देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र गैरसैंण में शुरू हो गया है. इस मानसून सत्र में अनुपूरक बजट भी पेश किया जाएगा. हालांकि, पहले भी कई बार सत्र आयोजित होते रहे हैं, लेकिन इस बार का सत्र खास रहने वाला है. क्योंकि, यह सत्र तीन दिन का है. ऐसे में न केवल सरकार बल्कि, विपक्ष के लिए खुद को साबित करने के लिए तीन दिन ही होंगे. विपक्ष के पास जहां मुद्दों की भरमार है तो वहीं सरकार भी कई विधेयक लाकर विपक्ष को खामोश करना चाहेगी. आखिरकार इस मानसून सत्र में क्या कुछ खास होगा, उससे आपको रूबरू करवाते हैं.
ठंड के बीच माहौल रहेगा गर्म: मानसून सत्र में इस बार अनुपूरक बजट भी आना है. हालांकि, फरवरी महीने में ही बजट सत्र में सरकार ने 89,230.07 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था, लेकिन सरकार इस अनुपूरक बजट को लाकर आने वाले महीनों या यूं कहें कि साल की प्लानिंग करना चाहती है. यही कारण है कि सरकार गैरसैंण मानसून सत्र में अनुपूरक बजट पेश करने जा रही है. करीब 17 महीने बाद गैरसैंण में सत्र आयोजित हो रहा है. लिहाजा, सरकार के साथ विपक्ष को भी लंबे समय बाद पहाड़ की ठंड में सवालों और जवाबों की गर्मी का एहसास होगा. सरकार करीब 5 हजार करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पेश करेगी.
पूछे जाएंगे 500 से ज्यादा सवाल, इन विधेयकों पर होनी है चर्चा:इस सत्र के लिए 500 से ज्यादा सवाल विधायकों की तरफ से दिए गए हैं. उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति वसूली अध्यादेश, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश निगम अधिनियम 1959 संशोधन अध्यादेश, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश नगर निगम नगर पालिका अधिनियम 1916 संशोधन अध्यादेश, उत्तराखंड खेल विश्वविद्यालय विधेयक पर चर्चा होनी है. इसके अलावा 5 हजार करोड़ रुपए के अनुपूरक बजट को भी पटल पर रखा जाएगा. इसके साथ ही जेडीए एलआर एक्ट उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि अधिनियम 1950 संशोधन विधेयक भी लाया जाएगा.
विपक्ष तलाशेगा मौका: सत्र को लेकर इस बार विपक्ष काफी तैयारी के साथ पहुंचा है. विपक्ष सदन में कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, आपदा, केदारनाथ नाम मंदिर विवाद, महंगाई, भू कानून, रोजगार समेत तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने जा रहा है. हाल ही में देहरादून किशोरी गैंगरेप का मामला भी सदन में विपक्ष जोर शोर से उठाने वाला है. इसके लिए तमाम विपक्ष के विधायकों को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने तैयार रहने के लिए कहा है.
इसके अलावा पूर्व में सरकार की घोषणाओं के बावजूद भी जो घोषणाएं अब तक धरातल पर नहीं उतरी हैं, उनको लेकर भी विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी में है. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि तीन दिनों का यह सत्र मुद्दे उठाने के लिए बेहद कम है. सरकार ने जान बूझकर सत्र की अवधि कम की है. ताकि, वो विपक्ष के सवालों के जवाब न दे पाए. उन्होंने कहा है कि साल में करीब 60 दिनों का सत्र होना चाहिए, लेकिन मौजूदा सरकार मात्र 15 दिनों के ही सत्र चला रही है.
यशपाल आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस साल भी नाम मात्र के लिए विधानसभा सत्र आयोजित हुए हैं. जो हुए हैं, उसमें कई दिन तो शोक सभाओं को पूरा करने में ही निकल गए. ऐसे में राज्य की जनता के जो मुद्दे हैं, जिसमें बेरोजगारी, महंगाई, भू कानून, बिजली कटौती, जंगली जानवर और जंगल का नुकसान, शिक्षा संबंधित सवाल कब पूछे जाएंगे? यह बड़ा सवाल है, लेकिन इस बार विपक्ष तीन दिनों के इस सत्र के दौरान सरकार को चैन से बैठने नहीं देगा.