नई दिल्ली:दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में बुधवार को दिल्ली दंगे के मामले के आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान खालिद की ओर से कहा गया कि दिल्ली पुलिस चार्जशीट में उनका नाम इस तरह से कर रही है जैसे कोई मंत्र हो. कोर्ट में बुधवार को जमानत याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें पूरी हो गई. एडिशनल सेशंस जज समीर बाजपेयी ने उमर खालिद को 10 दिनों के अंदर लिखित दलीलें पेश करने का आदेश दिया. अगली सुनवाई 7 मई को होगी.
सुनवाई के दौरान उमर खालिद की ओर से पेश वकील त्रिदिप पेस ने कहा कि चार्जशीट में बार-बार नाम लेने और झूठ बोलने से कोई तथ्य सच साबित नहीं हो जाएगा. उमर खालिद के खिलाफ मीडिया ट्रायल भी चलाया गया. जमानत पर फैसला लेते समय कोर्ट को हर गवाह और दस्तावेज का परीक्षण करना होगा. उन्होंने भीमा कोरेगांव मामले में वर्नोन गोंजाल्वेस और शोमा सेन के मामले का जिक्र करते हुए उमर खालिद की जमानत की मांग की.
इससे पहले पेस ने 10 अप्रैल को सुनवाई के दौरान कहा था कि आरोपियों से मिलने का मतलब आतंकी गतिविधि नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उमर खालिद के पिता इंटरव्यू देते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि उसे जमानत नहीं दी जा सकती है. सुनवाई के दौरान पेस ने कहा था कि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि किसी आतंकी गतिविधि को अंजाम दिया गया.
उमर खालिद के खिलाफ यूएपीए की धारा 15 नहीं लगाई जा सकती है. पेस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि खालिद ने गुप्त बैठकें की. अभियोजन पक्ष ये कह रहा है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के दफ्तर में मिले. अभियोजन के इस कथन का आधार केवल गवाह का बयान और सीडीआर है. उन्होंने पूछा कि क्या जमानत नहीं देने के लिए सीडीआर पर भरोसा किया जा सकता है. सीडीआर के मुताबिक भी सभी आरोपी दिए गए समय और तिथि पर एक साथ नहीं थे.