बीआरडी मेडिकल कॉलेज में किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा जल्द गोरखपुर : बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में अब बहुत जल्द किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा, पूर्वांचल सहित बिहार और नेपाल के मरीजों को मिलने लगेगी. बहुत दिनों से इस सुविधा को लेकर प्रक्रिया लंबित थी. लेकिन, अब वह पूरी कर ली गई है. नेफ्रोलॉजिस्ट की तैनाती के साथ स्वास्थ्य निदेशालय के निर्देश के क्रम में जिन भी औपचारिकताओं को पूरा करना था, बीआरडी मेडिकल कॉलेज ने उसे पूरी कर लिया है. कुछ व्यवस्थाओं को धरातल पर उतारने के साथ बहुत जल्द यह सुविधा यहां शुरू हो जाएगी, जिससे किडनी रोगियों को बड़ी राहत मिलेगी. अभी तक के जो हालात हैं, उसमें करीब प्रतिवर्ष 100 से अधिक रोगियों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लखनऊ या अन्य हायर सेंटर भेजा जाता है. यह वह रोगी होते हैं, जिनका डायलिसिस से काम नहीं चलता और किडनी बदलना ही इसका उपाय रह जाता है.
सर्जरी का भी होगा इंतजाम :मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में नेफ्रोलॉजिस्ट की समस्या बनी हुई थी. पिछले 4 महीने से यह पद खाली था. लेकिन, अब मौजूदा समय में इसको भर दिया गया है. जिसके साथ किडनी से जुड़ी हुई समस्याओं की ओपीडी तो चलेगी ही, अब सर्जरी का भी इंतजाम होगा. मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अनुसार, यहां आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर तैयार है. नेफ्रोलॉजिस्ट भी जल्द ही ज्वाइन कर लेंगे.
अस्पताल में होती हैं ब्लड ग्रुप मैच और अन्य जांच :कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार आर्य ने बताया कि किडनी दान के लिए पहले अस्पताल में ब्लड ग्रुप मैच और अन्य जांच होती हैं. यह सब कुछ अनुकूल पाए जाने पर महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से उसकी अनुमति प्राप्त करनी होती है. उनकी अनुमति के बाद ही किडनी को ट्रांसप्लांट किया जा सकता है. वह इस समिति के अध्यक्ष होते हैं तो मंडल के कमिश्नर उसके सदस्य होते हैं. आवेदक और दाता दोनों की रिपोर्ट इन अधिकारियों के नजर से गुजरती है. जांच के बाद जब उनकी अनुमति मिलती है, तब ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है.
अस्पताल में 9 बेड की डायलिसिस यूनिट :प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार आर्य ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के नेहरू अस्पताल में 9 बेड की डायलिसिस यूनिट है. जिसमें से एक मशीन खराब है. 500 बेड के बाल रोग चिकित्सा संस्थान में भी 10 बेड की डायलिसिस यूनिट है जो अभी तक शुरू नहीं हो पाई है, जिसे फरवरी तक शुरू हो जाना था. करीब 200 लोग वेटिंग में चल रहे हैं, जिनका डायलिसिस नहीं हो पा रहा. जिला अस्पताल में भी डायलिसिस यूनिट में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ने से वेटिंग बढ़ती जा रही है. ऐसे में किडनी ट्रांसप्लान सिस्टम के साथ-साथ डायलिसिस यूनिट को भी एक्टिव करना बेहद जरूरी है. इन सभी प्रक्रियाओं को बहुत जल्द पूरा करने के लिए प्रबंधन लगा हुआ है. इसके बाद ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी दिशा निर्देश के साथ ऐसे इच्छुक मरीज, जिनकी रिपोर्ट स्वास्थ्य निदेशक और कमिश्नर के स्तर से आएगी उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की जाएगी.
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