वाराणसी: सनातन धर्म में धर्म शास्त्र के अनुसार अंखड सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाने वाला व्रत करवाचौथ जो कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदयव्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है. जिसका अधिकार केवल स्त्रियों को है. यह व्रत दाम्पत्य जीवन में पति सौख्य अखंड सौभाग्य के लिए रात्रिकालीन चंद्रमा को देखकर पूजन का विधान होता है. आज सूर्योदय के साथ ही महिलाओं का करवाचौथ व्रत शुरू हो गया है. यह व्रत करीब 13 घंटे चलेगा.
इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया, कि आज चतुर्थी तिथि दिन में 10:46 मिनट पर लग रही है. जो २१ अक्टूबर को सुबह 09:00 बजे तक रहेगी. इस बार करवाचौथ पर खगोल मंडल में गजकेसरी योग बना है. अर्थात, वृष राशि रोहिणी नक्षत्र पर उच्च राशि का चंद्रमा का संचरण तो पूर्व से देवगुरु गुरुवार का वृष राशि पर ही संचरण से यह योग क्रियान्वित होगा. एक साथ गुरुवार एवं चंद्र की युति आकाशमंडल में करवाचौथ व्रतार्थियों के व्रत के पुण्य की अभिवृद्धि कराने वाला होगा. ऐसा योग कभी-कभी ही कार्तिक कृष्ण चतुर्थी पर बनता है, जो इस बार करवाचौथ को बनेगा. इसके बाद एक लम्बे अंतराल के बाद करवाचौथ को देखने को मिलेगा.
चूंकि इस व्रत में चंद्रमा को अघ्र्य देने का विधान होता है. अत: चंद्रोदय 20 अक्टूबर की रात्रि 07:40 मिनट पर होगा. अत: चंद्रोदय होने पर अघ्र्यदान एवं पूजन करना चाहिए. इस व्रत को शिव-शिवा स्वामी कार्तिकेय और चंद्रमा का पूजन कर चंद्रोदय होने पर चंद्रोदय को अर्घ्र्य देकर कथा का श्रवण करना चाहिए.
ऐसे करें तैयारी:नैवेद्य में काली मिट्टी के कच्चे कलवे की चीनी की चाशनी डालकर बनाये हुए या घी में सेके हुए खांड़ मिला हुआ आटे का लड्डू अर्पण करना चाहिए. इस व्रत को विशेषकर सौभाग्यवति स्त्रियां और उसी वर्ष विवाहित हुई लड़कियां करती हैं. नैवेद्य में 13 लड्डू और लोटा, वस्त्र और विशेष करवा पति के माता-पिता को देती है.
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