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शनिवार को बंद होंगे कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट, साढ़े 4 माह तक रहेगा 'अंदरोल' - KARTIK SWAMI TEMPLE DOOR WILL CLOSE

चंबा जिले के कुगती में भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट 30 नवंबर से श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे.

Kartik Swami Temple Kugti
कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट होंगे बंद (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 9:19 AM IST

Updated : Nov 29, 2024, 10:47 AM IST

चंबा: जिला चंबा के जनजातीय क्षेत्र भरमौर के कुगती स्थित भगवान कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट शनिवार दोपहर से श्रद्धालुओं के लिए बंद हो जाएंगे. 30 नवंबर को कपाट बंद होंगे और साढ़े चार माह के बाद बैसाखी पर्व पर खुलेंगे. मंदिर के कपाट बंद करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. आज भी कार्तिक स्वामी मंदिर के पुजारी इस परंपरा का निर्वहन करते हैं. वहीं, कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद होने की परंपरा का गवाह बनने के लिए हर साल श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर परिसर में उमड़ती है.

पूरे विधि-विधान से बंद होंगे मंदिर के कपाट

कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती के पुजारी मचलू राम शर्मा ने बताया, "कार्तिक स्वामी मंदिर में 30 नवंबर को दोपहर 12 बजे पूजा अर्चना के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाएंगे. मंदिर के कपाट बंद करने से पहले पूजा अर्चना की जाएगी और पूरे विधि विधान से सदियों से चली आ रही परंपराओं को निभाया जाएगा. हर साल इस परंपरा को पुजारी वर्ग पीढ़ी दर पीढ़ी निभा रहे है."

चंबा जिले का कार्तिक स्वामी मंदिर (ETV Bharat)

मंदिर के कपाट बंद होने की मान्यता

पुजारी मचलू राम शर्मा ने बताया कि कार्तिक स्वामी मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर भी अलग-अलग मान्यताएं हैं.

  • एक मान्यता के अनुसार, देवभूमि हिमाचल में प्रकृति बर्फ की चादर ओढ़ कर सुप्त अवस्था में चली जाती है और देवता स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान कर जाते हैं. इसलिए इस समय मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं.
  • इसके अलावा एक अन्य मान्यता के अनुसार, सर्दियों में कार्तिकेय दक्षिण भारत की ओर प्रस्थान करते हैं. जिसके चलते नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में इस मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया जाता है. दक्षिण भारत के लोगों में भी भगवान कार्तिक स्वामी के प्रति अटूट आस्था है.

मंदिर के पुजारी मचलू राम शर्मा ने बताया, "मंदिर के बंद होने के समय अंतराल को स्थानीय भाषा में अंदरोल कहा जाता है. इस दौरान देवी-देवता इन मंदिरों में नहीं होते हैं. ऐसे में इस समय मंदिरों की ओर रुख करना अशुभ माना जाता है. मान्यता है कि अगर अंदरोल के दौरान मंदिरों की ओर कोई जाता है तो उसके साथ किसी तरह की अनहोनी होने की संभावना बनी रहती है."

कार्तिक स्वामी मंदिर कुगती (ETV Bharat)

कार्तिक स्वामी मंदिर का महत्व

पुजारी मचलू राम शर्मा ने बताया उत्तर भारत की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा के दौरान, लाहौल-स्पीति से आने वाले शिवभक्तों के का कुगती में अहम पड़ाव रहता है. इसको लेकर मान्यता है कि जो यात्री मणिमहेश यात्रा के दौरान सबसे पहले कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन करते हैं, उन्हें यात्रा के दौरान किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है. जिसके चलते मणिमहेश यात्रा के दौरान हर साल सैकड़ों की तादाद में श्रद्धालु कुगती में कार्तिक स्वामी मंदिर में दर्शन करके मणिमहेश यात्रा करते हैं.

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Last Updated : Nov 29, 2024, 10:47 AM IST

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