मध्य प्रदेश

madhya pradesh

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 4 hours ago

ETV Bharat / state

केन-बेतवा लिंक परियोजना में जमीन गई, मुआवजा नहीं मिला, सुनिए-आदिवासी परिवारों की व्यथा - Ken Betwa Link Project

केन-बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित कई आदिवासियों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है. इनका कहना है कि जमीन भी चली गई और बदले में कुछ नहीं मिला. उनके जीवनयापन का साधन ही छीन लिया गया है. शुक्रवार को पीड़ितों ने कलेक्टर को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई.

Ken Betwa Link Project
केन बेतवा लिंक परियोजना से प्रभावित लोगों को नहीं मिला मुआवजा (ETV BHARAT)

छतरपुर।पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना से सूखे बुंदेलखंड को हराभरा किए जाने की प्लानिंग है. परियोजना से संबंधित मुआवजा वितरित किया जा रहा है लेकिन कई लोग मुआवजे से वंचित हैं. इनकी जमीन भी अधिग्रहीत कर ली गई है. पीड़ितों में अधिकांश आदिवासी परिवार हैं. ये आदिवासी परिवार मुआवजा के लिए दर-दर घूम रहे हैं लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हुई.

छतरपुर जिले के 14 गांवों की जमीन अधिग्रहीत

करीब दो हजार करोड़ की लागत वाला केन-बेतवा प्रोजेक्ट अक्टूबर 2025 से शुरू हो जाएगा, जिसे जून 2029 तक पूरा करने का लक्ष्य है. इस योजना से छतरपुर जिले के प्रभावितों के विस्थापन पर काम किया जा रहा है. छतरपुर जिले के प्रभावित 14 गांवों के ग्रामीणों को 4 गांवों में बसाया जाएगा. छतरपुर जिले के 14 गांव विस्थापित किए जा रहे हैं तो वहीं बिजावर विधानसभा क्षेत्र के गांव नैगुवां के आदिवासी आज भी मुआवजा के लिए अधिकारियो के दर पर भटक रहे हैं. एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक अपनी अर्जी लगा चुके लेकिन आज तक कोई हल नहीं निकला.

केन-बेतवा लिंक परियोजना में जमीन गई, मुआवजा नहीं मिला (ETV BHARAT)

भूमिहीन आदिवासियों को सरकार ने दिए थे पट्टे

नैगुवां निवासी आदिवासी सुदामा ने बताया "हमारी जमीन केन-बेतवा परियोजना में जा रही है. ये जमीन सरकार द्वारा वर्ष 2002-2003 में आदिवासी भूमिहीन परिवारों को पट्टे देकर आवंटित की गई थी. इसको तत्कालीन देवरा मंडल के तहसीलदार द्वारा भू-अधिकार पुस्तिका भी दी गई थी, लेकिन ये भूमि राजस्व रिकार्ड में दर्ज नहीं होने से मुआवजा राशि नहीं मिली." भुइयां नेगुवा पंचायत की निवासी आदिवासी महिला ने बताया"जो जमीन हमको मिली थी, वह नेट पर नहीं चढ़ी. हम लोग सालों से उसी भूमि पर खेती कर रहे हैं. हम लोग अनपढ़ हैं. अब हम लोगों को भगाया जारहा है. कोई मुआवजा नहीं मिल रहा है."

अनपढ़ हैं पीड़ित, राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई जमीन

नेगुवां के बृजपुरा गांव के आदिवासी मुलु ने बताया "हम लोगों को आवंटन में जमीन मिली थी. वर्षों से खेती कर रहे हैं. करीब 30 से 35 परिवार हैं, जिनकी जमीन जा रही है लेकिन मुआवजा नही मिल रहा है." आदिवासियों को कलेक्टर के पास लेकर आये दरवारी चंदेरिया ने बताया "इन आदिवासियों को सरकार द्वारा सरकारी जमीन के पट्टे दिए गए थे. लेकिन वह नेट पर नही दर्ज हुई. इस कारण इनका अवार्ड में नाम नहीं आया. इनके पास मात्र 4 से 5 एकड़ जमीन थी, वह चली गई है. अब इनके बच्चे भूखे मरने और बर्बादी की कगार पर आ जायेंगे."

ये खबरें भी पढ़ें...

इंदौर में जमीन अधिग्रहण में मनमानी के खिलफ किसान उतरे सड़कों पर, सैकड़ों ट्रैक्टर लेकर घेरा कलेक्ट्रेट

केन-बेतवा लिंक परियोजना : मुआवजे का पेच फंसा, विस्थापित ग्रामीणों की आपबीती भी सुनिए सरकार

ऐसे निकलेगा समस्या का समाधान

इस मामल में भूअर्जन अधिकारी जीएस पटेल ने बताया "जिन आदिवासियों या अन्य किसानों की सरकारी आवंटन की जमीन योजना में जा रही है, उनके पट्टे हैं या नहीं. कहीं निरस्त तो नहीं हो गए. अगर निरस्त नहीं हुए होंगे तो उन्हें एसडीएम के पास आवेदन करना होगा. अगर सरकारी रिकॉर्ड में 5 वर्ष से ऊपर बगैर दर्ज हुए तो आवेदन कलेक्टर के पास आएगा और नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी."

ABOUT THE AUTHOR

...view details