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पिता अपने बेटे के लिए बना भगवान, मौत के मुंह से निकालकर दी जिंदगी - kidney transplant in durg - KIDNEY TRANSPLANT IN DURG

KIDNEY TRANSPLANT IN DURG बालोद में एक बुजुर्ग पिता ने अपने जिगर के टुकड़े की जिंदगी बचाने के लिए वो फैसला किया,जिसे करना हर किसी के लिए आसान नहीं होता. पेशे से किसान इस पिता ने बेटे की जिंदगी के लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा दिया. इस पिता का नाम गुमान देशमुख है.जिन पर आज पूरा बालोद जिला गुमान कर रहा है.ELDERLY FATHER SAVED HIS SONS

elderly father saved his sons
पिता अपने बेटे के लिए बना भगवान (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 1, 2024, 10:52 PM IST

Updated : Jul 2, 2024, 1:24 PM IST

बालोद :बालोद जिले में एक युवक पिछले 5 साल से किडनी की समस्या से जूझ रहा था. डॉक्टरों के मुताबिक युवक उत्तम कुमार देशमुख की दोनों किडनियां फेल हो चुकी थी. इसलिए वो पिछले 5 साल से डायलिसिस पर जीवित था.डायलिसिस के कारण दिन ब दिन युवक का स्वास्थ्य गिरता जा रहा था. डॉक्टर्स ने बताया कि युवक की जान बचाने के लिए किडनी बदलना ही आखिरी विकल्प है.लेकिन समस्या ये थी कि कोई भी युवक को किडनी देने के लिए पिछले पांच साल से आगे नहीं आया. अपने बेटे का दर्द पिता गुमान देशमुख से देखा ना गया.लिहाजा उन्होंने वो फैसला किया,जो किसी के लिए आसान नहीं होता.गुमान ने अपने बेटे को खुद की किडनी देने का फैसला किया.

पिता अपने बेटे के लिए बना भगवान (ETV Bharat Chhattisgarh)

बेटे को पिता ने दिया जीवनदान :गुमान देशमुख ने अपने 40 वर्षीय बेटे उत्तम कुमार देशमुख को अपनी किडनी दान कर दी.जिसके बाद पिता और पुत्र दोनों ही अब स्वस्थ्य जीवन जी रहे हैं.गुमान ने ये साबित किया है कि एक पिता धरती पर भगवान से कम नहीं होता.आपको जानकर हैरानी होगी कि किडनी ट्रांसप्लांट की ये पूरी प्रोसेस किसी बड़े शहर या विदेश में ना होकर दुर्ग जिले में हुई है. यहां के प्राइवेट हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टर्स ने इस कारनामे को किया.

'' मेरे बेटे को नया जीवन मिला है. मेरा बेटे की दोनों किडनी खराब हो गईं थी. डॉक्टर की सलाह पर मैंने अपनी एक किडनी बेटे को दी है.अब वो पूरी तरह से स्वस्थ्य है.''- गुमान देशमुख, पिता

बेटे की बचाई जान :गुमान के बेटे उत्तम को ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस बीमारी हुई थी.जिसे जिसे ग्लोमेरुलर रोग भी कहा जाता है. ये किडनी रोगों का एक समूह है जिसमें किडनी के ग्लोमेरुलस क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और उनमें सूजन आ जाती है. ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस के कारण किडनी का काम करना मुश्किल हो जाता है.जिसमें किडनी ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प रह जाता है. लिहाजा डॉक्टर्स की सलाह पर गुमान ने अपने बेटे को एक किडनी देकर उसकी जान बचाई है.

दुर्ग में हुआ सफल ऑपरेशन : किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन दो विभागों के संयुक्त प्रयासों से होता है. जिसमें प्रशिक्षित डॉक्टर्स और उनकी टीम हिस्सा लेती है. किडनी के ऑपरेशन के लिए नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी विभाग एक साथ काम करते हैं. दोनों के काम अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही बेहतरीन नतीजे देते हैं और मरीज को नई जिंदगी मिलती हैं.

निजी अस्पताल की टीम ने किया कारनामा :दुर्ग के निजी अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. साहू और यूरोलॉजी विभाग के डॉ. नवीन राम दारूका की टीम ने ये कारनामा कर दिखाया है. वहीं डॉ. नवीन राम दारूका के मुताबिक अक्सर लोग किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बड़े शहरों में जाते हैं.जिससे परिवार पर आर्थिक बोझ भी बढ़ता है.लेकिन अब दुर्ग जिले में ही कम खर्च में किडनी ट्रांसप्लांट जैसी सुविधा मौजूद है.

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Last Updated : Jul 2, 2024, 1:24 PM IST

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