हैदराबाद:रामोजी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन रामोजी राव का शनिवार सुबह हैदराबाद के एक अस्पताल में निधन हो गया. वह 87 साल के थे. जैसे ही यह समाचार लोगों तक पहुंचा, उनमें शोक की लहर दौड़ गई. भारत ही नहीं, इंटरनेशनल मीडिया के सिरमौर रामोजी राव के निधन की खबर ने सभी को स्तब्ध कर दिया है.
भारत के हर वर्ग, हर भाषा के लोगों को ईटीवी मीडिया ग्रुप की एक छत के नीचे लाने वाले रामोजी राव के बारे में कोई अपनी यादें साझा कर रहा है, तो किसी की सिर्फ आंखें बोल रही हैं. जब रामोजी राव का पार्थिव शरीर फिल्म सिटी में बने उनके ऑफिस की बिल्डिंग में लाया गया, तब यहां मौजूद लोगों की आंखें नम थीं. लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब दिखे. कोई मानने को तैयार नहीं है कि आज रामोजी राव हमारे बीच नहीं हैं. इतना विराट व्यक्तित्व... इतना बड़ा साम्राज्य और हर दिल में जगह यूं ही नहीं बनती.
संघर्ष और कामयाबी की बुलंदी क्या है, ये समझना है तो रामोजी राव की कहानी को शुरू से समझिए..
पहले रामय्या फिर रामोजी नाम पड़ा: रामोजी राव का जन्म 16 नवंबर, 1936 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था. उनके माता-पिता, वेंकट सुब्बाराव और वेंकट सुब्बाम्मा ने उनके दादा की याद में उनका नाम रामय्या रखा था. हालांकि उन्होंने बाद में नाम बदलकर "रामोजी" कर लिया. राव ने गुडीवाड़ा म्युनिसिपल हाई स्कूल से पढ़ाई की थी, जिसके बाद गुडीवाड़ा कॉलेज से बीएससी की डिग्री प्राप्त की. आधे बांह की सफेद शर्ट, सफेद पैंट और सफेद जूतों में वो कुछ-कुछ दक्षिण भारत के पुराने फिल्म स्टारों जैसे दिखते हैं.
उनके विचार, उनकी बातों से झलकते थे, जानिए उन्हीं में से कुछ-