सागर: विवाहित महिलाओं द्वारा करवा चौथ का व्रत पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए रखा जाता है. इस त्योहार को शादीशुदा महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात में चांद को देखने के बाद व्रत खोलती हैं. ऐसे में व्रत रखने वाली महिलाओं को ये जानने की उत्सुकता रहती है कि चांद कब नजर आएगा. ऐसे में इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं करवा चौथ की सही तिथि, मान्यताएं और आपके शहर में चांद निकलने का समय.
सत्यवान-सावित्री की कथा
ये करवा चौथ से जुड़ी प्रसिद्ध पौराणिक कथा है. सावित्री एक पतिव्रता नारी थी, जिसने पति सत्यवान के लिए यमराज से संघर्ष किया था. जब सत्यवान की मृत्यु का समय आया और यमराज उनके प्राण लेकर जा रहे थे. सावित्री ने पति का साथ नहीं छोड़ा और यमराज का पीछा करती रही. इसके बाद सावित्री की दृढ़ता और पति भक्ति देखकर यमराज प्रसन्न हुए और सत्यवान को जीवनदान दिया.
करवा चौथ व्रत की विधि ज्योतिषाचार्य पं. अनिल पांडेय बताते हैं, '' 2024 में करवा चौथ 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा. व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है, जिसे 'सरगी' के रूप में जाना जाता है. सरगी सास द्वारा बहू को दी जाती है, जिसमें फल, मिठाइयां और पौष्टिक खाद्य पदार्थ होते हैं. ताकि वह दिनभर उपवास करने की शक्ति पा सके. दिनभर बिना पानी पिए महिलाएं व्रत करती हैं और शाम को चंद्रमा देखकर पानी पीकर व्रत तोड़ा जाता है. शाम के समय महिलाएं समूह में एकत्र होती हैं और कथा सुनती हैं. पूजा का समय सायं काल 5 बजकर 51 मिनट से सांयकाल 8 बजे तक का है. हर शहर के लिए चंद्र उदय के समय में थोड़ा बहुत परिवर्तन होगा. प्रमुख शहरों में चंद्रोदय का समय इस प्रकार हो सकता है.''
पूजा के दौरान करवा (मिट्टी का पात्र) का प्रयोग किया जाता है, जिसे पति की प्रतीकात्मक सुरक्षा के रूप में देखा जाता है. महिलाएं करवा को भगवान गणेश और चंद्रमा के सामने रखकर पूजा करती हैं. फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का समापन करती हैं. पति पत्नी को आवश्यक रूप से विशेष उपहार देते हैं, इसमें आभूषण, कपड़े और अन्य उपहार शामिल होते हैं.