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एक जुलाई से लागू होंगे तीन नए आपराधिक कानून, खूंटी में पुलिस पदाधिकारियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण - Three New Criminal Laws

Changes in indian criminal law.इंडियन पीनल कोड की कई धराएं बदल दी गई हैं. साथ ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने वाली है. एक जुलाई से ये बदलाव प्रभावी होगी. इसके तहत खूंटी में पुलिस पदाधिकारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है.

Three New Criminal Laws
खूंटी में तीन नए कानून पर प्रशिक्षण के दौरान मौजूद पुलिस पदाधिकारी. (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 11, 2024, 9:16 PM IST

खूंटीःदेश में बढ़ते अपराध और अपराध पर लगाम लगाने के लिए देश में कुछ धाराओं को बदल कर नई धाराएं लागू की गई हैं. देश में एक जुलाई से यह अधिनियम लागू हो जाएगा. 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में संविधान की कुछ धाराएं बदली गई थी जो एक जुलाई से लागू हो जाएंगी.

तीन नए कानून के विषय में जानकारी देते खूंटी डीएसपी वरुण रजक. (वीडियो-ईटीवी भारत)

खूंटी में पुलिस पदाधिकारियों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

नए अधिनियम के तहत देश के सभी राज्यों के थानों में नई धाराओं के तहत आपराधिक मामले दर्ज किए जाएंगे. इसे लेकर प्रशिक्षण शुरू हो गया है. खूंटी जिले के पुलिस मुख्यालय के सभागार में जिले के सभी थाना प्रभारियों सहित इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर, दारोगा और वैसे सभी पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो केस दर्ज करते हैं और केस का अनुसंधान करते हैं.

एक जुलाई से तीन नए क्रिमिनल लॉ प्रभावी हो जाएंगे

एक जुलाई से देश में लागू होने जा रहा है तीन नए क्रिमिनल लॉ यानी इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता, क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो जाएंगे. इन सभी धाराओं से संबंधित मामलों को लेकर लगातार प्रशिक्षण जारी है.

न्याय प्रणाली को ज्यादा सुसंगत और कारगर बनाने की कोशिश

केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार के 3.0 कार्यकाल के आरंभ होते ही देश की कानून व्यवस्था में संशोधन लागू किया जा रहा है. न्यायपालिका में पूर्व तक "भारतीय दंड संहिता" के आधार पर न्यायिक कार्यों का निपटारा किया जाता था. जिसे पुलिस प्रशासन आईपीसी की धारा के रूप में प्राथमिकी में मामलों को लिखित दर्ज करती थी, लेकिन अब भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) बदलकर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस ) बना दी गई है. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में कई आपराधिक मामलों, आतंकी मामलों समेत अन्य गंभीर अपराध मामलों में विभिन्न नई धाराओं को बीएनएस में संलग्न किया गया है. बीएनएस की नई धाराओं के तहत न्याय प्रणाली को ज्यादा सुसंगत और कारगर बनाया गया है.

भारतीय न्याय संहिता में कई नई धाराओं के संलग्न होने से पुलिस प्रशासन के लिए नई कानूनी धाराओं की जानकारी आवश्यक हो गई है. इसके लिए पुलिस प्रशासन ने सभी थाना से जुड़े पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है. प्रशिक्षण के बाद अब विभिन्न आपराधिक और आतंकी समेत अन्य मामलों में सुसंगत धारा प्राथमिकी में दर्ज की जा सकेगी. भारतीय न्याय संहिता के माध्यम से अब गांव कस्बों, शहरों, राज्यों और देश में न्यायिक प्रक्रिया को सरल, सुलभ और कारगर बनाया गया है.

पुरानी 20 धारा हटाकर 18 नई धाराएं जोड़ी गई हैं

पुलिस अधिकारियों के अनुसार 511 की जगह 358 धारा रह गई हैं. इसमें कुल 20 धारा हटाई गई है और 18 नई धारा जोड़ी गई है. जिसमें प्रमुखता से सांगठनिक अपराध, मॉब लिंचिंग मामले पर पहले 302 के तहत मामला दर्ज होता था, लेकिन अब 103 की धारा के तहत कांड दर्ज किया जाएगा. वहीं लिव-इन मामले में 376 लगता था, लेकिन अब 69 की धारा के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी. इसी तरह चेन छिनतई को परिवर्तित कर झपटमारी में बदला गया है. इस मामले पर पूर्व में 379, 392 एवं 420 जैसी धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की जाती थी, लेकिन अब 304 के तहत एफआईआर होगी. इसी तरह अन्य कई बदलाव किए गए हैं.

पुलिस को शव कब्जे में लेने से पहले इस प्रक्रिया का करना होगा पालन

घटना के बाद पुलिस जब घटनास्थल पहुंचती थी तो शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया करती थी, लेकिन अब बड़े मामलों में पुलिस एफएसएल या फोरेंसिक एक्सपर्ट की मौजूदगी में जांचोपरांत शव को घटनास्थल से उठा सकेगी.

अब हिट एंड रन में 10 साल की सजा का प्रावधान

इसी प्रकार हिट एंड रन मामले पर पूर्व में 304(A) लगता था, जिसमें दो साल तक सजा का प्रावधान था. लेकिन अब धारा-106 के तहत एफआईआर दर्ज की जाएगी, जिसमें 10 साल की सजा का प्रावधान है.

अब पुलिस आरोपी को अधिक दिन के रिमांड पर ले सकेगी

वहीं पुलिस को भी किसी अपराधी को रिमांड लेने की अवधि भी बढ़ा दी गई है, ताकि अनुसंधान में पुलिस को परेशानी न हो. कई बार अपराधी को जेल भेजने के बाद पुलिस उसे रिमांड पर नहीं ले सकती थी. क्योंकि समय की बाध्यता होने के कारण कोर्ट रिमांड नहीं देती थी, लेकिन अब बड़े अपराधियों को रिमांड पर लेने के लिए धारा 187 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत 60 दिनों के भीतर रिमांड ले सकेगी, जबकि छोटे अपराधियों को 40 दिनों के भीतर रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकेगी.

सामुदायिक सेवा की भी होगी शुरुआत

इन सबके अलावा सामुदायिक सेवा की भी शुरुआत होने जा रही है. जहां छोटे-मोटे अपराधों के लिए सजा देने के बजाय न्यायाधिकरण अपना मानवीय चेहरा दिखा सके और उसे सामुदायिक कार्य कराकर मुक्त कर सकेगी.

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