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गैरसैंण मानसून सत्र होगा खास, सवालों के बाउंसर के साथ विपक्ष तैयार, सत्ता पक्ष ने भी कसी कमर! - Gairsain Assembly Monsoon Session

Utttarakhand Monsoon Session उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में शुरू हो चुका है. आज सत्र का पहला दिन है. यह सत्र तीन दिन का रहने वाला है. जिस वजह से यह सत्र खास रहने वाला है. क्योंकि, सत्र में अनुपूरक बजट पेश करने के साथ कई विधेयकों को भी सदन के पटल पर रखा जाएगा. जानिए यह सत्र सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए कितना अहम रहने वाला है.

Utttarakhand Monsoon Session
गैरसैंण मानसून सत्र (फोटो सोर्स- ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 21, 2024, 5:27 PM IST

देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र गैरसैंण में शुरू हो गया है. इस मानसून सत्र में अनुपूरक बजट भी पेश किया जाएगा. हालांकि, पहले भी कई बार सत्र आयोजित होते रहे हैं, लेकिन इस बार का सत्र खास रहने वाला है. क्योंकि, यह सत्र तीन दिन का है. ऐसे में न केवल सरकार बल्कि, विपक्ष के लिए खुद को साबित करने के लिए तीन दिन ही होंगे. विपक्ष के पास जहां मुद्दों की भरमार है तो वहीं सरकार भी कई विधेयक लाकर विपक्ष को खामोश करना चाहेगी. आखिरकार इस मानसून सत्र में क्या कुछ खास होगा, उससे आपको रूबरू करवाते हैं.

ठंड के बीच माहौल रहेगा गर्म: मानसून सत्र में इस बार अनुपूरक बजट भी आना है. हालांकि, फरवरी महीने में ही बजट सत्र में सरकार ने 89,230.07 करोड़ रुपए का बजट पेश किया था, लेकिन सरकार इस अनुपूरक बजट को लाकर आने वाले महीनों या यूं कहें कि साल की प्लानिंग करना चाहती है. यही कारण है कि सरकार गैरसैंण मानसून सत्र में अनुपूरक बजट पेश करने जा रही है. करीब 17 महीने बाद गैरसैंण में सत्र आयोजित हो रहा है. लिहाजा, सरकार के साथ विपक्ष को भी लंबे समय बाद पहाड़ की ठंड में सवालों और जवाबों की गर्मी का एहसास होगा. सरकार करीब 5 हजार करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट पेश करेगी.

पूछे जाएंगे 500 से ज्यादा सवाल, इन विधेयकों पर होनी है चर्चा:इस सत्र के लिए 500 से ज्यादा सवाल विधायकों की तरफ से दिए गए हैं. उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति वसूली अध्यादेश, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश निगम अधिनियम 1959 संशोधन अध्यादेश, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश नगर निगम नगर पालिका अधिनियम 1916 संशोधन अध्यादेश, उत्तराखंड खेल विश्वविद्यालय विधेयक पर चर्चा होनी है. इसके अलावा 5 हजार करोड़ रुपए के अनुपूरक बजट को भी पटल पर रखा जाएगा. इसके साथ ही जेडीए एलआर एक्ट उत्तर प्रदेश जमीदारी विनाश एवं भूमि अधिनियम 1950 संशोधन विधेयक भी लाया जाएगा.

विपक्ष तलाशेगा मौका: सत्र को लेकर इस बार विपक्ष काफी तैयारी के साथ पहुंचा है. विपक्ष सदन में कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा, आपदा, केदारनाथ नाम मंदिर विवाद, महंगाई, भू कानून, रोजगार समेत तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने जा रहा है. हाल ही में देहरादून किशोरी गैंगरेप का मामला भी सदन में विपक्ष जोर शोर से उठाने वाला है. इसके लिए तमाम विपक्ष के विधायकों को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने तैयार रहने के लिए कहा है.

इसके अलावा पूर्व में सरकार की घोषणाओं के बावजूद भी जो घोषणाएं अब तक धरातल पर नहीं उतरी हैं, उनको लेकर भी विपक्ष सत्ता पक्ष को घेरने की तैयारी में है. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि तीन दिनों का यह सत्र मुद्दे उठाने के लिए बेहद कम है. सरकार ने जान बूझकर सत्र की अवधि कम की है. ताकि, वो विपक्ष के सवालों के जवाब न दे पाए. उन्होंने कहा है कि साल में करीब 60 दिनों का सत्र होना चाहिए, लेकिन मौजूदा सरकार मात्र 15 दिनों के ही सत्र चला रही है.

यशपाल आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस साल भी नाम मात्र के लिए विधानसभा सत्र आयोजित हुए हैं. जो हुए हैं, उसमें कई दिन तो शोक सभाओं को पूरा करने में ही निकल गए. ऐसे में राज्य की जनता के जो मुद्दे हैं, जिसमें बेरोजगारी, महंगाई, भू कानून, बिजली कटौती, जंगली जानवर और जंगल का नुकसान, शिक्षा संबंधित सवाल कब पूछे जाएंगे? यह बड़ा सवाल है, लेकिन इस बार विपक्ष तीन दिनों के इस सत्र के दौरान सरकार को चैन से बैठने नहीं देगा.

ये है विपक्ष का दांव:दरअसल, विपक्ष के लिए इसलिए भी यह सत्र महत्वपूर्ण है क्योंकि, केदारनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है. ऐसे में केदारनाथ और आपदा जैसे मुद्दों को भी विपक्ष बड़े पैमाने पर उठाने जा रहा है. विपक्ष की रणनीति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि विधायक सरकार को सदन में घेरने का काम करेंगे. जबकि, पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता हरीश रावत सदन के बाहर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं. हरीश रावत सत्र के दौरान उपवास पर तो बैठेंगे ही, साथ ही पहले ही दिन उन्होंने मोमबत्ती मार्च कर अपना विरोध भी जताया.

विधानसभा परिसर के बाहर हंगामा न हो, ऐसी है व्यवस्था:सत्र के दौरान किसी तरह का हंगामा बाहर ना हो, इसके लिए सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं. पुलिस विभाग ने इस बार विधानसभा सत्र के दौरान आसपास किसी भी व्यक्ति को बिना पास के जाने की अनुमति नहीं दी है. इसके साथ ही हेलमेट बॉडी प्रोटेक्शन और अन्य उपकरणों से पुलिस विधानसभा परिसर के आसपास तैनात है. वहीं, 4 अपर पुलिस अधीक्षक, 14 पुलिस उपाध्यक्ष तैनात किए गए हैं. 500 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी भी विधानसभा की सुरक्षा में तैनात हैं.

आपदा की स्थिति में न हो दिक्कत, तैयार है ये प्लान: आपदा की स्थिति में किसी तरह की कोई दिक्कत सत्र के दौरान में न हो, इसको लेकर भी आपदा प्रबंधन विभाग और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमों को तैनात किया गया है. सड़क पर जगह-जगह पर जेसीबी मशीन और रास्ता खोलने के लिए कर्मचारियों की तैनाती की गई है. अगर हालात बारिश से कहीं भी खराब होते हैं तो तत्काल विधायकों, अधिकारियों और कर्मचारियों को एयरलिफ्ट करने की भी व्यवस्था आपदा प्रबंधन विभाग ने की हुई है.

सरकार देगी ऐसे जवाब: सरकार जानती है कि विपक्ष इस बार सदन में कानून और आपदा से जुड़े मुद्दों को लेकर घेरने की पूरी तैयारी करेगा. लिहाजा, सरकार इस बार अपने काम से विपक्ष को जवाब देने की कोशिश करेगी. बीती देर शाम हुई विधानमंडल दल की बैठक में इसी रणनीति पर बातचीत की गई.

सीएम पुष्कर धामी और संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा है कि सरकार अपनी उपलब्धियां को विधानसभा में विपक्ष के सामने रखेगी. राज्य की जनता के सामने भी हमारा पूरा फोकस इसी बात पर रहेगा कि सभी विधायक और मंत्रीगण अपनी पूरी तैयारी के साथ आएं. अपने-अपने विभागों के साथ सरकार की तमाम उपलब्धियां के बारे में वो विधानसभा में बारी-बारी से अपनी बात रखेंगे. सरकार ने तमाम विधायकों और विपक्ष के विधायकों से अपील की है कि वो सत्र के दौरान किसी भी तरह का कोई हंगामा या बेवजह का प्रदर्शन न करें.

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