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आखिर क्यों खास है किन्नर अखाड़ा, प्रयागराज के कुंभ मेले से मिली खास पहचान

किन्नर अखाड़ा देश के 13वें नंबर का अखाड़ा है. प्रयागराज के कुंभ मेले से इस अखाड़े को खास पहचान मिली.

Kinnar akhada
किन्नर अखाड़ा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 9, 2024, 8:45 PM IST

रायपुर:अखाड़े का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में पहलवानी, लड़ाई या फिर कुश्ती की तस्वीर उभर जाती है. हालांकि ऐसा नहीं है अखाड़ा धर्म पद्धति के अनुसार चलता है, जिसमें 13वें नंबर का अखाड़ा किन्नर अखाड़ा कहलाता है. जूना अखाड़ा में ही किन्नर अखाड़ा को मर्ज किया गया है.

साल 2019 में दिखा अस्तित्व:किन्नर अखाड़े का अस्तित्व साल 2019 में प्रयागराज के कुंभ मेले में देखने को मिला. सभी अखाड़ों की तुलना में किन्नर अखाड़ा यानी किन्नरों के द्वारा जो टेंट लगाया गया था, उस टेंट में लोगों की काफी भीड़ थी. बात अगर छत्तीसगढ़ की करें तो सनातन पद्धति का पालन करने वाले किन्नर रायपुर सहित प्रदेश के दूसरे जिलों में हजार की संख्या में हैं.

किन्नर अखाड़े के बारे में जानिए (ETV Bharat)

पूरे देश में कुल 13 अखाड़े: इस बारे में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने किन्नर अखाड़ा की सदस्य साध्वी सौम्या से बातचीत की. साध्वी सौम्या ने बताया कि किन्नर समुदाय में अखाड़े को महत्वपूर्ण माना गया है. शिवजी को मानने वाले किन्नर अखाड़ा, विष्णु जी को मानने वालों के अखाड़े और गुरु नानक देव जी को मानने वाले अखाड़े जैसे कुल 13 अखाड़े देश में हैं. साल 2014 में जब नालसा का जजमेंट आया था, तब प्रयागराज में पहला कुंभ आयोजित हुआ.

उस समय किन्नर अखाड़ा का अस्तित्व भी सामने आया. ऐसे किन्नर जो धर्म को मानते हैं और धार्मिक विचारधारा से प्रभावित हैं, वे सभी किन्नर अखाड़ा से जुड़े हुए हैं. कुंभ मेले में किन्नर अखाड़े से संबंधित सदस्यों ने अपना टेंट लगाया. जहां पर लोगों को खूब आशीर्वाद दिया गया. इसके साथ ही किन्नर समुदाय के लोगों ने आम जनता को किन्नर सभ्यता की जानकारी भी दी थी.

किन्नर अखाड़े का अस्तित्व प्राचीन काल से है. रामायण काल या महाभारत काल हो इसमें मौजूदगी रही. इसके साथ ही शिखंडी के रूप में, राजा दशरथ के यहां जब पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो किन्नर समुदाय के लोगों को आशीर्वाद देने के लिए बुलाया गया था. इसके बाद किन्नर समुदाय के लोगों ने राम जी की नजर या बला उतारकर दुआएं दीं. इसी काम को आज भी किन्नर समुदाय के लोग कर रहे हैं. लोगों की बला उतारकर उन्हें दुआएं दी जा रही है. यही काम सनातन पद्धति के अनुसार किन्नर अखाड़ा के सदस्यों के द्वारा किया जाता है.: साध्वी सौम्या, किन्नर अखाड़ा

छत्तीसगढ़ किन्नर अखाड़े में जुड़े हजार लोग:किन्नर अखाड़े की साध्वी सौम्या ने बताया कि अखाड़ा तो एक ही होता है. छत्तीसगढ़ में बिलासपुर, खैरागढ़, कवर्धा के साथ ही रायपुर में किन्नर अखाड़े से लगभग 1000 लोग जुड़े हैं, जो सनातन धर्म प्रचार के साथ की धार्मिक कार्यों से जुड़े हुए हैं. अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार किन्नर समुदाय के लोग अलग-अलग भगवान की पूजा और आराधना करते हैं, लेकिन किन्नरों के लिए एक आश्रम की भी आवश्यकता है. आने वाले दिनों में सरकार से सनातनी किन्नर संघ के लिए जमीन की मांग की जाएगी. जिससे किन्नर एकजुट होकर सनातन धर्म को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकें.

किन्नर अखाड़े का गठन करने का उद्देश्य यह था कि किन्नर समुदाय के जो लोग भटक चुके हैं, उन्हें सही राह दिखाई जा सके. इस उद्देश्य को लेकर किन्नर अखाड़े का गठन किया गया है. जो सनातन पद्धति के अनुसार भगवान विशेष की पूजा आराधना करती हैं. जब हमारा अस्तित्व सनातनी है तो अस्तित्व को जागृत करने के लिए किन्नर अखाड़े का गठन किया गया. :साध्वी सौम्या, किन्नर अखाड़ा

किन्नरों का भी अखाड़ा होता है, जो सनातन धर्म से जुड़ा होता है. ये किन्नर अपने-अपने आराध्य की पूजा सनातन पद्धति से करते हैं. छत्तीसगढ़ के किन्नर अखाड़ा से तकरीबन हजार लोग जुड़े हुए हैं, जो सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करते हैं.

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