रांचीः हेमंत सोरेन ने तीसरी बार झारखंड की कमान संभाली है. राजभवन में गुरुवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है. झारखंड के तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन का यह कार्यकाल भले ही छोटा है मगर चुनौतियां बहुत हैं.
पहली चुनौती पंचम विधानसभा के शेष बचे चंद महीने के कार्यकाल में तेजी से विकास कार्य को करना माना जा रहा है. अपने मुख्यमंत्रित्व काल में किए गए घोषणाओं को तेजी से जमीन पर उतारना हेमंत के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसके अलावा आने वाले तीन महीने में झारखंड में विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में गठबंधन दल के बीच समन्वय बनाकर चुनाव में उतरना हेमंत के लिए दूसरा टास्क होगा.
इंडिया गठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ना तय है. कांग्रेस, राजद के साथ साथ अपनी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को भी चुनावी नैया पार लगाना हेमंत के ऊपर जिम्मेदारी के रुप में है. पार्टी के अंदर विरोध के स्वर ना फूटे इसके लिए बतौर कार्यकारी अध्यक्ष और राज्य के मुखिया के रुप में विशेष जिम्मेदारी हेमंत सोरेन पर ही होगी. हालांकि हेमंत सोरेन के लिए सुखद बात यह है कि पार्टी के अंदर रहकर जो इनका विरोध कर रहे थे वे या तो दूसरे दल में लोकसभा चुनाव के दरमियान चले गए या पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा चूका है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि हेमंत सोरेन हर चुनौतियों को पार करने में सफल होंगे.
खुद पर लगे भ्रष्टाचार का दाग धोना होगा हेमंत के लिए बड़ी चुनौती