वाराणसी:काशी-तमिल संगमम 3.0 कार्यक्रम का उद्घाटन शनिवार को दुनिया के सबसे बड़े गंगा घाट 'नमो घाट' पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान एवं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण व संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ एल. मुरुगन की उपस्थिति में बटन दबाकर किया. इस बार काशी तमिल संगमम् महर्षि अगस्त्य को समर्पित है. इनके जीवन चरित्र पर आधारित एक चित्र प्रदर्शनी का भी आयोजन नमो घाट पर किया गया है.
इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि पीएम मोदी की प्रेरणा से काशी तमिल संगमम् कार्यक्रम का लगातार तीसरी बार वाराणसी में हो रहा है. आए मेहमानों का काशीवासियों, प्रदेशवासियों विशेषकर प्रधानमंत्री की ओर से स्वागत किया. तमिलनाडु से आए मेहमानों को 144 वर्ष पर प्रयागराज में लगे महाकुम्भ एवं 500 वर्ष बाद अयोध्या में बने रामलला का दर्शन कराया जाएगा. नए भारत की परिकल्पना को आगे बढ़ाते हुए महर्षि अगस्त्य को केंद्र में रखकर इस बार के काशी तमिल संगमम् का थीम रखा गया है. राम को माता सीता को खोजने एवं राम-रावण युद्ध में 'आदित्य स्त्रोत' देने वाले महर्षि अगस्त्य है. शिक्षक, लेखको के साथ ही उद्योग, व्यापार, मंदिर की व्यवस्था करने वाले आदि लोग इस बार इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का कार्य जो कभी शंकराचार्य ने किया था. वहीं कार्य आज के परिवेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'काशी तमिल संगमम्' कार्यक्रम के माध्यम से एक भारत श्रेष्ट भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे है. देश की सबसे पुरानी नगरी काशी हैं. विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को वाराणसी, प्रयाग तथा अयोध्या की संस्कृति से जुड़ने का सौभाग्य मिलेगा. काशी प्राचीन समय से ही ज्ञान की राजधानी रही है और तमिलनाडु का प्राचीन ग्रंथ भी अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है. सीएम ने कहा कि महर्षि अगस्त्य के सिद्ध चिकित्सा के बारे में लोगों को जुड़ने का मौका मिलेगा.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि तमिलनाडु से आए लोगों को 144 वर्ष बाद प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ को दिखाया जाय और वहां प्रवास करने का एहसास हो, ऐसी व्यवस्था किया जाये. पूरे भारत की ओर से उन्होंने अतिथियों का स्वागत किया. इस बार का महाकुंभ देश ही नहीं पूरी दुनिया के सनातनियों में जागृति पैदा किया है. अब तक 51 करोड़ से अधिक लोगों ने महाकुंभ में दर्शन एवं स्नान किया. उन्होंने बताया कि संगमम् के पहले दिन विद्यार्थियों, शिक्षक एवं लेखकों का दल आया है. अभी आगे आने वाले जत्थों में विभिन्न क्षेत्रों के लोगो सहित नवाचार के लोग भी आयेगे. संस्कृत की तरह तमिल भी देश की सबसे पुरानी भाषा है. तमिलनाडु में कोई ऐसा मंदिर नहीं, जिसमें श्री काशी विश्वनाथ महादेव नहीं विराजते. इस बार के केंद्रीय बजट में पहली बार प्रावधान किया है कि एसआई के माध्यम से देश की महान ग्रन्थों को संरक्षित किया जाएगा.
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा को अपनी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए मूर्त रुप देना है. अतिथियों को इस बार बाबा विश्वनाथ दर्शन, महाकुंभ मेला तथा अयोध्या स्थित राममंदिर में दर्शन करने को मिलेगा. राममंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के बाद आयोजित इस तमिल समागम के अतिथि भी भाग्यशाली हैं की आपको दर्शन का सौभाग्य मिलेगा. इस बार का महाकुंभ न केवल भारतीय बल्कि पूरे दुनिया के सनातनियों में नयी ऊर्जा का संचार किया है. तमिल के पांड्या साम्राज्य द्वारा काशी के बारे में प्राचीन में उल्लिखित शब्दों को उल्लेख करते हुए एक भारत-श्रेष्ठ भारत की अवधारणा को चरितार्थ किया. संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ एल. मुरुगन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'एक भारत श्रेष्ट भारत' की परिकल्पना साकार हो रहा हैं. काशी मोक्ष की नगरी हैं. सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन हुआ. जिसमें तमिलनाडु एवं काशी के कलाकारों ने प्रतिभाग कर अपनी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी.
काशी और तमिलनाडु के प्रमुख शहरों के बीच प्राचीन काल से चले आ रहे कला-सांस्कृतिक जुड़ाव को जीवंत रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा काशी-तमिल संगमम् कार्यक्रम की शुरुआत पिछले 2 वर्षों से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में आयोजित किया जा रहा है. इस वर्ष इसका आयोजन 15 से 24 फरवरी तक किया जा रहा हैं. काशी-तमिल संगमम एक सांस्कृतिक उत्सव है, जिसका उद्देश्य उत्तर भारत और दक्षिण भारत की विविध पारंपरिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को एक साथ लाना है. इस तरह का यह लगातार तीसरा संगमम् है. इसमें तमिलनाडु के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं. इस संगमम का आयोजन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के द्वारा एक भारत-श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है. इस आयोजन की जिम्मेदारी आईआईटी मद्रास और बीएचयू निर्वहन करता हैं. इस वर्ष भी संगमम में तमिलनाडु के लगभग 1200 लोग हिस्सा लेंगे, जो करीब छः अलग-अलग समूहों में इस आयोजन के दौरान आयेंगे. प्रत्येक समूह में करीब दो सौ लोग आयेंगे. इस दौरान इन सभी लोगों को वाराणसी के साथ प्रयागराज एवं अयोध्या की भी यात्रा कराई जाएगी.
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एयरपोर्ट से सीधे नमो घाट पहुचें तथा बजडे पर सवार होकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचे. बजड़े पर सवार होने के दौरान घाटों पर उमड़ी भारी भीड़ द्वारा मुख्यमंत्री का हाथ हिलाकर तथा उद्घोष के साथ स्वागत किया. मुख्यमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर में विधि- विधान से बाबा विश्वनाथ का पूजन किया गया. सीएम पुनः नमो घाट पहुंचे तथा तमिल समागम के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लिया. मंदिर परिसर में भारी भीड़ के बीच मुख्यमंत्री द्वारा बच्चों को दुलारा गया तथा उपहार स्वरूप चाकलेट भेंट किया गया.
काशी तमिल संगम का आयोजन वाराणसी में 15 फरवरी से शुरू हुआ. यह लगातार तीसरे वर्ष आयोजित किया जा रहा है. जिसके लिए तमिलनाडु से 6 अलग-अलग ग्रुप में लोग वाराणसी पहुंच रहे हैं. पहला ग्रुप शनिवार सुबह वाराणसी पहुंचा. यह आयोजन 28 फरवरी तक चलेगा. इसमें कुल 1200 मेहमान काशी आए हैं.